Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Tuesday, May 20
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»कांके, सिमरिया और देवघर सीट को लेकर भाजपा में माथापच्ची
    विशेष

    कांके, सिमरिया और देवघर सीट को लेकर भाजपा में माथापच्ची

    shivam kumarBy shivam kumarOctober 16, 2024Updated:October 18, 2024No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    इन सीटों पर क्या सीटिंग विधायक दे सकेंगे फाइट
    उम्मीदवार पांच साल रहे हवा में, वोटर करते रहे इंतजार
    भाजपा है मजबूत, लेकिन वोटर कह रहे हैं, उम्मीदवारों पर सोचियेगा जरूर

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    झारखंड विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। दलों ने लगभग अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची भी बना ली है। कहीं-कहीं पेंच फंसता हुआ जरूर दिख रहा है। वहां के लिए फील्डिंग भी लगायी जा रही है। भाजपा ने भी लगभग अपने उम्मीदवार तय कर लिये हैं। लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को मंथन करने की जरूरत है। फिलहाल उम्मदीवारों के नाम अभी सामने नहीं आये हैं, लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो तय रहते हैं या उम्मीदवार खुद को तय मान लेते हैं। खैर आज हम बात करेंगे कांके, सिमरिया और देवघर सीट के बारे में। ये तीनों विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में हैं। यहां भाजपा के मतदाता हावी भी रहते हैं। लेकिन इसका बेजा फायदा उठाया है यहां के तीनों सीटिंग विधायकों ने। ये तीनों विधायक अपने-अपने क्षेत्र में उतने एक्टिव नहीं रहे, जितना जनता उम्मीद कर रही थी। कोई सिर्फ शिलान्यास के दौरान पीछे-पीछे घूमता रहा, कोई हवा में घूमता रहा, तो किसी के पास क्षेत्र भ्रमण के लिए समय ही नहीं रहा। इनमें से एक विधायक का नाम तो लोकसभा चुनाव में हाथ पीछे खींचने में भी उछला था। पार्टी इसे लेकर विचार भी कर रही है। वैसे ये तीनों सीटें भाजपा का गढ़ रही हैं, लेकिन अगर समय रहते भाजपा इन सीटों पर नहीं चेती, तो कम से कम एक सीट तो निश्चित दगा दे ही देगी, लेकिन जनता ने दो सीटों पर अपना निर्णायक मन बनाया है। यहां ज्यादातर जनता भाजपा के साथ दिखी, लेकिन उम्मीदवारों को लेकर उनके मन में संशय की स्थिति बनी हुई है। क्या है कांके, सिमरिया और देवघर को लेकर जनता की राय और क्या रहा है इसका इतिहास, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    सिमरिया की बीमारी को कौन करेगा ठीक, पूछ रही जनता
    सिमरिया विधानसभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया था। पहले यह इलाका बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में ही आता था। यहां से भाजपा चार, कांग्रेस दो, जेवीएम दो और राजद, भाकपा, जीएनपी को एक-एक बार जीत मिली है। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता ने समय-समय पर अपना प्रतिनिधि तो बदला है, लेकिन जनप्रतिनिधि समस्याओं को नहीं बदल पाये। एशिया की सबसे बड़ी कोयला परियोजना मगध और आम्रपाली टंडवा में है। पर यहां के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। आज भी रैयत नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर आंदोलित रहते हैं। वे मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित हैं। क्षेत्र में विस्थापन, सिंचाई और बेरोजगारी आज भी सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां के लोगों की उम्मीदें और भरोसा जनप्रतिनिधियों पर से उठने लगा है। वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सिमरिया विधानसभा सीट किशुन दास ने जीत कर भाजपा का 12 वर्षों का वनवास खत्म किया था। इस सीट से उपेंद्रनाथ दास चार बार विधायक रहे। पहली बार वर्ष 1977 में वह जीएनपी के टिकट पर जीते थे। इसके बाद 1990, 1995 और 2005 में उपेंद्रनाथ दास भाजपा के विधायक रहे। लेकिन उपेंद्रनाथ दास के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाकपा के रामचंद्र राम जीत गये थे। इसके बाद हुए दोनों चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा का कब्जा रहा। 2009 में झाविमो के जयप्रकाश भोक्ता ने जीत हासिल की, जबकि 2014 में गणेश गंझू को सफलता मिली। फिर 2019 में भाजपा के किशुन दास विधायक बने। उन्हें आजसू पार्टी के मनोज चंद्रा ने कड़ी टक्कर दी थी। किशुन दास को 2019 में 61438 मत मिले थे, वहीं मनोज चंद्रा को 50442 मत प्राप्त हुए थे। लेकिन अब यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा को घेरने की पुख्ता रणनीति तैयार की है। मनोज चंद्रा के सहारे जेएमएम ने भाजपा के किले को ध्वस्त करने की रणनीति बनायी है। 2023 में ही मनोज चंद्रा आजसू पार्टी छोड़ कर सीएम हेमंत सोरेन की मौजूदगी में जेएमएम में शामिल हो गये थे। जेएमएम में शामिल होने के बाद वह लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं सिमरिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस और आरजेडी की कोई खास मजबूत दावेदारी नहीं है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मनोज चंद्रा जेएमएम टिकट पर सिमरिया विधानसभा सीट से इंडी अलायंस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। वर्ष 2024 में चतरा लोकसभा सीट के सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल हुई थी। लोकसभा चुनाव में सिमरिया क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी भी चुनाव प्रचार करने के लिए आये थे। इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी काली चरण सिंह को 1.40 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 66 हजार मतों से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन यहां की जनता इस बार आर या पार के मूड में है। ज्यादातर लोग विधायक से नाराज दिखे। विधायक का नाम सुनते ही कई लोग बिफर उठे। कहने लगे इस बार हम लोग विधायक को मजा चखायेंगे। उनका मानना था कि उन्हें भाजपा से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन विधायक के प्रति उनका गुस्सा देखते बन रहा था। बातचीत के क्रम में यह आभास हुआ कि अगर भाजपा इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर नहीं चेती, तो शायद उसे मुंह की खानी पड़ेगी। सिमरिया की जनता का कहना था कि आज तक सिमरिया अपनी पुरानी बीमारी से जूझ रहा है। इसे ठीक कोई नहीं कर पाया।

