फाइट आसान नहीं है, सुदेश महतो को पूरी शक्ति झोंकने की जरूरत
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड विधानसभा चुनाव रोचक होता जा रहा है। एनडीए ने अपना सीट शेयरिंग का फार्मूला जनता के सामने जारी कर दिया है। भाजपा ने 66 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम भी जारी कर दिये हैं। नेताओं ने पाला बदलना भी शुरू कर दिया है। जैसे ही उन्हें पता चला कि उन्हें इस बार टिकट नहीं मिलेगा, उन्होंने झट पाला बदल लियाँ। राजनीतिक महत्वकांक्षा ही एक ऐसी आकांक्षा है, जहां विचारधारा को कूड़े के डब्बे में डाल दिया जाता है। लेकिन यह सब नेताओं पर लागू नहीं होता। आज भी कई ऐसे नेता तो पार्टी की मजबूत रीढ़ हैं, जिनके लिए पार्टी की विचारधारा ही मायने रखती है। चाहे कुछ भी हो, वे पार्टी के खिलाफ नहीं जाते, क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने भी पार्टी के लिए पसीना बहाया है। दलबदलुओं के लिए यह नियम लागू नहीं होता। झारखंड में एनडीए की सीट शेयरिंग के हिसाब से भाजपा को 68 सीटें, आजसू को 10 सीटें यानी डबल डिजिट, जदयू को दो सीटें और एक सीट लोजपा रामविलास के हिस्से आयी है। भाजपा ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिये हैं, सिर्फ बरहेट और टुंडी को छोड़ कर। 2014 और 2019 के समीकरणों में बहुत अंतर था।
2014 में मोदी की आंधी थी, तो 2019 में एंटी रघुवर माहौल हो गया था। 2019 में भाजपा-आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका डायरेक्ट असर 20 से अधिक सीटों पर पड़ा था। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में भाजपा-आजसू एनडीए का हिस्सा हैं। इस बार समीकरण और माहौल भी बहुत हद तक अलग है। लेकिन इस बार आजसू के लिए जयराम महतो भी फ्रंट खोले हुए हैं। इस विशेष कड़ी में हम बात करेंगे जो सीटें आजसू के खाते में गयी हैं, उनका 2014 और 2019 में क्या हाल था और 2024 में क्या स्थिति हो सकती है। इसे बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवादताता राकेश सिंह।
2024 के विधानसभा चुनाव का गणित अगर समझना है, तो 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव परिणामों को टटोलने की भी जरूरत है। 2014 में मोदी लहर थी। देश परिवर्तन की मांग कर रहा था। उस लिहाज से झारखंड में भी भाजपा की आंधी चली थी। जब 2014 के विधानसभा चुनाव का परिणाम आया, तो भाजपा को 37 सीटें आयी थीं, यानी 2009 के मुकाबले 19 सीटें ज्यादा और आजसू को पांच। 2009 में भी आजसू के पाले में पांच सीटें ही थीं। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा को 19 सीटें, यानी एक सीट अधिक, तो बाबूलाल मरांडी की जेवीएम को आठ सीटें, तीन सीट कम, तो कांग्रेस को छह सीटें, यानी आठ सीटें कम। राजद का तो नामोनिशान मिट गया था। लेकिन 2019 में भी एक आंधी आयी। एंटी रघुवर आंधी, जिसका डायरेक्ट फायदा हेमंत सोरेन को हो गया। साथ ही कांग्रेस को भी रबड़ी का स्वाद चखने को मिल गया। घसीटते-घसीटते राजद को भी एक चुटकी मेवा मिल ही गया। इस चुनाव में जेएमएम को 30 सीटें मिलीं, यानी 11 सीटों की डायरेक्ट बढ़ोतरी, कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं, यानी 10 सीटों का इजाफा।
यह तो कांग्रेस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि 2009 वाली कहानी लगभग फिर से वह दोहरा पायेगी। 2009 में उसने 14 सीटें जीती थीं। 2019 में दो ज्यादा सीटें उसकी झोली में आ गयी और राजद को एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा। वहीं भाजपा के खाते में 25 सीटें, आजसू के खाते में दो सीटें आयीं। जेवीएम भी तीन सीट जीतने में सफल हो पाया। भाजपा का ऐसा हश्र क्यों हुआ, यह सबको पता है। भाजपा-आजसू की कड़वाहट ने भी 2014 के एनडीए सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। बाकी रही-सही कसर सरयू -रघुवर एपिसोड ने निकाल दी थी। उस वक्त भाजपा की कहानी एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी, जो भाजपा की हार का प्रमुख कारण बनी। खैर इसकी जड़ में जाने की जरूरत नहीं है। अब हालात 2019 वाले नहीं हैं, लेकिन 2019 के घटनाक्रमों की छाप अभी भी भाजपा को कचोटती है। आइये एनडीए फार्मूले में आजसू को जो सीटें मिली हैं, उसका पोस्टमार्टम करते हैं।
