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    Home»विशेष»तेजस्वी यादव को कहीं अभिमन्यु बनाने की तैयारी तो नहीं
    विशेष

    तेजस्वी यादव को कहीं अभिमन्यु बनाने की तैयारी तो नहीं

    azad sipahiBy azad sipahiOctober 3, 2022No Comments10 Mins Read
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    • सियासत : नीतीश और भाजपा की आपसी प्रतिद्वंद्विता में राजनीतिक चक्रव्यूह में घिर सकते हैं तेजस्वी

    लोकसभा के 2024 के चुनाव को लेकर अभी से बिहार में राजनीतिक अखाड़ा सज चुका है। वहां के तमाम पहलवान अखाड़े की परिक्रमा कर रहे हैं। अपने-अपने हिसाब से टीम का चयन कर रहे हैं और तरह-तरह के प्रलोभन भी दिये जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रलोभन तेजस्वी यादव को मिल रहा है- बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का। तो क्या सच में तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं? यह सवाल बिहार की राजनीतिक फिजा में घोला जाने लगा है। राजद नेता ही नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता भी तेजस्वी की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी के लिए बेताब दिखाई पड़ रहे हैं। तेजस्वी यादव को 2023 में बिहार का मुख्यमंत्री बनाये जाने का सबसे मजबूत दावा राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने किया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जायेगी और नीतीश कुमार देश के लिए काम करेंगे। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने भी कहा है कि आजकल में तेजस्वी यादव की ताजपोशी तय है। और तो और जिस सुशील मोदी को भाजपा ने नीतीश मोह में फंसने के कारण बिहार की राजनीति से बेदखल कर दिल्ली भेज दिया था, उस सुशील मोदी ने भी बिहार की राजनीतिक हवा में एक फॉर्मूला छोड़ दिया है कि कैसे तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने लालू यादव को यह ज्ञान भी बांट दिया है कि नीतीश जी का इंतजार मत कीजिये। गठबंधन तोड़िए। पांच विधायकों को मिला लीजिए। स्पीकर आपका है।

    नीतीश जी कुछ नहीं कर पायेंगे और आपका बेटा मुख्यमंत्री बन जायेगा। सुशील मोदी का तेजस्वी के लिए फार्मूले का ज्ञान देना और जगदानंद सिंह की लालसा आपस में मैच खाती है। इधर बिहार में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे और बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे ने बिहार की राजनीति में एक नया ट्विस्ट ला दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बजाय तेजस्वी यादव के पास भेज कर यह स्पष्ट कर दिया है कि राजद विधायकों की नजर में नीतीश कुमार का क्या महत्व है। गौर करनेवाली बात है कि सुधाकर सिंह 2010 में पिता जगदानंद सिंह से बगावत कर भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। बाद में वे राजद के टिकट पर विधायक बने। कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के बाद नीतीश मंत्रिमंडल का यह दूसरा विकेट गिरा है। आखिर बिहार की राजनीति में तेजस्वी को अभिमन्यु क्यों बनाया जा रहा है, यह सोचने वाली बात है। महाभारत की कहानी आपको यादव होगी। युद्ध में जाने से पहले अभिमन्यु को लेकर भीष्म पितामह से लेकर विरोधी दल के दूसरे तमाम योद्धा उनकी शौर्य गाथा का बखान करते नहीं थकते थे, लेकिन जब युद्ध शुरू हो गया और अभिमन्यु युद्ध में कूद पड़े, तो उनकी शौर्य गाथा का बखान करनेवालों की सेना ने ही उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और एक अकेले बालक को युद्ध के मैदान में मार गिराया। क्या नीतीश की प्रधानमंत्री बनने की लालसा तेजस्वी को अभिमन्यु जैसी स्थिति में लाने को बाध्य कर देगी! आखिर क्यों बिहार में तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की बात अचानक हवा में तैरायी जा रही है। तेजस्वी को अभिमन्यु के रूप में पेश करने की शुरूआत शिवानंद तिवारी के बयान से शुरू हुई। शिवानंद तिवारी ने आरजेडी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में तेजस्वी के सीएम बनने की बात कही थी।

