अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा जरूरी कदम नहीं उठाए जाने को लेकर अक्सर कांग्रेस पार्टी सवाल खड़े करती रही है। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने एक बार फिर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान समाज के निचले तबके तक आर्थिक मदद पहुंचाने की ओर खींचा है। उन्होंने कहा कि ऊपरी स्तर पर तमाम कोशिशों के बाद भी देश की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरेगी, जबतक लोगों के पास खर्च करने के लिए धन नहीं होगा। इसीलिए जरूरी है कि गरीब परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाएं और बाजार को जीवंत करने की प्रभावी कदम उठाएं।

अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने तथा बाजार में मांग को पुनर्जीवित करने को लेकर आवश्यक कदम नहीं उठाए जाने को लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार को निशाने पर भी लिया। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि ‘क्या यह पेचीदा नहीं है कि भारतीय रिजर्व बैंग (आरबीआई) के गवर्नर, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष और डीईए सचिव को एक ही विषय पर एक ही दिन बोलना चाहिए? तीन अलग-अलग लोगों को वित्तमंत्री को एक साथ बताना चाहिए, कि अधिकांश लोगों के पास माल और सेवाओं को खरीदने के लिए पैसा या झुकाव नहीं है। और जबतक सरकार निचले आधे परिवारों के हिस्से के हाथों में पैसा नहीं डालती है और गरीबों की थाली में खाना नहीं डालती है, तब तक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होगा।

कांग्रेस नेता सरकार की नीतियों पर तंज कसते हुए कहा कि काश अर्थव्यवस्था एक सर्कस का शेर होता जो रिंगमास्टर की छड़ी का जवाब देता! लेकिन हकीकत में अर्थव्यवस्था काफी हद तक बाजार द्वारा मांग और आपूर्ति के नियमों तथा लोगों की क्रय शक्ति और भावनाओं द्वारा निर्धारित की जाती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अगर उनकी बातों पर संदेह है तो बिहार के लोगों के हालात का जायजा लिया जा सकता है। कैसे वहां लोग रोजी-रोजगार के लिए परेशान हैं। हालात यह है कि वे अपने अस्तित्व के संकट की घड़ी से गुजर रहे हैं। उनके पास काम नहीं है और अगर है तो पर्याप्त नहीं है। कोई आमदनी नहीं है या बहुत थोड़ा आय है। वर्तमान स्थिति में बिहार के लोग खर्च करने के बजाय जीवित रहने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऐसे स्थिति में अर्थव्यवस्था में सुधार या बाजार पुनर्बहाली की कल्पना असंभव है।

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