उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों गोरखपुर और फूलपूरसीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी मुख्य पार्टियों में धीरे-धीरे माहौल गर्माता जा रहा है. जहाँ एक तरफ अमेठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी यात्रा की वहीँ दूसरी तरफ आगरा में भी समाजवादी पार्टी ने अपने सम्मेलन की तैयारियां शुरू कर दी है.
हालाँकि अभी इन दोनों लोकसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, मगर इसे लेकर पार्टियों के बीच सरगर्मियां तेज हो रही हैं. बता दें कि ये सीटों गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उत्तर प्रदेश विधान परिषद में जाने के कारण खाली हुई है.
बीजेपी के लिए दोनों लोकसभा सीटें काफी मायने रखती है क्योंकि गोरखपुर कि सीट भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती है जो 1991 से ही पार्टी के पास है वहीँ, फूलपुर सीट वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा पहली बार जीती थी. उपचुनाव में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन का दावा करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा है कि पार्टी दोनों उपचुनाव आसानी से जीतेंगी, इसके साथ ही पार्टी का जीत का अंतर भी पहले से काफी अधिक होगा.
बताते चलें कि 2014 के चुनाव में फूलपुर में मौर्य ने अपने नजदीकी सपा उम्मीदवार को तीन लाख से अधिक वोटो से हराया था. वहीं गोरखपुर में आदित्यनाथ ने अपने नजदीकी सपा उम्मीदवार को तीन लाख 12 हजार से अधिक वोटों से मात दी थी.
दरअसल पिछली बार इन दोनों सीटों गोरखपुर और फूलपूर में दूसरे नंबर पर रहने वाली समाजवादी पार्टी जो कि कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है इन दोनों सीटों पर उपचुनाव लड़ने का अपना मन बना रही है. इस पर सपा के प्रवक्ता हिलाल अहमद ने कहा कि हम निश्चित ही लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगे और इस दिशा में पार्टी काम भी कर रही है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछले सप्ताह आगरा सम्मेलन में कहा था कि दोनों उपचुनाव पार्टी के लिए बहुत महत्तवपूर्ण है. अगर इनके परिणाम हमारे पक्ष में आते हैं तो यह लोकसभा के 2019 चुनावों के लिए तो एक अच्छा संदेश होगा साथ ही 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टी के लिए सकारात्मक संदेश जाएगा.
दूसरी तरफ प्रदेश की एक अन्य बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की तरफ से चुनाव को लेकर अभी तक किसी प्रकार का
कोई इशारा नहीं है कि वह इन उपचुनावों में मैदान में उतरेगी या नहीं. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र की माने तो उसने बताया कि वैसे तो मायावती की पार्टी उपचुनाव से दूर ही रहती है, लेकिन इस बार दृश्य कुछ अलग है और इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.