Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 18
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»‘औकात’ और ‘धोखेबाज-चिरकुट’ के बीच दम तोड़ता इंडी अलायंस
    Breaking News

    ‘औकात’ और ‘धोखेबाज-चिरकुट’ के बीच दम तोड़ता इंडी अलायंस

    azad sipahiBy azad sipahiOctober 23, 2023Updated:October 23, 2023No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच जारी तू-तू-मैं-मैं के साथ अब ब्रेकअप लगभग तय

    गठबंधन के दूसरे दलों के भीतर से भी उठने लगी कांग्रेस की चौधराहट के विरोध में आवाज

    2024 में होनेवाले संसदीय चुनाव से पहले पूरे ताम-झाम से बना विपक्ष का इंडी अलायंस (आइएनडीआइए) अभी से ही बिखरने लगा है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच जारी तू-तू-मैं-मैं और ‘कमजोर’ और ‘धोखेबाज-चिरकुट’ जैसे विशेषणों के आदान-प्रदान के बाद अब यह लगभग तय हो गया है कि इस गठबंधन से समाजवादी पार्टी का मोहभंग हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए यहां तक कह दिया कि उन्हें अगर पहले पता होता कि यह गठबंधन केवल राष्ट्रीय स्तर के लिए है, तो वह गठबंधन करते ही नहीं। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस को ‘धोखेबाज’ करार देते हुए उसके नेताओं से कहा कि वे अपने ‘चिरकुट’ नेताओं से बयानबाजी कराना बंद करें। इससे पहले यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने मध्यप्रदेश में सपा द्वारा उम्मीदवार खड़े किये जाने को लेकर उस पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश में कोई ‘औकात’ नहीं है। इन दोनों पार्टियों के बीच इन विशेषणों के आदान-प्रदान के साथ विपक्षी गठबंधन में ब्रेकअप की शुरूआत हो गयी है और अब यह तय हो गया है कि यूपी में लोकसभा का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय ही होगा। इतना ही नहीं, बंगाल और दिल्ली-पंजाब में भी कांग्रेस की चौधराहट का विरोध होने लगा है। कांग्रेस और सपा के बीच जारी कलह की पृष्ठभूमि में विपक्षी गठबंधन की लगातार कमजोर होती इस हालत का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    अगले साल के पूर्वार्द्ध में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दल हर दिन नयी परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। महज एक महीने पहले पूरे ताम-झाम से बनाये गये विपक्षी दलों के इंडी अलायंस या आइएनडीइए गठबंधन के भीतर भी अभी से ही उठापटक शुरू हो गयी है। इसके साथ ही अब लगने लगा है कि यह गठबंधन चुनावों से पहले ही खत्म हो जायेगा।

    कैसे शुरू हुआ मतभेद
    दरअसल, मध्यप्रदेश में अगले महीने होनेवाले विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तनातनी शुरू हुई। कांग्रेस ने राज्य की कम से कम छह सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को उतारने का वादा किया था, लेकिन सूची जारी करते समय वह इसे भूल गयी। इससे अखिलेश नाराज हो गये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया है। इसके बाद उन्होंने राज्य की 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिये। इसके कारण लोकसभा चुनाव में गठबंधन होने की संभावनाओं पर बड़ा पेंच फंस गया।

    क्या कहा अखिलेश यादव ने
    मध्यप्रदेश में दोनों दलों के बीच कोई गठबंधन न होने से समाजवादी पार्टी नाराज है और उसके नेता अखिलेश यादव ने साफ कह दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व को यह तय करना है कि आइएनडीआइए गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर होगा या प्रदेश के स्तर पर। उन्होंने कहा कि यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के लिए कोई सीट नहीं छोड़ती है, तो उसे लोकसभा चुनावों में यूपी में गठबंधन की बात भूल जानी चाहिए, यानी लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन पर ग्रहण लग गया है। अखिलेश यादव ने यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय को ‘चिरकुट’ नेता बताते हुए कांग्रेस को सलाह दी है कि वह अपने इन नेताओं से सपा के खिलाफ बयानबाजी न कराये।

