श्यामबच्चन यादव
सगमा, गढ़वा (आजाद सिपाही)। जिले के सगमा प्रखंड का सेंधा गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है। आजादी के 75 साल से अधिक बीत जाने के बावजूद यहां के ग्रामीणों को सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। चुनाव के समय नेता और कार्यकर्ता गांव में आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन जीत के बाद गांव को फिर से उपेक्षा की राह पर छोड़ दिया जाता है। ग्रामवासी रोजन अंसारी, इस्लाम अंसारी, बुधन अंसारी, मोहम्मद हुसैन अंसारी, हाफिज अंसारी, इश्हाक अंसारी, शमशेर अंसारी, मुस्तकीम अंसारी, इसराइल अंसारी, अम्रुल्लाह, गुलाम रब्बानी, लतीफ अंसारी, अफजाल अंसारी, नसीम अंसारी, गफार अंसारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मिल कर अपनी पीड़ा साझा की। सभी का कहना है कि आज भी गांव के लोग कठिनाइयों का सामना करने को मजबूर हैं।
ग्राम सेंधा के लोग आज भी कच्चे रास्तों से होकर आवागमन करते हैं। बारिश के दिनों में स्थिति और भी बदतर हो जाती है, जब कीचड़ और गड्ढों से भरे रास्ते ग्रामीणों की परेशानी दोगुनी कर देते हैं। बिजली की सुविधा नाम मात्र की है। कई घर अब भी अंधेरे में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। वहीं, स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीण नदी-नालों और हैंडपंप पर निर्भर रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विकास के नाम पर उन्हें सिर्फ आश्वासन और झूठे वादे मिले हैं। वे हर बार वोट देकर नेताओं को जिताते हैं, लेकिन उनके गांव की तस्वीर आज तक नहीं बदली। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।
सेंधा गांव के लोग सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सड़क, बिजली और पानी की समस्या का समाधान किया जाये, ताकि वे भी मूलभूत सुविधाओं का लाभ उठा सके और सम्मानजनक जीवन जी सकें। ग्रामीणों की यह आवाज सरकार तक कब पहुंचेगी, यह बड़ा सवाल है।