इंदौर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए एक देश-एक चुनाव जरूरी है। एक देश-एक चुनाव से देश की कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा। आजादी के बाद देश में कई तरह के सुधार हुए। प्रशासनिक सुधार, न्यायिक सुधार, शिक्षा नीति में बदलाव की तरह ही चुनाव सुधार के लिए एक देश-एक चुनाव जरूरी है।

भाजपा महासचिव बंसल सोमवार को इंदौर के लता मंगेशकर सभागार में आयोजित ‘‘एक राष्ट्र-एक चुनाव‘‘ छात्र नेता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ, तो उसने लोकतंत्र अपनाया और उस लोकतंत्र को चलाने के लिए चुनाव एक अनिवार्य अंग था। स्वतंत्रता के बाद देश में कई सुधार हुए। प्रशासनिक, न्यायायिक सुधार के साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव हुए। अनावश्यक खर्च से देश को बचाने एक देश-एक चुनाव वर्तमान समय की जरूरत है। इसी तरह से हमारी चुनाव व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत है। यह कई समस्याओं का इकलौता समाधान है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1952 में जब देश में पहला चुनाव हुआ, तो कुल मतदाताओं की संख्या 19 करोड़ थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह बढ़कर 96 करोड़ हो चुकी थी। वर्ष 1995 से 2025 के बीच के 30 सालों में से कोई भी साल ऐसा नहीं बीता, जब देश में चुनाव नहीं हुआ हो।

बंसल ने कहा कि वर्ष 1952 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन बाद में इस व्यवस्था को बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि लगातार चुनावों के कारण अक्सर आचार संहिता लगी रहती है, जिससे विकास बाधित होता है। अनावश्यक खर्च की अगर बात की जाए, आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार हर पांच साल में चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों आदि का खर्च मिलाकर 5 से 7 लाख करोड़ रुपये चुनाव पर खर्च होते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में ही चुनाव आयोग को प्रत्येक मतदाता पर 1400 रुपये खर्च करने पड़े। यह अनावश्यक खर्च एक आगे बढ़ते हुए देश के लिए बहुत नुकसानदायक है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हर चुनाव अपने साथ राजनीतिक, सामाजिक वैमनश्यता लेकर आता है, जो हमारे देश और समाज के लिए उचित नहीं है।

भाजपा महामंत्री बंसल ने कहा कि हर चुनाव में हमारे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का बहुत अधिक समय खर्च होता है। उन्हें विकास की योजनाएं बनाने और अपने क्षेत्र में काम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसके अलावा लंबे समय तक आचार संहिता लगे होने से विकास के काम रुक जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समय और धन की बर्बादी रोकना बहुत जरूरी है, जिसका एक ही उपाय है, एक देश-एक चुनाव।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि देश में वन नेशन-वन इलेक्शन अब जरूरी हो गया है। आजादी के बाद देश में राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने की परंपरा रही है। वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में आम चुनाव और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही हुए थे। लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व में जब देश में कांग्रेस की सरकार बनीं उसके बाद स्थिति अलग हो गई। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए लोकतंत्र का गला घोंटा और देश में आपातकाल लगा दिया। आपातकाल के बाद संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल में अंतर आया और कांग्रेस पार्टी ने एक साथ चुनाव की परंपरा तोड़ दी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को प्रगति के पथ पर निरंतर आगे ले जाने का कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल एक साथ चुनाव कराए जाने का इसलिए विरोध करते हैं, क्योंकि वे विकास के नाम पर जनता के बीच नहीं जाते। विपक्ष दल आरोप लगाते हैं कि सत्ताधारी दल एक साथ इसलिए चुनाव कराना चाहता है कि लोकसभा चुनाव के समय देश में एक लहर होती है और उसी लहर के भरोसे सत्ताधारी दल राज्यों में भी चुनाव जीतना चाहता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को यह पता होना चाहिए कि देश की जनता बहुत समझदार है। वह कई बार चार-चार चुनावों के लिए एक साथ मतदान करते हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल मतदाताओं पर इस तरह के आरोप लगाकर देशभर के भगवान रूपी मतदाताओं को अपमानित करने का कार्य कर रहे हैं।

सम्मेलन को भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह और प्रदेश मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी संबोधित किया। इस दौरान पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती, प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार, संभाग प्रभारी राघवेन्द्र गौतम, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भागर्व, युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रोहित चहल, जिला अध्यक्ष सुमित मिश्रा एवं विधायक मधु वर्मा सहित छात्र नेता डॉ. रोहिन राय एवं गजेन्द्र तोमर मंचासीन रहे।

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