अजय झा
दुमका। 2019 में झारखंड विधानसभा का चुनाव होने के बाद दुमका से जीते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सीट छोड़ने के कारण उपचुनाव तीन नवंबर को होगा। इस उपचुनाव में कई दिलचस्प बातें सामने आ रही हैं, क्योंकि कई मायने में यह उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। एक बार झामुमो का किला भेदनेवाली भाजपा दोबारा इस किले पर राज करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। दुमका से सांसद रह चुके और प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस किले को हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्टÑीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने यहां का मोर्चा संभाला था। क्योंकि दशकों से इस किले पर झामुमो का राज है। इस बार यहां की जनता किसे अपना बहुमूल्य मत देती है, यह 3 नवंबर को ही साफ होगा।
हमेशा ऊपर रखा झामुमो को
चुनाव की बात करें, तो दुमका की जनता ने अधिकांश चुनाव में झामुमो को सिरआंखों पर बिठा कर रखा। पूर्व में झामुमो का चेहरा पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और स्टीफन मरांडी ही थे। 2019 में झामुमो ने स्टीफन की जगह हेमंत को टिकट दिया और वे जीते। अधिकांश लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन को ज्यादा तवज्जो दी। 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सीट छोड़ने के बाद होने वाला उपचुनाव इस कारण दिलचस्प है, क्योंकि ना तो इस बार शिबू सोरेन हैं, न हेमंत, न स्टीफन मरांडी। इस बार के चुनाव में शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन मैदान में हैं। इस कारण राजनीति के पंडित इस असमंजस में हैं कि दुमका की जनता शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन के बाद परिवार के बसंत सोरेन को कितना पसंद करेगी।
चुनावी आकलन के हिसाब से देखें, तो हमेशा झामुमो ही अव्वल रहा है दुमका विधानसभा क्षेत्र में। एक बार की मिसिंग को पाटने की जहमत उठाने में पार्टी लगी हुई है। अन्य चुनाव को देखें, तो परसेंटेज से मतलब कभी झामुमो को नहीं है। 2014 के चुनाव में 69 परसेंट वोटिंग हुई थी। 2,25,642 मतदाताओं में 69,760 मतदाताओं ने लुइस मरांडी को और 64,846 मतदाताओं ने हेमंत सोरेन को वोट दिया था। उसी को फिर बदला गया 2019 में। इस साल हुए चुनाव में 21,070 वोटरों की बढ़ोतरी से हेमंत सोरेन ने 2,46,712 वोट लाये और लुइस मरांडी को हरा दिया।
Previous Articleगुंडों और अपराधियों में पुलिस का खौफ होना चाहिए: डीजीपी
Next Article दुमका-बेरमो में अभी पूरी लय में नहीं आयी है भाजपा