    अब बात देवघर की
    देवघर अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है। देवघर विधानसभा सीट गोड्डा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से भाजपा और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने थे। भाजपा ने नारायण दास को मैदान में उतारा था, वहीं राजद से सुरेश पासवान मैदान में थे। भाजपा के नारायण दास ने 95491 (41.01 प्रतिशत) वोट पाकर जीत अपने नाम की थी। वहीं राजद के सुरेश पासवान को 92867 (39.88 प्रतिशत) वोट मिले थे। फाइट कांटे की थी, लेकिन अंतत: जीत भाजपा के उम्मीदवार नारायण दास की हुई। बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम की उम्मीदवार निर्मला भारती तीसरे नंबर पर थीं। नारायण दास वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीते थे। उन्हें 92022 (42.42 प्रतिशत) वोट मिले थे। उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुरेश पासवान। पासवान को 46870 (21.60 प्रतिशत) वोट मिले थे। लेकिन 2019 में सुरेश पासवान ने नारायण दास को कड़ी टक्कर दी। एक वक़्त तो लगा कि सुरेश पासवान कहीं बाजी न मार लें, लेकिन मात्र 3469 वोट से नारायण दास जीत गये। लेकिन 2024 की राजनीतिक परिदृश्य कुछ अलग है। नारायण दास को लेकर जनता में रोष है। वोटर भाजपा के पक्ष में दिखते तो हैं, लेकिन विधायक से नाराज हैं। वोटरों का कहना है कि उम्मीदवार को लेकर भाजपा को विचार करना होगा। वैसे गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और विधायक नारायण दास के बीच की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान और बाद में भी इस कड़वाहट को देखा गया था।

