उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras Case) में कथित गैंगरेप पीड़िता का घर और गांव पूरी तरह से पुलिस छावनी बन चुका है. पीड़िता के घर के हर सदस्य को जहां सरकार की ओर से सुरक्षा मिली हुई है. वहीं, घर में जाने से पहले मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है. इतना ही नहीं पीड़िता के घर के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

गांव और पीड़िता का परिवार किसी साजिश का शिकार ना हो, इसके लिए घर के हर मेंबर के लिए दो-दो सिपाहियों को तैनात किया गया है. इसके साथ ही परिवार की महिला सदस्यों के लिए महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिसकर्मी परिवार के सदस्यों के साथ टॉयलेट के वक्त भी जाते हैं. ऐसी सुरक्षा पीड़ित परिवार के लिए जी का जंजाल बन गई है. पीड़ित परिवार इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने वाला है.

बाहरी शख्स के गांव में आने से पहले होती है जांच
रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई बाहरी गांव में आता है तो उसे दोपहिया वाहन और चार पहिया वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है. इसके साथ ही पांच से ज्यादा लोगों के गांव में जाने की परमिशन भी नहीं है.अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीड़िता के घर के बाहर मेटल डिटेक्टर लगे दिए गए हैं और दो महिला कॉन्स्टेबल तैनात थीं जो सभी के आइडेंटिटी कार्ड्स की जांच कर रही थीं. जो लोग भी वहां पहुंच रहे थे, सभी को एक रजिस्टर पर अपना नाम, पता, फोन नंबर और संस्थान का नाम लिखना होता है. वर्दी में तैनात सुरक्षा कर्मियों के अलावा सादी वर्दी में भी कई पुलिस कर्मी तैनात किए गए थे. गांव में एक सीओ, तीन इंस्पेक्टर, दो महिला दरोगा और 21 कॉन्स्टेबल तैनात किए गए हैं.

क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि हाथरस जिले के एक गांव में गत 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था. चोटों के चलते दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई. इसके बाद रातोंरात उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया गया. परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन ने उनकी सहमति के बगैर गत बुधवार देर रात पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया. हालांकि, प्रशासन ने इससे इनकार किया है.

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