हर महीने मिल रहे हैं 20 से 30 मरीज, पांच साल में 840, फिलहाल 200 एक्टिव मरीज
-डॉक्टरों के अनुसार, एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है
-धूल और धुएं के कारण लगातार बढ़ रहा है टीबी पीड़ितों का आंकड़ा
अंजनी कुमार
गोला (आजाद सिपाही)। हरी सब्जियों और कृषि उत्पादों के लिए चर्चित रामगढ़ का गोला इलाका इन दिनों झारखंड का ‘टीबी कैपिटल’ बनता जा रहा है। प्रदूषण. धूल और धुएं के कारण इस इलाके के लोग टीबी यानी यक्ष्मा रोग से पीड़ित हो रहे हैं। हालत यह है कि पिछले पांच साल में टीबी मरीजों की संख्या 840 तक पहुंच गयी है। हर महीने 20 से 30 लोग इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इस इलाके में ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ पूरी तरह बेअसर साबित हो रहा है।
घटने की बजाय बढ़ रहे हैं मरीज : गोला में टीबी कितनी तेजी से फैल रहा है, इसका प्रमाण यही है कि यहां मरीजों की संख्या घटने की बजाय लगातार बढ़ रही है। अभी यहां दो सौ से अधिक टीबी मरीज हैं। पिछले पांच साल के दौरान यहां टीबी के 840 मरीज मिले हैं। इस वर्ष जनवरी से नौ सितंबर तक कुल 163 मरीज मिल चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2020 में 99, 2021 में 109, 2022 में 125, 2023 में 143 और 2024 में 201 टीबी मरीज मिले थे। यहां हर महीने 80 से एक सौ लोगों की जांच की जा रही है। इनमें से 20 से 30 लोग टीबी से ग्रस्त पाये जाते हैं।
यक्ष्मा विभाग पर है इलाज की जिम्मेदारी
इन मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी यक्ष्मा विभाग पर है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोला में टीबी मरीजों के लिए ना तो कोई अलग वार्ड है और ना ही कोई विशेषज्ञ चिकित्सक। टीबी मरीजों केलिए आइसोलेशन वार्ड की जरूरत होती है। यदि टीबी मरीजों की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है, तो उन्हें सदर अस्पताल के वार्ड में भर्ती कराया जाता है।
जहां-तहां थूकने और खांसने से फैलती है बीमारी: डॉ स्वराज
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ स्वराज ने बताया कि टीबी संक्रमण से बचाव को लेकर समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। साथ ही लोगों को इस बीमारी को लेकर सावधान भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया की टीबी एक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी छूने से नहीं, बल्कि टीबी मरीजों द्वारा जहां-तहां थूकने और खांसने से फैलती है। उन्होंने बताया कि एक टीबी मरीज 10 लोगों को रोगी बना सकता है। उन्होंने बताया कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, लेकिन इलाज नहीं होने पर यह जानलेवा हो सकता है।
गोला में कैसे फैल रहा है टीबी
गोला कभी कृषि क्षेत्र के रूप में विख्यात था। कहा जाता है कि यहां की मिट्टी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व हैं, लेकिन इस क्षेत्र में संचालित कारखानों ने उपजाऊ भूमि को प्रभावित कर दिया है। इतना ही नहीं, वातावरण को सांस लेने लायक तक नहीं छोड़ा है। प्रदूषण से वातावरण विषैला हो गया है। कारखानों से निकलनेवाली धूल और धुएं से टीबी मरीजों की संख्या बढ़ी है। कारखानों के आसपास रहने वाले लोग इसमें ज्यादा प्रभावित हुए हैं।