    क्या कहा अजय राय ने
    मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा प्रत्याशी की सूची जारी किये जाने पर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कह दिया कि मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी की कोई ‘हैसियत’ नहीं है और वह ‘औकात’ में रह कर ही बात करे। इस तरह दोनों दलों के बीच तू-तू-मैं-मैं तेज हो गयी। अजय राय ने कहा कि उनकी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता यूपी में पार्टी को मजबूत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पार्टी यूपी की सभी सीटों पर अपनी तैयारी कर रही है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यह तय करना है कि उसे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में जाना है या नहीं। लेकिन समझौता होने पर भी समाजवादी पार्टी को कांग्रेस के राजनीतिक कद को ध्यान में रखना होगा। उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव होने पर केवल राहुल गांधी ही मोदी के विरुद्ध एक विकल्प हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि अखिलेश यादव भाजपा को हराने के लिए संकल्पबद्ध हैं, तो उन्हें हर उस स्थान पर कांग्रेस को मजबूत करना चाहिए, जहां पार्टी मजबूत है।

    कांग्रेस का स्टैंड
    दूसरी तरफ कांग्रेस नेता भी समाजवादी पार्टी के सामने झुकना नहीं चाहते। पार्टी के नेताओं का मानना है कि कर्नाटक-हिमाचल प्रदेश में मिली जीत के बाद कांग्रेस इस समय मजबूत स्थिति में है। इस समय चल रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कम से कम चार राज्यों में उसकी सरकार बन सकती है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इन चुनावों के बाद पार्टी की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मजबूत नेता के तौर पर उभर सकते हैं। पार्टी को इसका सीधा लाभ लोकसभा चुनावों में हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं का अनुमान है कि पार्टी को एक बार फिर मजबूती से खड़ा करने के लिए यह बिल्कुल सही समय है और उसे अपने दम पर आगे बढ़ना चाहिए।

    सपा को साथ लेने से लाभ या नुकसान
    हालांकि कांग्रेस को समाजवादी पार्टी का साथ लेने से उसे लाभ होगा या नुकसान, इस पर पार्टी नेताओं की राय बंटी हुई है। ज्यादातर नेता मानते हैं कि समाजवादी पार्टी की जिस तरह नकारात्मक छवि बनी हुई है, उसे देखते हुए कांग्रेस को उसके साथ गठबंधन में नहीं जाना चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इसके पहले भी पार्टी ने समाजवादी पार्टी से यूपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था। परिणाम हुआ कि पार्टी केवल सात सीटों पर सिमट गयी। समाजवादी पार्टी का नकारात्मक प्रदर्शन और आपराधिक छवि के नेताओं के साथ दिखने का समाजवादी पार्टी का बोझ कांग्रेस पर भारी पड़ा। इन नेताओं का मानना है कि यदि पार्टी अपने दम पर लड़ी होती, तो वह ज्यादा बेहतर कर सकती थी।

    मुसलमान अब सपा के साथ नहीं
    वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विकल्प को सत्ता में लाने के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी का साथ दिया। लेकिन इसके बाद भी सपा भाजपा को टक्कर देने में असफल रही। इसका कारण यही रहा कि भाजपा ने समाजवादी पार्टी के शासन में हुई आपराधिक घटनाओं को मुद्दा बनाया और जनता को सुरक्षा देने का वादा किया। यह मुद्दा चल गया और समाजवादी पार्टी समाज के बड़े हिस्से के समर्थन के बाद भी कोई कमाल नहीं कर सकी। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि सपा अभी अपनी उस छवि से बाहर नहीं निकल पायी है और उसके साथ गठबंधन में जाने से नुकसान होगा। वर्ष 2022 में भाजपा के सामने एक विकल्प के लिए मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया था, लेकिन उन्होंने पाया कि इसके बाद भी सपा भाजपा को रोक पाने में असफल रही। इस कारण उनमें सपा को लेकर संदेह बढ़ा है। दूसरी ओर, लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और राहुल गांधी ने भाजपा से लड़ने में अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता ज्यादा मजबूती के साथ साबित किया है। यही कारण है कि कर्नाटक से चली हवा आगे बढ़ रही है और माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मुसलमान मतदाता कांग्रेस के साथ पूरी तरह एकजुट हो सकता है। पार्टी नेताओं का मानना है कि उन्हें इस अवसर का लाभ उठा कर देश के सबसे बड़े प्रदेश में अपने आपको मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यूपी में दोनों दलों के बीच समझौता होता भी है, तो उसे ज्यादा सीटों की दावेदारी करनी चाहिए और सपा के सामने झुक कर अपना अस्तित्व दांव पर नहीं लगाना चाहिए।

