नई दिल्‍ली। भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को वैश्विक और घरेलू निवेशकों से मजबूत समर्थन मिला है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से आयोजित विश्व खाद्य भारत 2025 शिखर सम्मेलन में पहले और दूसरे दिन के अंत तक हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का कुल मूल्य एक लाख करोड़ रुपेय के निवेश को पार कर गया है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में बताया कि ‘विश्व खाद्य भारत 2025’ शिखर सम्मेलन के पहले दो दिनों में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है, जिसमें अकेले शुक्रवार को 21 कंपनियों ने 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम में खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध क्षेत्रों के हितधारकों के साथ 25 से अधिक ज्ञान सत्र आयोजित किए गए। कार्यक्रम का उद्देश्‍य संवाद स्थिरता, प्रौद्योगिकी, निवेश के अवसरों और अंतरराष्‍ट्रीय साझेदारियों पर केंद्रित रहे, ताकि भारत को “भविष्य की वैश्विक खाद्य टोकरी” के रूप में स्थापित किया जा सके।

सम्‍मेलन के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, झारखंड और बिहार जैसे साझेदार और फोकस राज्यों के साथ गी न्यूज़ीलैंड, वियतनाम, जापान और रूस जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों द्वारा सत्रों का आयोजन किया गया। इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, एपीडा और विश्व बैंक ने भी क्षेत्रीय चर्चाओं का आयोजन किया।

मंत्रालय ने कहा कि इसके समानांतर दो वैश्विक कार्यक्रम-एफएसएसएआई द्वारा आयोजित तीसरा वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन और भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ द्वारा आयोजित 24वां भारत अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री खाद्य शो (आईआईएसएस)-वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 के साथ-साथ चल रहे हैं।

एफएसएसएआई शिखर सम्मेलन का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा मानकों में सामंजस्य स्थापित करना और नियामक सहयोग को बढ़ाना है, जबकि आईआईएसएस भारत की समुद्री खाद्य निर्यात क्षमता और वैश्विक बाजार संबंधों को प्रदर्शित कर रहा है। इसके अलावा कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में सहयोग को मजबूत करने के लिए रूस और पुर्तगाल के साथ सरकार-दर-सरकार बैठकें भी आयोजित की गईं।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने उद्योग जगत के हितधारकों से खाद्य प्रसंस्करण में निवेश और नवाचार बढ़ाने का आग्रह किया और “खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा” की ओर संक्रमण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

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