Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»28 साल बाद सीबीआइ कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
    Jharkhand Top News

    28 साल बाद सीबीआइ कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskOctober 1, 2020No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे संवेदनशील मामला, यानी अयोध्या से जुड़ा अंतिम विवाद भी 30 सितंबर को खत्म हो गया। अदालत ने 28 साल पहले छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाये जाने के मामले के सभी 32 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि ढांचा गिराये जाने से पहले कोई साजिश नहीं रची गयी थी। अदालत ने इसे एक स्वत: स्फूर्त घटना करार देकर श्रीराम जन्मभूमि से जुड़े अंतिम विवाद को भी समाप्त कर दिया। अदालत का यह फैसला इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इस फैसले की तरफ 130 करोड़ भारतीयों की नजरें लगी हुई थीं। इस फैसले से जहां भाजपा ने राहत की सांस ली है, वहीं कांग्रेस को दाल में कुछ काला नजर आ रहा है। भाजपा के संस्थापक नेताओं, लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी जैसी शख्सियतों ने अयोध्या मुद्दे को भारत की राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाने का जो प्रयास किया, अदालत का फैसला उसका सम्मान भी है और उनके अप्रतिम योगदान का रेखांकन भी। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पहले से ही बनाया जा रहा है और इस परियोजना में अदालत का यह फैसला एक महत्वपूर्ण अवयव साबित होगा। इसके साथ ही अयोध्या के तमाम विवादों से बाहर निकल जाने के बाद भाजपा के लिए आगे की राह आसान होती दिखने लगी है। अयोध्या मामले पर अदालती फैसले के बाद देश की राजनीति निश्चित रूप से नया रास्ता अख्तियार करेगी और यह रास्ता मंदिर निर्माण से जुड़े संगठन-दल ही तय करेंगे। अयोध्या मसले की पृष्ठभूमि में देश की राजनीति के संभावित रास्ते पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    30 सितंबर, 2020 की तारीख भारत के कानूनी इतिहास में एक अहम तारीख के रूप में दर्ज हो गयी है। लखनऊ की सीबीआइ की विशेष अदालत ने 28 साल पहले भारत के माथे पर लगे कलंक के उस टीके को धो दिया है, जो छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या की घटना के बाद लगा था। अदालत ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले के सभी 32 आरोपियों को बरी करने के साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पवित्र जन्मभूमि को सभी विवादों से बाहर निकाल दिया है। सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले ने जहां भाजपा को बड़ी राहत दी है, वहीं उसे आनेवाले दिनों में राजनीति का नया रास्ता निर्धारित करने का अवसर भी प्रदान किया है।
    विवादित ढांचा विध्वंस से जुड़े इस मामले से बरी होना भाजपा के संस्थापकों, लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी के लिए कितना अहम है, इसका उदाहरण इन दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया से साफ हो गया। आडवाणी ने जहां अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर फैसला सुना और बरी होते ही ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया, वहीं डॉ जोशी ने इसे जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी करार दिया। अयोध्या मुद्दे को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाने और मंदिर आंदोलन को जन-जन का आंदोलन बनाने में इन दोनों नेताओं के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए इस मामले से उनका बरी होना खासा महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