सिल्ली की लड़ाई दूर तलक जायेगी
सबसे पहले सिल्ली। सिल्ली की बात की जाये, तो जेएमएम प्रत्याशी अमित महतो को 2014 में 79747 वोट मिले थे, वहीं दूसरे स्थान पर रहे आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो 50007 वोट लाये थे। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को 83700 वोट आये थे और दूसरे स्थान पर जेएमएम की सीमा देवी को 63505 वोट मिले थे। 2014 में सुदेश महतो, अमित महतो से 29740 वोट से हार गये थे। उसके बाद एक आपराधिक मामले में अमित महतो को सजा के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें अमित महतो की पत्नी सीमा महतो ने सुदेश महतो को हरा दिया था। लेकिन 2019 में सुदेश महतो ने कमबैक किया। उन्होंने जेएमएम प्रत्याशी सीमा देवी को 20,195 वोट से हराया। 2019 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सिल्ली विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी नहीं दिया था।
लेकिन सिल्ली में इस बार जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने भी अपना उम्मीदवार तय कर दिया है। देवेंद्रनाथ महतो जेएलकेएम के टिकट से यहां चुनाव लड़ेंगे। सिल्ली की फाइट इस बार दिलचस्प होने की उम्मीद है। अमित महतो ने भी झामुमो का दामन थाम लिया है। सोचिये एक तरफ सुदेश, दूसरी तरह जयराम की पार्टी और तीसरी तरफ जेएमएम का उम्मीदवार। क्या होगा, समझा जा सकता है। इस खिचड़ी में किसे मिलेगा चावल, किसे दाल और किसे सब्जी, देखने वाली बात होगी। लेकिन सुदेश महतो भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। वह सिल्ली को बेहतर तरीके से समझते हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। त्रिकोणीय मुकाबला होने से सुदेश महतो और आजसू काफी आशान्वित हैं।
रामगढ़ मेल पर लगेगा ब्रेक या सिग्नल रहेगा ग्रीन
रामगढ़ की बात करें, तो 2014 में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी को 98987 वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर कांग्रेस के शहजादा अनवर को 45169 वोट मिले थे। वहीं 2019 में कांग्रेस की ममता देवी को 99944 वोट मिले थे और दूसरे स्थान पर आजसू की प्रत्याशी सुनीता चौधरी, जो चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी हैं, उन्हें 71226 वोट मिले थे। रामगढ़ विधानसभा पर फिलहाल आजसू का कब्जा है। 2023 में हुए उपचुनाव में चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी और आजसू की उम्मीदवार सुनीता चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी बजरंग महतो को 16 हजार से अधिक मतों से हराया था। 2014 में चंद्र प्रकाश चौधरी ने कांग्रेस के शहजादा अनवर को 53818 मतों से हराया था। वहीं 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी को 28718 वोटों से हरा दिया था। सीपी चौधरी तब गिरिडीह से संसद में चले गये थे, उनकी जगह उनकी पत्नी सुनीता चौधरी ने चुनाव लड़ा था। यहां तीसरे नंबर की पार्टी भाजपा थी।
उसे कुल 31874 मत मिले थे। उस चुनाव में भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। अब भाजपा-आजसू एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं, तो समझा जा सकता है कि किसका पलड़ा यहां भारी है। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जयराम महतो की पार्टी ने अभी तक अपना उम्मीदवार नहीं दिया है, जबकि तीसरी लिस्ट भी जयराम ने जारी कर दी है। अब देखना होगा कि जयराम यहां अपना उम्मीदवार उतारते हैं या नहीं।
गोमिया में भारी केला