    उन्होंने यह कहा था कि नीतीश कुमार को आश्रम चले जाना चाहिए और बिहार की गद्दी तेजस्वी यादव को सौंप देनी चाहिए। तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा पर जब नीतीश कुमार से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा-छोड़िए यह सब बात, इसकी चिंता मत कीजिए। शिवानंद तिवारी से शुरू हुई कहानी अब जगदानंद सिंह और विरोधी दल के नेता सुशील मोदी के मुखारबिंद से सुनायी जाने के पीछे का राज क्या है! सबको पता है कि जब तक नीतीश कुमार को अपनी पूरी कीमत या सुरक्षित जगह नहीं मिल जाती, तब तक वह सत्ताच्युत होना नहीं चाहेंगे। कुर्सी के लिए वह कोई भी समझौता करने से नहीं झिझकेंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर एक बार उनके हाथ से सत्ता की कुर्सी फिसली, तो उन्हें अपनी पार्टी बचाना भी मुश्किल होगा। ऐसे में फिर अचानक तेजस्वी का नाम उछालने के पीछे रणनीति क्या है। किसने बिहार की राजनीति में चिंगारी सुलगाने की बिसात बिछायी है। आखिर तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने से भाजपा को क्या फायदा होगा कि सुशील मोदी बिन बुलाये मेहमान की तरह तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का फार्मूला बांटते फिर रहे हैं। इन सवालों का जवाब तलाशती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह की विशेष रिपोर्ट।

    अब हम आपको कभी नीतीश कुमार के दोस्त रहे शिवानंद तिवारी के उस बयान की ओर ले जाते हैं, जब उन्होंने आरजेडी की राष्टÑीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार को राजनीति से वीआरएस लेकर आश्रम में चले जाने की सलाह दे डाली थी। उन्होंने था कि 2025 में नीतीश जी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनवाइये और उसके बाद मैं भी आपके साथ आश्रम में चलूंगा और वहां राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा। राजद की राज्य परिषद की बैठक में सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, डिप्टी तेजस्वी यादव समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। उस समय शिवानंद तिवारी के बयान से जदयू तिलमिला गया था और कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। जदयू पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उस समय ट्विट किया था कि नीतीश जी अभी आश्रम नहीं खोलनेवाले हैं। करोड़ों देशवासियों की दुवाएं उनके साथ हैं। जो चाहते हैं कि नीतीश जी सत्ता के ऊंचे से ऊंचे शिखर पर रहते हुए बिहारवासियों के साथ देशवासियों की सेवा करते रहें। मुझे लगता है कि यदि आपको (शिवानंद तिवारी) जरूरत है, तो कोई और आश्रम की तलाश कर लेनी चाहिए। इस बयान की तल्खी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि उसके बाद इस चिंगारी में बारूद का काम किया आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बयान ने। फिलहाल जगदानंद बाबू के बयान पर आरजेडी-जेडीयू आमने-सामने हैं। दरअसल, एक निजी चैनल से बात करते हुए जगदानंद सिंह ने कहा था कि तेजस्वी यादव 2023 में बिहार के मुख्यमंत्री बन जायेंगे। जगदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार 2022 बीतने के बाद 2023 में देश की लड़ाई लड़ेंगे। नीतीश कुमार बिहार के भविष्य की लड़ाई तेजस्वी यादव के हाथों सौंप देंगे। जगदानंद सिंह ने यह भी कहा कि देश नीतीश कुमार का इंतजार कर रहा है और बिहार तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का। वहीं भाजपा लालू यादव को तेजस्वी को सीएम बनाने का फॉर्मूला सुझा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर खुद तेजस्वी का बयान आ गया है।

    पटना में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। हमारी कोई लालसा नहीं है कुछ बनने की। हमारा एकमात्र लक्ष्य था कि भाजपा और आरएसएस को गद्दी से कैसे हटाया जाये। बिहार से हमने उन्हें हटाया और अब केंद्र से हटाना है। गौरतलब है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी नीतीश कुमार को देश की राजनीति करने की सलाह दे रहे हैं। नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा होंगे या नहीं, इस पर तो अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। लेकिन तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव, सीएम की गद्दी खाली करने के लिए नीतीश कुमार को लेकर दिल्ली में सोनिया दरबार तक जा चुके हैं।

    जुबान फिसली या कुछ और बात है
    नीतीश कुमार अभी पिछले हफ्ते ही पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मंच पर उपस्थित तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री कह कर संबोधित कर दिया। इतना सुनते ही कार्यक्रम में मौजूद हर व्यक्ति हैरान रह गया और नीतीश कुमार की तरफ देखने लगा। अब भले ही यह सिर्फ जुबान फिसलने की वजह से हुआ हो, लेकिन बात जब राजनीति के महीन खिलाड़ी नीतीश कुमार की हो, तो चर्चा होना स्वाभाविक है।

