रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के ऊपर लातेहार के बालूमाथ थाने में दायर प्राथमिकी को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी निर्दोष व्यक्ति को अदालत के सामने बदनीयती से गलत प्राथमिकी दर्ज कर फंसाया जाएगा तो अदालत को हस्तक्षेप करना ही पड़ता है। हाई कोर्ट ने कहा कि पूरी प्लानिंग करके शिकायतकर्ता ने प्राथमिकी में ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया है, जिससे लगाई गई धाराओं को बल मिल सके।
मंटु राम ने प्रतुल शाहदेव पर मारपीट करने, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने तथा हत्या का प्रयास करने का आरोप लगा कर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। गवाहों की सूची में एजाज अंसारी, पूर्व पत्रकार आदर्श रविराज आदि का नाम दिया था। इसके बाद प्रतुल शाहदेव ने अपने आवेदन में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उनके द्वारा शासन-प्रशासन के गठबंधन से चंदवा के अभिजीत प्लांट में चलाए जा रहे स्क्रैप की लूट के खिलाफ आवाज उठाई गयी थी। इसी कारण स्क्रैप माफिया की शह पर यह प्राथमिक दर्ज की गई।
जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की पीठ में शनिवार को प्रतुल शाहदेव की ओर से वरीय अधिवक्ता और पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने दलील देते हुए इस पूरी प्राथमिकी को स्क्रैप माफिया की साजिश बताया। दस्तावेज पेश कर कोर्ट में शिकायतकर्ता और गवाहों के आपराधिक इतिहास को भी दिखाया। उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने में छह महीने के विलंब पर भी सवाल किया।