उलिहातू (खूंटी)। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने रविवार को बिरसा मुंडा के गांव उलीहातू से झारखंड संघर्ष यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत की। यह यात्रा दो नवंबर तक चलेगी। मिशन 2019 के लिए हेमंत सोरेन ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट, भूमि अधिग्रहण बिल और बकोरिया कांड को मुद्दा बनाया। वहीं बकोरिया कांड को लेकर पुलिस प्रशासन पर करारा प्रहार किया। हेमंत ने कहा कि झारखंड में ड्रामा का वातावरण है। राज्य में अजीबोगरीब तनाव का माहौल है। दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, इसाई समुदाय पर अत्याचार हो रहा है। बुंडू प्रखंड में थाने के अंदर दलित नौजवान की पुलिस ने हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि बकोरिया गोलीकांड की खबर सुर्खियों में है। किस तरह पुलिस ने निर्दोष बच्चों को नक्सली कहकर हत्या कर दी। समाज में हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है। पुलिस-प्रशासन जनता की रक्षक नहीं भक्षक बन गया है।
जमीन लूटने की हो रही साजिश
हेमंत ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग झारखंड के गरीब आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन हड़पना चाहते हैं। इसके लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया। झामुमो ने इसका विरोध सड़क से लेकर सदन तक किया। झामुमो के पांच विधायकों को विरोध करने पर निलंबित भी किया गया था। इस एक्ट को लागू करने के लिए सत्ता में बैठे लोगों ने पुलिसिया डंडा का भी सहारा लिया। अनगिनत आदिवासी-मूलवासी पर केस दर्ज किये गये। आज भी दर्जनों लोग इस एक्ट के विरोध के कारण जेल में हैं। सत्ता में बैठे लोग यह समझते हैं कि पुलिस-प्रशासन का डर दिखाकर कुछ भी कर सकते हैं। इसका नजारा सीएनटी और एसपीटी एक्ट के संशोधन के समय देखने को मिला। लेकिन हमारे संघर्ष के सामने उन्हें झुकना पड़ा। जब पुलिस का जोर नहीं चला, तो इस एक्ट को थोड़ा पीछे कर लिया। लेकिन अभी भी उनके दिल में खोट है। जब वे इस एक्ट में संशोधन करने में सफल नहीं हुए, तो भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर आदिवासी-मूलवासी की जमीन को हड़पने का कानून लाया। इसका भी हमने विरोध किया और आगे भी विरोध जारी रहेगा।
जनता को पंगु बना दिया है नये कानून ने
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर जनता को पंगु बना दिया गया है। राज्य विषम परिस्थिति से गुजर रहा है। हमारी पीढ़ी पर खतरा आ गया है। जल, जंगल, जमीन, जो हमारी पहचान है, उसे समाप्त किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर इसका खाका तैयार कर लिया गया है। स्थिति यह है कि हम मजदूर बन कर भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। हमारे समय में यह प्रावधान था कि बिना ग्रामसभा से पारित कराये और रैयतों को विश्वास में लिये भूमि का अधिग्रहण नहीं होगा। लेकिन अभी इस प्रावधान को हटा दिया गया है। अब बिना ग्राम सभा की सहमति और रैयतों को विश्वास में लिये बगैर सरकार भूमि का अधिग्रहण करेगी। इस पर यह तर्क दिया जा रहा है कि स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क, रेल, अस्पताल के लिए ही भूमि का अधिग्रहण किया जायेगा। सत्ता में बैठे लोग यह बतायें कि पहले इस कार्य के लिए जमीन का अधिग्रहण होता था या नहीं। भूमि संरक्षण के सभी प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। अब हमारे पास न तो जमीन रहेगी, न तो नाला और न ही जंगल। सभी की मालिक सरकार बन गयी है। दुर्भाग्य यह है कि जनता इसके विरोध में न तो थाने जा सकती है और न ही कोर्ट-कचहरी। उन्होंने कहा कि अगर अभी नहीं चेते, तो हमारे हाथों से जल, जंगल और जमीन निकल जायेगी।
आनेवाली पीढ़ी को खतरा
आनेवाली पीढ़ी को खतरा है। भगवान बिरसा मुंडा का सपना एक सशक्त और समृद्ध झारखंड था। जब उनके साथी अन्न के लिए तड़प रहे हैं, तब करोड़ों की मूर्ति बनता देख उनकी आंखें भी जरूर नम होती होंगी। हेमंत ने कहा कि ये गैर झारखंडी हमारी विरासत, हमारी सभ्यता और हमारे सपने को क्या समझेंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड की यह तस्वीर अब देखी नहीं जाती। अब और नहीं, झारखंड खुद अपनी तरक्की का सूत्रधार बनेगा।
झामुमो की संघर्ष यात्रा को अंतिम यात्रा में बदलेगी जनता : प्रतुल
रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झामुमो की संघर्ष यात्रा को राज्य की जनता आनेवाले चुनाव में अंतिम यात्रा में बदलेगी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन जिस सीएनटी और एसपीटी एक्ट की बात कर जनता को बरगला रहे हैं, उन्हें जनता को यह भी बताना चाहिए कि उन्होंने कितनी जमीन इस एक्ट का उल्लंघन कर खरीदी है। रांची शहर में हेमंत का क्या है, क्या वह रांची के निवासी हैं। तब आखिर उन्होंने रांची, दुमका, बोकारो में आदिवासियों की जमीन अपने और अपने परिवार के नाम से किस नियम के तहत खरीदी है।
उन्होंने कहा कि हेमंत कहते हैं कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर आदिवासी-मूलवासी की जमीन हड़पना चाहती है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि सरकार ने अब तक कितनी जमीन पर जबरन कब्जा किया है। दरअसल सच्चाई यह है कि झारखंड से उनकी जमीन पूरी तरह से खिसक गयी है। जनता अब परिवारवाद से छुटकारा चाहती है। बाप-बेटे से जनता का मोह भंग हो गया है। देश और राज्य में विकास की राजनीति हो रही है। जिस तरह से केंद्र और राज्य की सरकार ने विकास की बयार पिछले चार वर्षों में बहायी है, उसमें सभी विपक्षी बह गये हैं। आलम यह है कि जनता से तिरस्कृत स•ाी राजनीतिक दल अपना ठौर खोजते चल रहे हैं। झामुमो भी उसमें से एक है।