आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ‘नेताजी’ यानी मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह निधन हो गया। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम 82 साल के थे। उनका गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में 50 दिन से इलाज चल रहा था। यूरिन और बीपी की प्रॉब्लम बढ़ने के बाद 2 अक्टूबर को उन्हें आइसीयू में शिफ्ट किया गया था। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ती गयी। अंतत: वह मौत से हार गये। निधन के बाद बेटे अखिलेश यादव ने जानकारी दी। उन्होंने कहा ‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेताजी नहीं रहे।’

पार्तिव शरीर सैफई पहुंची:
मुलायम के निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन और बिहार में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। अंतिम संस्कार के लिए मुलायम की पार्थिव देह सैफई स्थित पैतृक निवास लायी गयी है। मंगलवार दोपहर तीन बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं और आम लोगों ने शोक जताया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को श्रद्धांजलि देने के लिए मेदांता भी पहुंचे थे।

राजनाथ और योगी अंतिम संस्कार में होंगे शामिल:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी के सोमवार शाम को सैफई पहुंचे और श्रद्धांजलि दी। यहां लगातार नेता, र्कायकर्ता और समर्थक श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। अंतिम संस्कार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी भी मौजूद रहेंगे।

तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री और सात बार सांसद रहे:
जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति की। मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के सीएम रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गये।

1992 में सपा बनाई, फिर सियासत के महारथी बन गये:
मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी। मुलायम सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इस ऐलान के एक महीने बाद यानी 4 और 5 नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया। इसके बाद नेताजी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थायी मुकाम बना लिया।
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