आजाद सिपाही संवाददाता
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने की अपील की है। भागवत ने कहा है कि समाज का हित चाहनेवाले हर व्यक्ति को यह कहना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था पुरानी सोच थी, जिसे अब भूल जाना चाहिए। सर संघसंचालक नागपुर में एक किताब विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। हाल के दिनों में इससे पहले उन्होंने रोजगार के लिए नौकरियों की तरफ न देखने की सलाह दी थी। इसके बाद जनसंख्या नियंत्रण पर उन्होंने बयान दिया था। उनके इन बायनों को लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं।
गलतियों को स्वीकार करना चाहिए:
भागवत ने कहा कि ऐसी कोई भी चीज जो भेदभाव पैदा कर रही हो, उसे पूरी तरह से खारिज कर देना चाहिए। भारत हो या फिर कोई और देश, पिछली पीढ़ियों ने गलतियां जरूर की हैं। हमें उन गलतियों को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलती की है, ये बात मान लेने पर उनका महत्व कम हो जायेगा, तो ऐसा नहीं है, क्योंकि हर किसी के पूर्वज ने गलतियां की हैं।
पिछले दो बायनों पर भी विवाद हुआ था:
भागवत के पिछले दिनों दो बयानों पर विवाद हुआ था। दशहरे पर नागपुर में कार्यकतार्ओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में आर्थिक तथा विकास नीति रोजगार उन्मुख हो, यह अपेक्षा स्वाभाविक ही कही जाएगी, लेकिन रोजगार यानी केवल नौकरी नहीं यह समझदारी समाज में भी बढ़ानी पड़ेगी। इसी तरह उन्होंने कहा था कि एक व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति की जरूरत है। जो सभी पर बराबरी से लागू होती हो। राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या असंतुलन पर हमें नजर रखनी होगी।