    कांके, जहां भाजपा झारखंड गठन के बाद आज तक नहीं हारी
    झारखंड का कांके विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। कांके विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है। झारखंड गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में बीजेपी यहां से आज तक नहीं हारी। हर बार भाजपा ने यहां बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। रामचंद्र बैठा ने सबसे अधिक बार कांके विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। चार चुनावों में वह दो बार जीते। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कांके विधानसभा सीट से भाजपा के डॉ जीतू चरण राम जीते। उनको कुल एक लाख 15 हजार 702 वोट मिला था। कांके विधानसभा सीट पर डॉ जीतू चरण राम से पहले किसी को इतना वोट नहीं मिला था। इस चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी। उसके उम्मीदवार सुरेश कुमार बैठा को कुल 55,898 वोट मिले थे। झामुमो इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी। उसके प्रत्याशी अशोक कुमार नाग को कुल 17,411 वोट मिले थे। वहीं वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से समरी लाल चुनाव के मैदान में थे। उनको कुल एक लाख 11 हजार 975 वोट मिले और वह विधायक बने। कांग्रेस की ओर से सुरेश कुमार बैठा दूसरे स्थान पर रहे। उनको कुल 89,435 वोट मिले थे। आजसू पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले रामजीत गंझू तीसरे नंबर पर रहे। उनको कुल 29,127 वोट मिले थे। लेकिन इस बार लोगों का कहना है कि हमारे विधायक सिर्फ शिलान्यास के वक्त ही दिखाई देते हैं। बाकी समय वह अपने काम में ही व्यस्त रहते हैं। उन्होंने जनता को टेकेन फॉर ग्रांटेड ले लिया है। यह समझ से परे था कि भाजपा के मतदाता उनकी शिकायत कर रहे थे। उन्हें भाजपा से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन उन्हें विधायक से दिक्कत है। वैसे 2019 में कांके विधानसभा सीट से समरीलाल की जीत के बाद, उनकी जाति से संबंधित मामला कोर्ट में जा पहुंचा। ऐसे में कुछ बीजेपी नेताओं का मानना है कि कांके जैसे शहरी क्षेत्र में उम्मीदवार चयन के मामले में पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए, ताकि बाद में परेशनियों का सामना नहीं करना पड़े। फिलहाल समरी लाल को लेकर अभी संशय बना हुआ है। वैसे यह सीट भाजपा की पारंपरिक सीट है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleविस चुनाव में प्री-पोल ड्यूटी के लिए राज्य को मिली अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनी
    Next Article कांग्रेस के अजय नाथ शाहदेव भाजपा में आएंगे, हटिया से लड़ेंगे चुनाव
    shivam kumar

      Related Posts

      भारत को अब आतंकी घुसपैठ से अलर्ट रहने की जरूरत

      May 19, 2025

      भारत ने मात्र डिफेंसिव मोड में ही चीनी हथियारों की पोल खोल दी, फुस्स हुए सारे हथियार

      May 18, 2025

      तुर्किये! गलती कर दी, ऑपरेशन दोस्त के बदले खंजर चला दिया

      May 17, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • 236 करोड़ से तैयार होगा यूपी का चौथा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम
      • बांग्लादेश से भारत में घुसे तीन घुसपैठिए गिरफ्तार
      • मुख्यमंत्री ने 315 नवनियुक्त प्रखंड उद्यान पदाधिकारियों को दिया नियुक्ति पत्र
      • सिरसा: अंडर-19 क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व करेगा कनिष्क चौहान
      • खेलो इंडिया बीच गेम्स की शुरुआत दीव के घोघला बीच पर बीच सॉकर ग्रुप मैचों के साथ हुई
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version