गोमिया की बात करें तो 2014 में जेएमएम के योगेंद्र प्रसाद को 97799 वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा के माधव लाल सिंह को 60285 वोट मिले थे। वहीं 2019 में आजसू के लंबोदर महतो को 71859 वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर जेएमएम की बबीता देवी को 60922 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर माधव लाल सिंह रहे, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और 26103 वोट हासिल किये थे। 2014 में जेएमएम प्रत्याशी योगेंद्र प्रसाद ने भाजपा प्रत्याशी माधव लाल सिंह को 37514 मतों से हराया था। कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। उसे कुल 3828 मत मिले थे। वहीं 2019 में आजसू पार्टी के लंबोदर महतो ने जेएमएम की बबीता देवी को 10937 मतों से हराया था। वहीं भाजपा ने माधवलाल का टिकट काट लक्ष्मण कुमार को दे दिया था। जिन्हें कुल 18011 मत मिले थे और चौथे नंबर पर रहे थे। इस समीकरण को 2024 के परिदृश्य में देखा जाये तो आजसू का पलड़ा स्वाभाविक तौर पर भारी दिखता है, क्योंकि इस बार आजसू एनडीए का भी हिस्सा है।
इचागढ़ में किसकी इच्छा होगी पूरी
इचागढ़ की बात करें तो 2014 में भाजपा के साधु चरण महतो ने जेएमएम की सबिता महतो को 42250 मतों से हराया था। यहां तीसरे स्थान पर जेवीएम के अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह रहे। उन्हें कुल 28999 वोट मिले थे। कांग्रेस 12510 वोट लाकर चौथे स्थान पर रही। वहीं 2019 की बात करें तो सबिता महतो को कुल 57546 वोट मिले थे, वहीं आजसू के हरेलाल महतो को 38836 वोट और भाजपा के साधु चरण महतो को 38485 वोट मिले थे। जेएमएम ने आजसू प्रत्याशी को 18710 वोटों से हराया था। वहीं अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 32206 वोट लाये थे। अगर आजसू और बीजेपी के वोटों को जोड़ दिया जाये तो कुल 77321 वोट होते हैं। यानी जेएमएम उम्मीदवार से 19775 ज्यादा। इस बार बीजेपी और आजसू साथ हैं। 2019 में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। अब सबसे अहम खबर जो सामने आ रही है, वह है मलखान सिंह की नाराजगी को लेकर। मलखान सिंह के समर्थकों की मांग है कि इचागढ़ सीट भाजपा के कोटे में आये और मलखान सिंह वहां से प्रत्याशी बनाये जायें। और अगर मलखान सिंह की महत्वाकांक्षा हिलोरें मारने लगी, तो यहां एनडीए को परेशानी हो सकती है।
मांडू की मांग
मांडू की बात करें तो 2014 में जेएमएम प्रत्याशी जेपी पटेल को 78499 मत मिले थे। दूसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी महेश सिंह को 71487 आया था, तीसरे स्थान पर जेवीएम को 24622 वोट था। जेएमएम प्रत्याशी ने भाजपा को 7012 वोटों से हराया था। वहीं 2019 की बात करें तो जेपी पटेल ने भाजपा का दामन थामा और उन्होंने आजसू के प्रत्याशी को 2062 मतों से हराया था।
जेएमएम 44768 वोट लाकर तीसरे स्थान पर था। बीजेपी 49855 मत हासिल कर पहले स्थान पर रही और आजसू 47793 मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रही। अब जेपी पटेल ने फिर से पाला बदल लिया है। वह कांग्रेस में शामिल हो गये हैं और कांग्रेस के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ हार चुके हैं। यहां आजसू के साथ जेडीयू के खीरू महतो वाले वोटर्स भी कुछ कमाल कर सकते हैं। चूंकि खीरू महतो को 2014 में जेडीयू के टिकट से 17436 वोट हासिल हुए थे। यानि 2024 का समीकरण देखा जाये तो यहां फाइट टाइट है। अगर भाजपा का वोट आजसू में शिफ्ट होता है, साथ ही जेवीएम वाला हिस्सा आजसू को मिलता है, और खीरू महतो थोड़ा बहुत जोर लगाते हैं, तब यहां आजसू की दाल गल सकती है। एनडीए को यहां अधिक परिश्रम करना पड़ सकती है।
जुगसलाई में कौन जलायेगा मशाल
बात जुगसलाई की करें तो 2014 में आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस 82302 वोट लाकर पहले स्थान पर थे, वहीं दूसरे स्थान पर रहे जेएमएम के मंगल कालिंदी को 57257 वोट हासिल हुआ था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस को 42101 वोट मिले थे। वहीं 2019 में जेएमएम के मंगल कालिंदी को 88581 वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी मोचीराम बाउरी को 66647 वोट मिला थे, आजसू के रामचंद्र सहिस को 46779 वोट मिले थे। यहां अगर भाजपा और आजसू के वोटों को जोड़ दिया जाये तो कुल 113426 वोट होते हैं, यानी जेएमएम प्रत्याशी से 24845 वोट अधिक। वहीं 2024 के समीकरणों को देखा जाये तो यहां भी फाइट टाइट तो है, लेकिन आंकड़ों के हिसाब से पलड़ा आजसू की ओर शिफ्ट होता दिखता है। चूंकि 2019 का राजनीतिक माहौल भी अलग था। अभी का माहौल अलग है।
