बेगूसराय। पंजाब एवं मध्य प्रदेश में उगाई जाने वाली गेहूं की सबसे पुरानी प्रजाति सोना-मोती अब बेगूसराय के किसान खेतों में उगा रहे हैं। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार प्रयास कर रही है। छौड़ाही प्रखंड के साउंत में तीन दिवसीय जैविक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन किसान सलाहकार अनीश कुमार ने सोना-मोती गेहूं के संबंध में किसानों को जानकारी दी गई।

अनीश कुमार ने किसानों को बताया कि सोना-मोती गेहूं को हड़प्पा काल में उगाया जाता था। गेहूं की इस सबसे पुरानी प्रजाति में अन्य गेहूं की प्रजाति के मुकाबले तीन गुना अधिक फोलिक एसिड होता है। इस गेहूं का दाना लंबा नहीं, बल्कि गोल होता है। सेहत के लिए इस गेहूं का सेवन काफी फायदेमंद बताया जाता है। इसी वजह से किसान भी अब खेती करने के लिए आगे आने लगे हैं। छौड़ाही प्रखंड के एकंबा पंचायत में यह खेती पिछले तीन वर्षों से की जा रही है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष बिहार सरकार कृषि विभाग की ओर से एक सर्वे भी किया गया है कि इस देसी प्रजाति की खेती कहां-कहां किसान कर रहे हैं। सरकार की मंशा है कि इस विलुप्त हो रहे देसी प्रजाति की खेती किसान ज्यादा से ज्यादा करें। जिससे स्वास्थ्य के अलावा किसानों की आय में भी वृद्धि हो सके। इस गेहूं में अन्य गेहूं के तुलना में अधिक फोलिक एसिड पाया जाता है। इसमें 267 प्रतिशत अधिक खनिज और 40 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है।

फोलिक एसिड की कमी के कारण असमय बालों का सफेद होना तथा मुंह में छाले और जीभ में सूजन होने जैसी समस्या उत्पन्न होती है। इसके सेवन से इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इस गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा कम होती है, इसके साथ ही ग्लाइसेमिक तत्व भी कम होता है। जिसके कारण डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है। अन्य गेहूं की तुलना में इसका बाजार भाव भी सर्वाधिक है, इस वर्ष यह गेहूं दस हजार रुपये क्विंटल तक बिक रहा है।

पोषक तत्वों से भरपूर होने के चलते इस गेहूं की मांग दूसरे गेहूं के मुकाबले ज्यादा है। इस गेहूं की पैदावार प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक होती है। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बेगूसराय जिले के कई प्रशिक्षकों ने किसानों को प्रशिक्षण दिया। जिनमें डंडारी के जयशंकर प्रसाद सिंह, विक्रमपुर के रामकुमार सिंह एवं कृषि पदाधिकारी ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने प्रशिक्षण दिया। मौके पर प्रखंड प्रमुख सतीश कुमार, किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक एवं कृषि पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

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