धनबाद के झरिया में भूख से मौत के मामले को लेकर रांची से ‘भोजन का अधिकार’ नामक सामाजिक संस्था की एक जांच टीम धनबाद पहुंची. टीम में सुप्रीम कोर्ट आयुक्त के पूर्व राज्य सलाहकार बलराम, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विष्णु राजगढ़िया, राइट टू फ़ूड अभियान से अशर्फी नंद प्रसाद, धीरज कुमार, तारामणि एवं आकाश रंजन शामिल थे .

भोजन का अधिकार संस्था की तारामणि ने उपायुक्त और खाद आपूर्ति विभाग के निदेशक सुनील कुमार सिन्हा की जांच पर सवाल खड़ा करते हुए जिला प्रशासन और राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या कुपोषण एक बीमारी नहीं है ? उन्होंने जानना चाहा कि शरीर में न्यूट्रीशन की कमी होना क्या कुपोषण की बीमारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कुपोषण की बीमारी है. लोग अगर खाएंगे ही नहीं तो मौत निश्चित है.

तारामणि ने आगे कहा कि जांच में उन्हें पता चला कि ये पूरा का पूरा गांव दलित परिवार से है. यहां की हर महिला मजदूरी करना चाहती है. वह किसी के घर पर भी काम करने के लिए जाती है ताकि उसके परिवार को दो वक्त का अनाज मिल जाए.

वहीं सुप्रीम कोर्ट आयुक्त के पूर्व राज्य सलाहकार बलराम जी ने इसे राज्य सरकार की गलत नीतियों का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि ये सम्मानपूर्वक जीने के मौलिक अधिकार का हनन है. बता दें कि यह संस्था भी राज्य सरकार को भूख से मौत मामले की रिपोर्ट सौंपेगी.

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