रांची। टेंडर घोटाला मामले में आरोपी हृदयानंद तिवारी को हाइकोर्ट से राहत मिली है। हाइकोर्ट की एकल पीठ ने हृदयानंद तिवारी को आदेश दिया है कि वे तारसेम लाल बनाम इडी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सीआरपीसी की धारा 88 के तहत दो सप्ताह में पीएमएलए कोर्ट में बॉन्ड दाखिल करें । कोर्ट ने यह भी कहा कि इडी की विशेष अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 82 (फरार घोषित ) किये जाने के आदेश को वापस लेने का आग्रह प्रार्थी पीएमएलए कोर्ट से करे।

हाइकोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की दोनों याचिकाओं को निष्पादित कर दिया। दरअसल, 29 जुलाई 2024 को इडी की टीम ने गढ़वा में फरार आरोपी हृदयानंद तिवारी के घर में इश्तेहार चिपकाया था। इडी ने मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल में बंद ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से संबंधित मामलों में यह इश्तेहार चिपकाया था। आरोपी हृदयानंद तिवारी के खिलाफ 25 जुलाई को पीएमएलए कोर्ट ने इश्तेहार जारी किया था और अगले 30 दिनों के अंदर हाजिर होने के लिए कहा गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल की थी। वहीं हृदयानंद तिवारी की और से हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की गयी थी। शुक्रवार को दोनों मामलों की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई।

दो लाख रुपये कमीशन लेने का आरोप
गढ़वा निवासी हृदयानंद तिवारी दिल्ली में चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। हृदयानंद तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने एक अन्य चार्टर्ड एकाउंटेंट मुकेश मित्तल से वीरेंद्र राम को मिलवाया था। मित्तल के कार्यालय में हृदयानंद तिवारी सहयोगी के रूप में कार्य करते थे। हृदयानंद तिवारी ने मुकेश मित्तल के माध्यम से वर्ष 2014 से लेकर 2019 के दौरान निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम का 9.41 करोड़ रुपये की मनी लॉड्रिंग करायी थी। यह भी आरोप है कि उन्होंने इस मामले में दो लाख रुपये कमीशन लिये थे।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version