    गठबंधन के दूसरे दलों में भी कांग्रेस का विरोध
    इधर कांग्रेस के साथ सपा की तनातनी का असर पूरे विपक्षी गठबंधन पर पड़ता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के भीतर भी कांग्रेस के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ घूस लेकर सवाल पूछने के आरोप लगने के बाद पार्टी नेतृत्व की चुप्पी को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। बताया जाता है कि हाल के दिनों में महुआ मोइत्रा की कांग्रेस के साथ नजदीकी बढ़ी है और इससे ममता बनर्जी के करीबी नेता खफा हैं। इसलिए उन्होंने ममता को महुआ मोइत्रा के समर्थन में उतरने से रोक दिया है। उधर आम आदमी पार्टी भी संजय सिंह की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी से नाराज है। पार्टी के नेता कहने लगे हैं कि कांग्रेस केवल सत्ता पाने के लिए ही विपक्षी दलों के साथ आयी है। यदि चुनाव से पहले यह हाल है, तो फिर यदि सत्ता मिल जाती है, तो क्या होगा।

    अवसरवादी गठबंधन नहीं चलेगा : भाजपा
    विपक्षी गठबंधन में जारी इस उठापटक से सबसे अधिक राहत भाजपा को मिली है। यूपी भाजपा ने तो कहा है कि बार-बार यह सामने आ रहा है कि विपक्षी गठबंधन केवल लालची और अवसरवादी नेताओं का जमावड़ा है। उन्हें राष्ट्रहित से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि वे केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के एकमात्र एजेंडे से एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दिल्ली-पंजाब-मध्यप्रदेश में कहीं भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी के साथ उनका गठबंधन टूट चुका है और तृणमूल कांग्रेस राहुल गांधी को जगह देने के लिए तौयर नहीं है। इससे साबित हो जाता है कि यह अवसरवादी गठबंधन टूटना तय है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleयशराज फिल्म्स ने ‘टाइगर 3’ का गाना ‘लेके प्रभु का नाम…’ किया रिलीज
    Next Article सीआईएसएफ ने जम्मू में कोट भलवाल जेल की सुरक्षा का जिम्मा संभाला
    azad sipahi

      Related Posts

      तुर्किये! गलती कर दी, ऑपरेशन दोस्त के बदले खंजर चला दिया

      May 17, 2025

      बलूचिस्तान इज नॉट पाकिस्तान, अलग हुआ तो पाकिस्तान बनेगा कंगालिस्तान

      May 16, 2025

      पाकिस्तान का डर्टी बम खोल रहा किराना हिल्स के डर्टी सीक्रेट्स!

      May 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का मतदान शुरू
      • बादल छाने से गर्मी से राहत, बारिश की संभावना
      • ऑपरेशन सिंदूर: पीएम मोदी ने शशि थरूर को दी बड़ी जिम्मेदारी
      • सेना के सम्मान में कांग्रेस की जय हिंद सभा 20 मई से : केशव महतो कमलेश
      • ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया में भारत का पक्ष रखेंगे सर्वदलीय सात प्रतिनिधिमंडल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version