वाराणसी। भारत और मॉरीशस के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को और प्रगाढ़ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम से मुलाकात की। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नदेसर स्थित होटल ताज में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान भारत और मॉरीशस के बीच कई अहम समझौते भी संपन्न हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस केवल साझेदार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक परिवार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में मॉरीशस पहला स्तंभ है। उन्होंने चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र को लेकर मॉरीशस को ऐतिहासिक उपलब्धि की बधाई दी और कहा कि भारत, मॉरीशस की संप्रभुता और उपनिवेशवाद से मुक्ति के पक्ष में हमेशा मजबूती से खड़ा रहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत के बाहर पहला जन औषधि केंद्र मॉरीशस में स्थापित किया गया है। इसके साथ ही भारत, एसएसआरएन अस्पताल में 500 बिस्तरों वाले आयुष उत्कृष्टता केंद्र, पशु चिकित्सा स्कूल और अस्पताल के निर्माण में भी सहायता करेगा।
उन्होंने कहा, “काशी और मॉरीशस का संबंध केवल औपचारिक नहीं बल्कि आत्मीय है। मां गंगा की तरह हमारी संस्कृति का प्रवाह मॉरीशस को समृद्ध करता रहा है।” मोदी ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच स्थानीय करंसी में व्यापार को आगे बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है।
आईआईटी मद्रास और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट ने यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस के साथ समझौते किए हैं, जो रिसर्च, शिक्षा और इनोवेशन में नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगे।
प्रधानमंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा, “फ्री, ओपन, सिक्योर और स्थिर हिंद महासागर क्षेत्र हमारी साझा प्राथमिकता है। भारत मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा और क्षमता को मजबूत करने में पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
इस वर्ष सर शिवसागर रामगुलाम की 125वीं जयंती पर बोलते हुए मोदी ने उन्हें भारत और मॉरीशस के बीच अटूट संबंधों का प्रतीक बताया।
वहीं, मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम ने काशी में मिले अभूतपूर्व सम्मान और आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि काशी में जो स्नेह और स्वागत मिला, वह अप्रत्याशित था। “यह मेरी चौथी भारत यात्रा है, लेकिन इतना सम्मान पहले कभी नहीं मिला।”