आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। राज्य में बालू घाटों की नीलामी का संकट गहराता जा रहा है। राज्य सरकार ने अब तक सिर्फ 21 घाटों में नीलामी की स्वीकृति दी है। इसमें से एक भी बालू घाट रांची जिला में नहीं है। वहीं, एनजीटी ने 15 अक्टूबर से बालू घाटों की नीलामी पर लगे रोक हटा दी है। ऐसे में अन्य बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से रियल एस्टेट सेक्टर के साथ-साथ रोजगार पर भी असर पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में होने के कारण बालू घाटों से रोजगार भी सृजन होता है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ ग्रामीण इलाकों में बालू घाटों में लगे कामगारों की संख्या लगभग दस से पंद्रह हजार होगी। लेकिन सभी बालू घाट नीलाम नहीं होने से इन पर रोजगार का संकट है।
रांची समेत अन्य इलाकों में रियल एस्टेट प्रभावित:
व्यवसायियों की मानें तो बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से रियल एस्टेट के साथ-साथ सरकारी प्रोजेक्ट्स तक प्रभावित हैं, जिन्हें अति आवश्यक है वे, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा जैसे राज्यों से बालू अब भी मंगा रहे है। वहीं, 15 अक्टूबर से राज्य में एनजीटी की रोक हटा दी गयी, लेकिन अभी तक विभाग ने अन्य बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इससे व्यवसायी परेशान है। ऐसे में करोड़ों का कारोबार एनजीटी की रोक हटने के बाद भी प्रभावित रह सकता है।
इन जिलों में घाट नीलाम
चतरा, सरायकेला-खरसावां, कोडरमा, दुमका, देवघर, हजारीबाग, खूंटी और गुमला जिले के बालू घाट नीलाम किये गये हैं। वहीं, इन जिलों को छोड कर शेष जिलों (रांची सहित) में अब तक एक भी बालू घाट का टेंडर नहीं किया गया है। वर्तमान में स्टॉकिस्ट के माध्यम से बालू की बिक्री हो रही है, जिसकी कीमत प्रति हाइवा 80 हजार तक वसूली जा रही है।