वॉशिंगटन और सियॉल के बीच नई सैन्य संधि हुई है, जिसे लेकर नॉर्थ कोरिया ने जोरदार आलोचना की है। नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका को चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि पड़ोसी देश साउथ कोरिया के साथ इस सैन्य संधि को सीधे तौर पर युद्ध का आधार माना जाएगा। इस संधि के अंतर्गत साउथ कोरिया में अमेरिकी सेना को तैनात किया जाता है, जो पड़ोसी मुल्क नॉर्थ कोरिया को परेशान कर रहा है।

नॉर्थ कोरियाई सरकार का मुखपत्र रोडोंग सिन्मन ने कहा है कि इस प्रकार की संधि से नॉर्थ कोरिया पर आक्रमण करने के लिए भ्रम को वास्तविकता में बदलने की साजिश रची जा रही है। अखबार ने लिखा है कि इस म्युच्युअल डिफेंस संधि से युद्ध के लिए अमेरिका की लापरावह को दर्शाता है। इस संधि से अब लग रहा है कि नॉर्थ कोरिया पर कभी भी युद्ध का बटन दबाया जा सकता है।

तानाशाह किम जोंग उन के इस अखबार ने आगे कहा कहा कि इस संधि को बिना किसी विलंब खत्म किया जाना चाहिए। नॉर्थ कोरिया के अनुसार, यह संधि बताती है कि यदि अमेरिका या साउथ कोरिया में से किसी एक को बाहरी हमलों का सामना करना पड़ा तो एक-दूसरे की मदद की लिए ये देश आगे आएगा।

अमेरिका और साउथ कोरिया के बीच कोरियाई युद्ध के बाद पहली बार 1 अक्टूबर 1953 को सैन्य संधि हुई थी। इसके बाद नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच कभी भी शांति के लिए संधि नहीं हुई, यानि दोनों देश आज भी युद्ध की राह पर ही खड़े हैं।

नॉर्थ कोरिया ने इससे पहले भी युद्ध की धमकी दी थी। डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर जब प्योंगयांग के विनाश की बात कही थी तो नॉर्थ कोरिया ने यूएस के साथ करो या मरो युद्ध जैसे शब्दों का प्रयोग किया था।

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