कोडरमा। सीएम रघुवर दास ने कहा कि राज्य में बच्चियों के लिए 12वीं तक की शिक्षा अनिवार्य की जायेगी। राज्य सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। सभी सहयोगी दलों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों से समन्वय भी बनाया जायेगा। सरकार इसे लेकर विधेयक लायेगी। सीएम रविवार को कोडरमा के बाघीटांड स्टेडियम में आयोजित बाल अधिकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। श्री दास कोडरमा में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन द्वारा आयोजित अभ्रक क्षेत्रों को बाल श्रम मुक्त बनाने की पहल कार्यक्रम में बतौर अतिथि बोल रहे थे।
सीएम ने कहा कि झारखंड को बाल श्रम मुक्त प्रदेश बनाने के लिए सरकार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करेगी। बाल मजदूरी समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है। देश के दूसरे प्रदेशों में झारखंड की पहचान बाल श्रम एवं महिला श्रम के लिए होती है, जो राज्य के लिए बहुत बड़ा धब्बा है। उन्होंने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास सरकार के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी को आगे आकर भागीदारी निभानी होगी। कहा कि बाल मजदूरी गरीबी की कोख से पैदा लेती है। यही वजह है कि राज्य सरकार गरीबी दूर करने के लिए प्रयासरत है और काफी हद तक इसमें सफलता भी प्राप्त हो रही है। जनजातीय क्षेत्र में यह समस्या अधिक है, इसलिए सरकार का ध्यान इन क्षेत्रों में अधिक है।
सीएम ने कहा कि हर बच्चे की उनका संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो, इस दिशा में सरकार कार्य कर रही है। अभिभावक भी इस बात का ख्याल रखें कि बेटा या बेटी दोनों को समान दृष्टि से देखें। बेटी को जरूर पढ़ायें। राज्य के युवाओं और युवतियों को सरकार हुनरमंद बनाना चाहती है। कौशल विकास के माध्यम से यह कार्य सुनिश्चित किया जा रहा है। 12 जनवरी तक सरकार एक लाख लोगों को रोजगार देगी। 34 हजार को पूर्व में रोजगार दिया जा चुका है। 10 हजार शिक्षकों को 15 नवंबर को नियुक्ति पत्र दिया जायेगा। वर्तमान सरकार ने 38 हजार स्कूलों में बेंच-डेस्क की व्यवस्था कर दी है। सभी स्कूलों को बिजली से आच्छादित किया गया है।
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति : सुमेधा सत्यार्थी, शिक्षा मंत्री नीरा यादव, एनसीपीसीआर के प्रियांक कानूनगो, बरकट्ठा के विधायक जानकी प्रसाद यादव, बरही के विधायक मनोज यादव, श्रम विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का समेत अन्य उपस्थित थे।
, श्रमायुक्त विप्रा भाल, अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग आरती कुजूर, जिला परिषद की अध्यक्ष शालिनी गुप्ता, नगर पंचायत अध्यक्ष कांति देवी, पी नागरो मालाथी, गुरुतारोण हक, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त सुरेंद्र कुमार सिंह समेत अन्य उपस्थित थे।
नोबेल पुरस्कार में कोडरमा और झारखंड का बड़ा योगदान : कैलाश सत्यार्थी
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि उनके नोबेल पुरस्कार में कोडरमा और झारखंड का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह कोडरमा को बाल श्रम मुक्त करने की दिशा में उनके प्रयासों का एक बड़ा प्रतिफल है। एक दशक पूर्व यहां की माइका खदानों में काम करनेवाले बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराने की दिशा में फाउंडेशन के कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोडरमा एवं झारखंड की पहचान पूर्व में बाल मजदूरी के बहुत बड़े क्षेत्र के रूप में होती थी। कालांतर में विभिन्न संगठनों, जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के प्रयासों से इसमें कमी आयी है, लेकिन सफर अभी और भी तय करना है। कहा कि सीएम रघुवर दास के प्रयास से एक दिन ऐसा आयेगा, जब झारखंड बाल श्रम से मुक्त होगा। सत्यार्थी ने बताया कि बाल पंचायत का परिणाम है कि जिन इलाकों में लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं, उन इलाकों में 500 से अधिक लड़कियों ने पंचायत चुनाव में भाग लिया। 600 से अधिक बच्चियों ने बाल विवाह से इनकार किया।
पूरे राज्य में बाल पंचायत समिति का गठन हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी की संस्था पूरे राज्य में बाल पंचायत समिति का गठन करे। राज्य सरकार पूरा साथ देगी। बाल श्रम में रोक लगे, यही सरकार की भी मंशा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बाल मित्र संयोजकों को 500 रुपये प्रोत्साहन के तौर पर देगी।
रोजगार के नाम पर शोषण
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बच्चियों को रोजगार दिलाने के नाम पर प्लेसमेंट एजेंसी के लोग उनका मानसिक और शारीरिक शोषण करते हैं। श्रम विभाग को निर्देश दिया गया है कि ऐसे सेल का गठन करे, जो एजेंसी का पूरा विवरण दर्ज कर सके। बाल मजदूरी और पलायन के कलंक को झारखंड से मिटा कर ही दम लेंगे।