मां की पुकार पर मंत्री की संवेदना और संवेदनशील हस्तक्षेप से इंसाफ की आस जगी
बड़ा सवाल: क्या दलित महिला की न्याय की लड़ाई मुकाम तक पहुंचेगी!
सामिद खान
धनबाद (आजाद सिपाही)। बाघमारा प्रखंड के एक छोटे से गांव जमुआटांड़ में रहने वाली दलित महिला कमला देवी की आंखों में आज उम्मीद की एक नयी रोशनी है। वो रोशनी, जो अंधेरे में डूबती इंसाफ की लड़ाई को फिर से जगाने आयी है। यह सिर्फ जमीन की लड़ाई नहीं है, यह एक मां की पुकार है… अपने अधिकार की, अपनी अस्मिता की। कमला देवी के पिता छूनू रजवार की पुश्तैनी जमीन, वर्षों से उनके परिवार की एकमात्र उम्मीद थी। इसी जमीन पर एक छोटा-सा पीएम आवास भी बना था, जो गरीबी में एक आशियाने का काम करता था। लेकिन कुछ दबंगों की नजर जब इस जमीन पर पड़ी, तो उन्होंने बिना किसी कानूनी बंटवारे के ही कब्जा करना शुरू कर दिया। कमला देवी बताती हैं, मेरे पिताजी की जमीन खाता संख्या 88 में खतियान और पंजी-2 में दर्ज है। इसके बावजूद अजय रजवार, विजय रजवार और संजय रजवार जैसे लोग जबरन जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। यहां तक कि हमारे एकमात्र आशियाने को भी जेसीबी से गिरा दिया गया। ईंट, बालू और सीमेंट गिरा कर जबरदस्ती बाउंड्री बनाना शुरू कर दिया गया।
न्याय की गुहार, एक्स के जरिये पहुंची सरकार तक
कमला देवी ने जब अपनी आवाज प्रशासन तक पहुंचायी और 19 जुलाई को उपायुक्त को शिकायत सौंपी (डिस्पैच संख्या: 9975), तब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अवैध निर्माण जारी रहा। न्याय की यह लड़ाई अब एक थकी हुई उम्मीद में बदलती जा रही थी। तभी इस पीड़ा की गूंज झामुमो के सोशल मीडिया प्रभारी ब्रह्मदेव पासवान तक पहुंची। उन्होंने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया और इसे राज्य सरकार तक पहुंचाया।
मंत्री दीपक बिरुआ का ट्वीट : मां की मदद करें
राज्य सरकार के मंत्री दीपक बिरुआ ने जब यह मामला देखा, तो तुरंत ट्वीट कर धनबाद उपायुक्त को निर्देश दिया और एक मार्मिक संदेश में लिखा : मां की मदद करें।
यह सिर्फ एक ट्वीट नहीं था। यह एक मां की पुकार को सम्मान देने का प्रतीक बन गया। मंत्री के इस हस्तक्षेप से प्रशासन हरकत में आया और मामले की गंभीरता से जांच शुरू हुई। कमला देवी ने भावुक होकर कहा कि अब लग रहा है कि मुझे न्याय मिलेगा। मंत्री ने मेरी बात सुनी, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे भरोसा है कि मेरी जमीन मुझे वापस मिलेगी।
अब भी जारी है निर्माण, लेकिन उम्मीदें जाग चुकी हैं
भले ही अवैध बाउंड्री निर्माण अब भी जारी है, लेकिन कमला देवी की उम्मीद अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। उन्होंने धनबाद एसडीओ से भी इस मामले में शिकायत की है और आग्रह किया है कि जमीन का बंटवारा करवाया जाये तथा अवैध कब्जा हटाया जाये।
एक मां, एक मंत्री और एक उम्मीद
यह कहानी सिर्फ एक महिला की न10हीं है, बल्कि उन तमाम आवाजों की है, जो वर्षों से न्याय के लिए लड़ रही हैं। मंत्री दीपक बिरुआ का संवेदनशील हस्तक्षेप यह दर्शाता है कि यदि सत्ता में बैठे लोग जनता की पीड़ा को समझें, तो परिवर्तन संभव है। कमला देवी की यह जंग अभी खत्म नहीं हुई है… लेकिन उन्होंने यह यकीन जरूर जगा दिया है कि अगर आवाज उठायी जाये, तो न्याय की सुबह जरूर आयेगी।