रांची। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच में खुलासा हुआ है कि भाकपा माओवादी संगठन के सेंट्रल कमिटी मेंबर विजय आर्य माओवादी की विचारधारा का प्रचार और संगठन में भर्ती करने में शामिल था। इस मामले में एनआइए ने विजय आर्य और उमेश चौधरी के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। एनआइए द्वारा दायर की गयी चार्जशीट में कहा गया है, कि माओवादी के केंद्रीय समिति सदस्य आरोपी विजय कुमार आर्य ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ भाकपा माओवादी की विचारधारा का प्रचार करने, संगठन में भर्ती करने और दूसरों को प्रेरित करने में सक्रिय रूप से शामिल था। आरोपी उमेश चौधरी ने आरोपी विजय कुमार आर्य को बिहार के रोहतास स्थित अपने घर में शरण दी थी और वह भाकपा माओवादी की गतिविधियों को आगे बढ़ाने की साजिश का हिस्सा था।
माओवादियों को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली थी
विजय आर्य को झारखंड-बिहार में माओवादियों को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली थी। संगठन विस्तार के दौरान उन्हें बीते 12 अप्रैल 2022 को बिहार के रोहतास से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से वे पटना के बेउर जेल में बंद हैं। इससे पहले उन्हें 30 अप्रैल 2011 को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वो अपने सेंट्रल कमेटी के साथी सुब्रमण्यम, पुलेंदु शेखर मुखर्जी के साथ कटिहार के बारसोई पहुंचे थे। अपने स्थानीय साथियों की लापरवाही से तीनों पुलिस के हत्थे चढ़ गये थे। उस समय विजय आर्य पर बिहार, झारखंड, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, पंजाब में नक्सली गतिविधियों के कुल 14 प्राथमिकी दर्ज थे। कानूनी लड़ाई के बाद विजय आर्य बीते 13 सितंबर 2018 को रिहा हो गये थे। उन्हें बिहार के सासाराम जेल से रिहा किया गया था।
नक्सलियों के टॉप कमांडर हैं विजय आर्य
साल 2018 में जेल से रिहा होने के बाद टॉप नक्सली कमांडर में से एक विजय आर्या को झारखंड और बिहार के कई इलाकों में संगठन को मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी। जानकारी के मुताबिक माओवादियों के चाल्हो सब जोन को एक्टिवेट करने की जिम्मेदारी उसे सौंपी गयी थी। चाल्हो जोन में गया, औरंगाबाद और पलामू के इलाके को रखा जाता है। इस जोन में माओवादी 2005 के बाद बेहद कमजोर हो गये थे। विजय आर्या बिहार के गया के रहने वाले हैं। साल 2018-19 में माओवादियो की बड़ी बैठक छकरबंधा में हुई थी। इस बैठक में एक करोड़ के इनामी माओवादी प्रशांत बोस ने भाग लिया था। इसी बैठक में विजय आर्य को कई इलाकों में माओवादियों को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।