रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची शहर के सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में गड़बड़ी के लगे आरोप की एसीबी जांच का आदेश दिया है। विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री समेत सभापति, सामान्य प्रयोजन समिति आदि को पत्र लिख कर मैनहर्ट के खिलाफ एसीबी जांच कराने का आग्रह किया था। उन्होंने तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास एवं अन्य पर मैनहर्ट की नियुक्ति में अनियमितता का आरोप लगाया था। इन सभी के विरुद्ध कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई करने को लेकर उन्होंने पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि जब इस मामले में झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर मैनहर्ट के खिलाफ जांच की मांग की गयी, तो हाइकोर्ट ने भी एसीबी में शिकायत करने को कहा था।
राय के पत्र पर कार्रवाई
बता दें कि विधायक सरयू राय ने शिकायत की थी कि 2005 में सरकार के नगर विकास मंत्री ने रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम बनाने के लिए सिंगापुर की कंसल्टेंट कंपनी मैनहर्ट की गलत ढंग से नियुक्ति करायी। निगरानी की तकनीकी टीम ने जांच में मैनहर्ट को कंसल्टेंट बनाने एवं टेंडर में त्रुटि पायी थी। राय ने बताया कि मैनहर्ट की नियुक्ति पर 24 करोड़ रुपये खर्च हो गये। उन्होंने निगरानी के तत्कालीन आयुक्त को भी कठघरे में खड़ा किया था। सरयू राय ने विस क्रियान्वयन समिति का सभापति होने के नाते मैनहर्ट मामले में जांच की थी। उन्होंने इसकी रिपोर्ट विधानसभा को सौंपकर कहा था कि मैनहर्ट की नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है। कंसल्टेंट नियुक्त करने में नियमों की अनदेखी हुई। मैनहर्ट ने अनुभव नहीं है। उक्त कंपनी शर्त का भी पालन नहीं करती है। नियमों की अनदेखी कर मैनहर्ट को काम दिया गया। 2014 में भाजपा सरकार बनने पर मेरी आपत्ति पर नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने मैनहर्ट को काम से बाहर किया। इधर रघुवर दास ने कहा था कि जांच हो जाये, दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।