    अब, जबकि अयोध्या विवादों के साये से बाहर निकल चुकी है और भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, बड़ा सवाल यह उठता है कि भाजपा अब इस मुद्दे का कितना और कैसे इस्तेमाल करेगी। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अयोध्या के मुद्दे ने भाजपा को न केवल राजनीति में स्थापित किया, बल्कि उसे कामयाबी का वह क्षितिज प्रदान किया, जिसकी उम्मीद भी किसी को नहीं थी। अयोध्या में मंदिर निर्माण भाजपा का केंद्रीय मुद्दा बना और देश की जनता ने इसे स्वीकार भी किया। महज दो सीटों से अपना सफर शुरू करनेवाली भाजपा आज लोकसभा में 303 सीटों पर काबिज है और देश के 21 राज्यों में सरकार चला रही है, तो इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ अयोध्या का ही है। इसलिए इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आनेवाले दिनों में भाजपा अयोध्या मुद्दे को छोड़ नहीं देगी। यह अलग बात है कि पार्टी अयोध्या को अपने केंद्रीय मुद्दों की सूची में नहीं रखेगी।
    लेकिन इसका कितना लाभ भाजपा को मिलेगा, यह सवाल भी उठना स्वाभाविक है। राजनीतिक और कानूनी विवादों से बाहर निकलने के बावजूद अयोध्या आज भी 130 करोड़ भारतीयों की आस्था का केंद्र बनी हुई है। भाजपा इस हकीकत से वाकिफ है और वह इस आस्था से कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहेगी। उसके नेता जानते हैं कि भारत के लोग सब कुछ सह सकते हैं, लेकिन आस्था से खिलवाड़ उन्हें बर्दाश्त नहीं। ऐसे में भाजपा कोई ऐसा रास्ता जरूर तलाश करेगी, जिससे वह अयोध्या को आम लोगों के मानस पटल पर जीवित रख सके। सीबीआइ अदालत का फैसला उसे यह रास्ता देगा। हालांकि विपक्ष का आक्रामक तेवरों का भी उसे सामना करना पड़ेगा। इस फैसले के आने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गयी है और उसने जूडीशरी के फैसले पर सवाल उठा दिया है। फैसले के बाद एक वर्ग अब भी बाबरी विध्वंस को साजिश मान रहा है और वह खुले मैदान में उतर चुका है।
    लेकिन जहां तक भाजपा का सवाल है, तो सीबीआइ अदालत के फैसले ने उसको राजनीति का नया रास्ता दिखा दिया है। डबल लेन वाला यह रास्ता पूरी तरह भाजपा को लाभ पहुंचायेगी। पार्टी आनेवाले दिनों में इस फैसले को ‘सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं’ के रूप में आम लोगों के बीच प्रचारित करेगी, ताकि उस पर लगा दाग हमेशा के लिए मिट सके। इसके साथ ही विपक्ष पर भाजपा का प्रहार भी तेज होगा, क्योंकि 1992 की घटना के बाद देश भर में जो दंगे हुए थे, उसका ठीकरा भी विपक्ष के माथे पर फोड़ा जा सके। छह दिसंबर, 1992 को कल्याण सिंह की सरकार की बरखास्तगी और यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के तत्कालीन कांग्रेस सरकार के फैसले को लोकतंत्र की हत्या बताने से भी भाजपा नहीं चूकेगी। इस तरह सीबीआइ अदालत के इस फैसले ने अयोध्या मुद्दे को खत्म नहीं किया है, बल्कि भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में इसे एक अवधि विस्तार दे दिया है। इस अवधि विस्तार का भाजपा कितना लाभ उठा पाती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।

    Historical decision of CBI Court after 28 years
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleहाथरस : गैंगरेप पीड़िता का देर रात हुआ अंतिम संस्कार
    Next Article बिहार की पांच दर्जन सीटों पर झारखंड के नेता लगा रहे जोर
    azad sipahi desk

      Related Posts

      डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी

      June 10, 2025

      मां की हत्या का आरोपित गिरफ्तार

      June 10, 2025

      कांग्रेस नेता राजकुमार रजक का आकस्मिक निधन

      June 10, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘हाउसफुल-5’ का जलवा, 100 करोड़ के क्लब में शामिल
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘ठग लाइफ’ की रफ्तार थमी, फिल्म को नहीं मिला दर्शकों का प्यार
      • भारत ए बनाम इंग्लैंड लायंस: कोटियन-कंबोज की शानदार साझेदारी, दूसरा अनौपचारिक टेस्ट ड्रॉ
      • एफआईएच प्रो लीग: रोमांचक मुकाबले में नीदरलैंड ने भारत को 3-2 से हराया
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version