पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों की सूची से ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार फिर सोशल इंजीनियरिंग पर पूरा जोर दे रहे हैं, जिसमें एक तरफ अति पिछड़ा वर्ग में पैंठ को गहरा बनाने और दूसरी तरफ विरोधी राष्ट्रीय जनता दल के मुस्लिम-यादव समीकरण (माइ) में सेंध लगाने की कोशिश है।
उम्मीदवारों की सूची में अति पिछड़ा वर्ग को प्रमुखता
एनडीए में सीटों के बंटवारे के तहत 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए जदयू को 122 सीटें मिली हैं। जदयू ने अपने खाते की सीटों में से सहयोगी जीतनराम मांझी की हम पार्टी को सात सीटें दी। इसके बाद पार्टी ने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची बुधवार को जारी कर दी। जदयू के उम्मीदवारों की सूची में अति पिछड़ा वर्ग को प्रमुखता मिली है। पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग से 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
यादव समुदाय में सेंध
नीतीश कुमार ने सोशल इंजीनियरिंग की कवायद के तहत पिछले वर्षों में अति पिछड़ा वर्ग को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाये, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षण में इस वर्ग के लिए उप कोटा पेश करने सहित कई अन्य कदम शामिल हैं। गौरतलब है कि काफी समय तक अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का झुकाव राजद की ओर रहा था और यह वर्ग लालू प्रसाद की पार्टी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन नीतीश कुमार के अलग होने के बाद से स्थितियां बदल गयी हैं। इस सूची में उल्लेखनीय बात यह है कि यादव समुदाय से 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। यह समुदाय काफी हद तक लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ रहा है। यादव समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों में वर्तमान विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव, पूनम यादव शामिल हैं। हालांकि इस बार जदयू ने नये नेताओं जैसे चंद्रिका यादव, जयवर्द्धन यादव उर्फ बच्चा को भी टिकट दिया। यादव समुदाय से इतने उम्मीदवारों को टिकट देने से नीतीश कुमार की रणनीति प्रदर्शित होती है।
जदयू ने इस बार 11 मुस्लिमों को दिया है टिकट
जदयू ने इस बार 11 मुस्लिमों को टिकट देकर राष्ट्रीय जनता दल के मुस्लिम-यादव समीकरण में सेंध लगाने का प्रयास किया है।
कुर्मी और कुशवाहा हैं नीतीश का वोट बैंक
जदयू ने 12 कुर्मी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनकी संख्या राज्य की आबादी के लिहाज से कम है, लेकिन कुमार इसी समुदाय से आते हैं। राज्य में रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण कुशवाहा समुदाय माना जाता है और पार्टी ने इस वर्ग से 15 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। राज्य में कुशवाहा समुदाय की संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग में यादवों के बाद सबसे बड़ी है। रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस समुदाय को अपने साथ लाने के लिए काफी प्रयास किया है।
अनुसूचित जाति वर्ग को 17 सीटें
जदयू ने 17 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों को दी हैं। पार्टी को उम्मीद है कि चिराग पासवान के लोजपा का साथ छूटने के बाद जीतन राम मांझी के सहयोग से दलितों को साथ ला सकेंगे।
अगड़ी जातियों के 19 उम्मीदवारों को टिकट
पार्टी ने अगड़ी जातियों के 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया है और यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह हर वर्ग की चिंता करती है। अगड़ी जातियों में जदयू ने सात राजपूतों को टिकट दिया है, जबकि 10 भूमिहारों को उम्मीदवार बनाया गया है। जदयू ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र सत्यप्रकाश सिंह को पार्टी में शामिल किया है और उम्मीद की जा रही है कि उन्हें बाद में विधान परिषद भेजा जायेगा।