सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक से ऐसी गलती हो गई है कि लोग साइट और को-फाउंडर मार्क जुकरबर्ग को देश विरोधी करार देने लगे हैं। सोमवार को लास वेगास में एक कांसर्ट के दौरान स्टीफान पैड्डॉक मेस्क्वाइट नामक व्यक्ति ने फायरिंग की और 59 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। इस हमले में सैकड़ों लोग भी घायल हो गए। एक तरफ जहां लोग हमले में अपनों को खोने के गम से दुखी थे तो वहीं फेसबुक और गूगल झूठी खबरों को बढ़ावा देने में लगे थे। लास वेगास की घटना को अमेरिकी इतिहास में फायरिंग की सबसे खतरनाक घटना करार दिया गया है।
गलत व्यक्ति को करार दे दिया हमलावर
लास वेगास के हमलावर की उम्र करीब 64 वर्ष है और उसे संदिग्ध बताया जाता इससे पहले एक पोस्ट पर एक गलत व्यक्ति को फेसबुक ने इस घटना का दोषी करार दे डाला था। गैरी डेनले नामक एक व्यक्ति को उसकी प्रोफाइल के आधार पर इस हमले का दोषी करार दिया गया। कुछ ही सेकेंड्स बाद उस व्यक्ति को एक आतंकी के तौर पर बताया जाने लगा। डेनले की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह एक डेमोक्रेट हैं और उन्होंने रेचेल मैड्डो शो को कुछ ही देर पहले लाइक किया था। इसके अलावा कुछ और पेज जैसे थैंक्यू ओबामा और बायकॉट ऑल थिंग्स ट्रंप जैसे पेज भी उनके पसंदीदा हैं। रेचेल मैड्डो शो में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के समय ट्रंप विरोधी कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है। उनके नाम को लेकर गलत और झूठी खबरें आने लगी और डेनले का नाम गूगल सर्च में टॉप पर आ गया जबकि डेनले इन सबसे अनजान थे। इसके बाद एक न्यूज साइट गेटवे पंडित ने एक आर्टिकल पोस्ट कर डाला और कुछ ही देर बाद उस आर्टिकल को डिलीट भी कर दिया गया।
क्या कहा गूगल और फेसबुक ने
गूगल की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है गेटवे पंडित के आर्टिकल के लिंक को दूसरे और जरूरी आर्टिकल के लिंक से रिप्लेस कर दिया गया था। वहीं दूसरी ओर फेसबुक की ओर से भी जानकारी दी गई कि उसकी सिक्योरिटी टीम ने गेटवे पंडित की साइट पर मौजूद आर्टिकल और उसके जैसी बाकी आर्टिकल्स से भी फेसबुक का लिंक हटा दिया गया है। जो गलत खबरें शेयर की जा रही थीं उनमें से ही कुछ खबरें ऐसी भी थीं जिनमें दावा किया गया था कि एफबीआई का कहना है कि हमलावर आईएसआईएस से जुड़ा हुआ था। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फेसबुक को चेतावनी दी थी और कहा था कि फेसबुक फर्जी खबरों से दूर रहे। फेसबुक पर यह आरोप भी लगे हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के पीछे फेक न्यूज आर्टिकल्स का बड़ा योगदान है।