आजसू अगर मेहनत करे ओर भाजपा का मैक्सिमम वोट ट्रांसफर करा पाये तो उसकी दाल यहां गल सकती है।
डुमरी में किसकी बजेगी डुगडुगी
बात डुमरी की करें तो 2014 में जेएमएम के जगन्नाथ महतो को 77984 वोट मिले थे, दूसरे नंबर पर भाजपा के लालचंद महतो को 45503 वोट मिले थे। वहीं 2019 में जेएमएम के जगन्नाथ महतो को 71128 वोट मिले थे, आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी को 36840 वोट मिले थे। जगन्नाथ महतो का चेन्नई में इलाज के दौरान 6 अप्रैल 2023 को निधन हो गया था। उसके बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को उनकी जगह मंत्री बना दिया गया। मंत्री बनने के बाद उपचुनाव हुआ और उन्होंने जीत हासिल की। झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी ने आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी को 17156 मतों से हराया था। अगर 2024 के समीकरण की बात की जाये तो जयराम महतो भी यहां से चुनाव लड़ेंगे। यानी फाइट बिलकुल टाइट होने वाली है। मत एक तरफा तो जाने वाला नहीं दीखता। लेकिन जयराम की लोकप्रियता भी किसी से छिपी नहीं है। यहां आजसू और जेएमएम को कड़ी चुनौती मिलने की पूरी संभावना है। पाकुड़ को पकड़ो
पाकुड़ की बात करें तो 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम को 83338 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर झामुमो के अकील अख्तर को 65272 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर भाजपा के रंजीत तिवारी को 64479 वोट मिले थे। वहीं 2019 की बात करें तो कांग्रेस के आलमगीर आलम को 128218 वोट मिले, दूसरे नंबर पर भाजपा के वेणी प्रसाद गुप्ता को 63110 वोट मिले थे, वहीं आजसू के अकील अख्तर को 39444 वोट मिले थे।
अकील अख्तर इससे पहले 2014 में जेएमएम के टिकर पर चुनाव लड़े थे। 2024 की बात की जाये तो आलमगीर आलम फिलहाल जेल में हैं। इंडी गठबंधन किसे टिकट देगी, इसका पता नहीं। शायद आलमगीर आलम के पुत्र को टिकट मिलने की सम्भावना दिखाई पड़ती है। वैसे पाकुड़ में इंडी गठबंधन का किला मजबूत है। लेकिन आजसू भी भाजपा के मदद से इस किले को ढहाने में लगी है। लेकिन यहां आजसू को बहुत मेहनत करने की जरूरत है। यह मुश्किल सीट है।
लोहरदगा किसे देगा दगा
बात लोहरदगा की करें तो 2014 में आजसू के कमल किशोर भगत को 56920 वोट मिले थे, दूसरे नंबर पर कांग्रेस के सुखदेव भगत को 56328 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर जेएमएम प्रत्याशी को 13510 वोट मिले थे। वहीं 2019 में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 74380 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस से पाला बदल कर भाजपा में आये सुखदेव भगत को 44230 वोट मिले थे, वहीं तीसरे नंबर पर आजसू प्रत्याशी नीरू शांति भगत को 39916 वोट मिले थे। अगर भाजपा और आजसू के वोटों को जोड़ दिया जाये तो यह संख्या 84146 हो जाती है। यानी कांग्रेस प्रत्याशी से 9766 ज्यादा। अब 2024 आजसू को भाजपा वोटरों का कितना साथ मिलता है यह देखने वाली बात होगी। लेकिन यहां मुकाबला बेहद कड़क होगा। रामेश्वर उरांव कहीं से भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। आजसू को पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी।
मनोहरपुर का मन मोहेगा कौन
2014 में मनोहरपुर विधानसभा चुनाव में जेएमएम प्रत्याशी जोबा मांझी को 57558 वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी गुरुचरण नायक को 40989 वोट मिले थे। वहीं 2019 में जेएमएम की जोबा मांझी को 50945 वोट मिले थे, भाजपा के गुरुचरण नायक को 34936 वोट मिले थे। यहां आजसू तीसरे स्थान पर रही थी, जिसे 13468 वोट मिले थे। 2024 के समीकरण की बात की जाये तो भी यहां जोबा मांझी मजबूत दिखाई पड़ती हैं। आजसू और भाजपा को यहां पूरी शक्ति झोंकने की जरूरत है।