    भविष्य की तैयारी कर रहे नीतीश?
    पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रमों को देखा जाये तो नीतीश कुमार दिल्ली की राजनीति में काफी सक्रिय हुए हैं। अभी से उनके समर्थक 2024 में उन्हें विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखने लगे हैं। अब भले ही नीतीश कुमार इस बारे में खुल कर न बोल रहे हों, लेकिन जिस तरह से वह विपक्ष को एक करने में जुटे हैं, उसको देख कर यही लग रहा है कि नीतीश के मन में बहुत कुछ चल रहा है।

    सुशील मोदी ने लालू को बताया तेजस्वी को सीएम बनाने का फॉर्मूला
    इधर, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को तेजस्वी को सीएम बनाने का फॉर्मूला सुझाया है। जगदानंद सिंह के बयान पर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी कभी नहीं छोड़ेंगे। हां ये हो सकता है कि लालू यादव, जदयू के चार-पांच विधायकों को तोड़ कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना दें। सुशील मोदी ने कहा कि हालांकि नीतीश और लालू में यह समझौता हो गया है कि तेजस्वी को गद्दी नीतीश कुमार सौपेंगे और और खुद दिल्ली की राजनीति करेंगे। लेकिन नीतीश कुमार की फितरत ही धोखा देने की है। नीतीश कुमार लगातार लोगों को धोखा देते रहे हैं। पहले मांझी को धोखा दिया, फिर लालू यादव को दो बार धोखा दिया। उन्होंने बीजेपी को भी धोखा दिया। ऐसे में राजद को खुद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति बनानी चाहिए।

    राजद नेता सुधाकर सिंह का इस्तीफा भी बहुत कुछ कहता है
    कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के बाद अब नीतीश सरकार में कृषि मंत्री और राजद नेता सुधाकर सिंह ने भी मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपना त्याग पत्र सौंप दिया है। हालांकि, अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। इस्तीफे की पुष्टि राजद के प्रदेश अध्यक्ष और सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने भी की है। जगदानंद सिंह ने कहा कि कृषि मंत्री किसानों के हक में अपनी आवाज उठा रहे थे, लेकिन अंत में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया, ताकि लड़ाई आगे नहीं बढ़े। बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बिहार की राजनीति में अचानक यह कह कर उबाल ला दिया कि उनके विभाग में भ्रष्टाचारियों की फौज है और वह उनके सरदार हैं। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा था कि हमारे ऊपर भी और कई सरदार मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ये वही पुरानी सरकार है। इसके चाल चलन पुराने हैं। हम लोग तो कहीं-कहीं हैं, लेकिन जनता को लगातार सरकार को आगाह करना होगा। बता दें कि सुधाकर सिंह, कैमूर जिले के रामगढ़ से पहली बार विधायक बने हैं। सुधाकर सिंह वर्तमान राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। सुधाकर सिंह 2010 में पिता से बगावत कर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन वे चुनाव हार गये थे।

    राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने से नीतीश कुमार की जदयू भी खुद को टूटने से बचा नहीं पायेगी। जदयू के नेताओं में भगदड़ वाली समस्या का जन्म हो जायेगा। क्योंकि सत्ता बिना जदयू सर्वाइव ही नहीं कर सकती। वहीं भाजपा को तेजस्वी यादव को घेरने में आसानी हो जायेगी, क्योंकि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं और उसकी जांच सीबीआइ कर रही है। भाजपा का बिहार को लेकर अलग तरह का गेम प्लान है। भाजपा एक तरफ जहां नीतीश कुमार को सबक सिखाना चाहती है तो दूसरी तरफ बिहार में अपनी बैठ गहरा करना चाहती है। इसके लिए भाजपा को बिहार में खुद के बीच से नेता तैयार करना होगा। नीतीश कुमार को भाजपा ने ही मजबूत किया था। यह अलग बात है कि नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा को ही गच्चा दे दिया। भाजपा यह अच्छी तरह जानती है कि जब तक राजद को जदयू से अलग नहीं किया जायेगा, तब तक नीतीश कुमार को हिलाना मुश्किल है। भाजपा इसी फिराक में है कि कुर्सी के सवाल पर नीतीश और तेजस्वी में फूट हो जाये। इसीलिए फार्मूला सुझाया जा रहा है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी मिलेगी या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतना जरूर है कि अगर तेजस्वी ने ज्यादा उछल-कूद की, तो उन्हें भाजपा और जदयू दोनों अभिमन्यु बना कर राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसा देंगे।

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