काठमांडू। नेपाल के कोशी प्रदेश में सिर्फ एक सांसद की कमी के कारण पिछले चार महीने में चौथी बार सरकार गिर गई है। बहुमत के लिए आवश्यक संख्या में सिर्फ एक सांसद की कमी होने से मुख्यमंत्री हिक्मत कार्की ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

बहुमत साबित करने के आज आखिरी दिन कार्की ने बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण सदन में मतदान से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी एमाले के संसदीय दल के नेता रहे कार्की दूसरी बार बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण पद छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता रहे कार्की को आवश्यक बहुमत 47 से एक सांसद की कमी रह गई। इससे पहले भी जब आम चुनाव के बाद पहली बार सरकार बनी थी, तब भी कार्की ही मुख्यमंत्री बने थे। उस समय भी आवश्यक बहुमत से एक वोट की कमी के कारण उनकी सरकार गिर गई थी।

बीच में नेपाली कांग्रेस ने माओवादी सहित अन्य गठबन्धन दलों की सरकार रही। नेपाली कांग्रेस संसदीय दल के नेता उद्धव थापा के नेतृत्व में दो बार सरकार बनी थी लेकिन दोनों बार ही एक सांसद की कमी के कारण उनकी भी सरकार गिर गई। पहली बार में सदन के सभामुख के मत को जोड़कर आवश्यक बहुमत पहुंचाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस सरकार को ही अवैध घोषित कर दिया और उद्धव सरकार को बर्खास्त कर फिर से सरकार गठन का आदेश दिया।

दूसरी बार भी सरकार बनाने की कवायद में कांग्रेस ने अपने स्पीकर को इस्तीफा दिलवा कर बहुमत साबित करने की चाल चली। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर और इन दोनों की अनुपस्थिति में सदन के सबसे ज्येष्ठ सदस्य को स्पीकर का दायित्व देने का प्रावधान है। कांग्रेस गठबन्धन की इस चाल को भांपते हुए स्पीकर की इस्तीफे के बाद बहुमत साबित करने से ठीक एक दिन पहले नाटकीय घटनाक्रम में विपक्षी दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की नेता रही डिप्टी स्पीकर तबीयत खराब का बहाना कर अस्पताल में दाखिल हो गईं। उसके बाद ज्येष्ठ सदस्यों में पांच विधायक विपक्षी दल के पास थे। बहुमत जुटाने के दिन सत्ता पक्ष की चाल को मात देने के लिए ये पांचों सदस्य अनुपस्थित हो गए।

नेपाली कांग्रेस की सरकार बचाने के लिए छठे वरीयता क्रम के सदस्य कांग्रेस के ही एक विधायक को कार्यवाहक स्पीकर की जिम्मेदारी दी गई। स्पीकर ने मतदान कराया और खुद भी सरकार के पक्ष में मतदान कर दिया। कोर्ट ने इसको मान्यता नहीं दी और दूसरी बार उद्धव थापा की सरकार गिर गई। संविधान के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़े दल के नाते एमाले संसदीय दल के नेता हिक्मत कार्की को फिर से मुख्यमंत्री नियुक्त करने का परमादेश तो दिया लेकिन कार्की अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए और शनिवार को उनको पद छोड़ना पड़ा।

सदन में कार्की ने कहा कि मध्यावधि चुनाव रोकने के लिए उन्होंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया लेकिन वो असफल रहे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एमाले मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है। हालांकि नेपाल के संविधान में यह उल्लेख है कि जब सबसे बड़े गठबन्धन या सबसे बड़े दल भी बहुमत साबित करने में अक्षम हो जाए तब सदन के किसी भी एक सदस्य के पास भी बहुमत हो जाता है तो उसको भी सरकार का नेतृत्व करने का अवसर दिया जाएगा।

अब कोशी प्रदेश में आखिरी बार सरकार बनाने का प्रयास किया जाएगा। अगर किसी भी पार्टी के किसी भी विधायक को राज्यपाल के पास सदन की कुल संख्या 93 में आवश्यक बहुमत 47 विधायकों का समर्थन मिल जाता है तो सरकार गठन होने की संभावना बनी रहेगी। इस समय एमाले गठबन्धन के पास 46 विधायक हैं जबकि कांग्रेस गठबन्धन के पास 47 विधायक हैं। फिलहाल, स्पीकर की सीट पर बैठे विधायक को वोट देने के अधिकार को लेकर संविधान में कुछ भी स्पष्ट उल्लेख नहीं होने कारण सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर द्वारा दिए गए वोट को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version