नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के सभी पत्रकारों को बड़ी राहत दी है। अब किसी भी पत्रकार को राज्य सरकार, सरकार की आलोचना करने पर गिरफ्तार नहीं कर सकती है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। उपाध्याय पर यूपी प्रशासन में नियुक्तियों में जातिगत पक्षपात पर एक्स पर एक पोस्ट लिखने के लिए एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एवीएन भट्टी की पीठ ने कहा है कि लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ए के तहत पत्रकारों के अधिकार संरक्षित हैं। केवल इसलिए कि किसी पत्रकार के लेखन को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है, लेखक के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं चलाया जाना चाहिए। संबंधित रिपोर्ट के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उपाध्याय को शुक्रवार को प्रदान की गयी सुरक्षा भविष्य में इस मुद्दे पर उनके विरुद्ध दर्ज की जाने वाली सभी प्राथमिकी की और आपराधिक मामलों पर भी लागू होगी। पीठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

जिन्होंने उत्तर प्रदेश में सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी संबंधित एक कथित रिपोर्ट को लेकर अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिक को रद्द करने का अनुरोध किया है। लेख के बाद उन्हें धमकियों और अपशब्दों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही एक शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीनएस) की धारा 353, 197 (1) (सी) 302, 356 और आइटी एक्ट की धारा-66 के तहत प्राथमिक की दर्ज की गयी है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

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