रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने रतन हाइट्स के पुराने बिल्डर नरेंद्र बुटाला को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई आज हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने अंतिम बहस के लिए एक नवंबर की तिथि निर्धारित की।

मोरहाबादी स्थित रतन हाइट्स मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ बिल्डर वीकेएस रियलिटी और लैंड ओनर की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में सभी पक्षों की ओर से बहस की गई। प्रतिवादी रतन हाइट्स रेसीडेंशियल सोसायटी की ओर से अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा, अधिवक्ता इंद्रजीत सिंह एवं फ्लैट ओनर की ओर से अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने पैरवी की, जबकि रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर ने पैरवी की।

रतन हाइट्स की ओर से बताया गया कि मामले में एकल पीठ ने उनके पक्ष में फैसला दिया है, लेकिन बिल्डर एवं लैंड ओनर ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है। इसी मामले की अवमानना याचिका पर तीन नवंबर को सुनवाई होनी है। प्रतिवादी की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि एकल पीठ के आदेश के बावजूद बिल्डर ने रतन हाइट के बहु मंजिला इमारत के बगल में स्थित गड्ढे को नहीं भरा है। हाल ही में रांची में हो रही भारी बारिश की वजह से रतन हाइट्स की एक और बाउंड्री को गिर गई थी। बाउंड्री वॉल गिरने के कारण गड्ढे का पानी रतन हाइट्स की नींव के भीतर प्रवेश करने की आशंका पैदा हो गयी है इससे इस बहुमंजिला इमारत को खतरा बढ़ गया है।

रतन हाईट्स बिल्डिंग रेसिडेंशियल सोसाइटी की याचिका पर हाई कोर्ट ने इस वर्ष जुलाई माह में अपना फैसला सुनते हुए नगर आयुक्त द्वारा संशोधित नक्शा पास किए जाने के आदेश एवं संशोधित नक्शे को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 46 कट्ठा पर जो कॉमन एरिया था वह कॉमन एरिया ही रहेगा। कोर्ट ने लैंड ओनर और बिल्डर वीकेएस रियलिटी को गड्ढा भरने और यदि उसमें कोई कंस्ट्रक्शन किया है तो उसे हटाने, रिटेनिंग वॉल हटाने और उस जमीन को एक माह में सोसाइटी को हैंड ओवर करने का दिया निर्देश दिया था । कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 86 कट्ठा का नक्शा पास हुआ था वह सही था, उसमें कॉमन एरिया डिसाइडेड था। इसलिए 86 कट्ठा में से 46 कट्ठा को अलग कर उसका संशोधित नक्शा पास करना गलत है।

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