रांची। झारखंड में राज्य पुलिस सेवा (डीएसपी संवर्ग) से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रोन्नति की प्रक्रिया एक बार फिर अटक गई है। इसका मुख्य कारण बना है UPSC द्वारा अनुराग गुप्ता को राज्य के डीजीपी (DGP) के रूप में अस्वीकार करना।

सूत्रों के अनुसार, 13 अगस्त को दिल्ली में UPSC प्रोन्नति समिति की बैठक प्रस्तावित थी, जिसमें झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह सचिव वंदना दादेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता को शामिल होना था। लेकिन UPSC ने अनुराग गुप्ता की डीजीपी के तौर पर वैधता स्वीकार नहीं की, जिससे बैठक स्थगित कर दी गई।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा राज्य सरकार के तर्कों को भी मान्यता नहीं दी गई और समिति की अगली बैठक की कोई नई तिथि भी निर्धारित नहीं की गई है। इस वजह से IPS संवर्ग में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया अटक गई है, जिससे योग्य अफसरों को नुकसान हो रहा है।

झारखंड सरकार के गृह विभाग ने एक बार फिर UPSC से आग्रह किया है कि या तो अनुराग गुप्ता को डीजीपी के रूप में स्वीकार किया जाए या फिर उनकी अनुपस्थिति में ही बैठक आयोजित की जाए। सरकार का मानना है कि प्रोन्नति में हो रही देरी से 17 वरिष्ठ डीएसपी अफसरों के करियर पर असर पड़ रहा है।

इस बैठक में IPS संवर्ग के 9 रिक्त पदों को भरने के लिए 17 वरिष्ठ अधिकारियों की फाइलों पर विचार होना था। जिन अधिकारियों के नाम भेजे गए थे उनमें शामिल हैं –
राजेश कुमार, अविनाश कुमार, रौशन गुड़िया, श्रीराम समद, निशा मुर्मू, सुरजीत कुमार, वीरेंद्र कुमार चौधरी, राहुल देव बड़ाईक, खीस्टोफर केरकेट्टा, प्रभात रंजन बरवार, अनूप कुमार बड़ाईक, समीर कुमार तिर्की, शिवेंद्र, राधा प्रेम किशोर, मुकेश कुमार महतो, दीपक कुमार-1 और मजरूल होदा।

अब देखना यह है कि UPSC झारखंड सरकार के अनुरोध को कितना गंभीरता से लेता है और अगली बैठक की तारीख कब तय होती है।

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