पश्चिमी सिंहभूम। पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ मंगलवार को जिले में विशाल महा जन आक्रोश रैली निकाली गई। आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति, आदिवासी मूलवासी समिति, कोल्हान रक्षा संघ सहित दर्जनों सामाजिक संगठनों के बैनर तले हजारों ग्रामीण वेशभूषा और पारंपरिक हथियारों के साथ सड़कों पर उतरे। भीड़ हाथों में तख्तियां, झंडे और बैनर लिए हुए यह जंगल हमारा है, यह पेड़ हमारा है के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रही थी।

रैली गांधी मैदान से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए खनन पदाधिकारी के कार्यालय पहुंची, जहां प्रतिनिधिमंडल ने अपना ज्ञापन सौंपा। इसके बाद रैली आगे बढ़कर उपायुक्त कार्यालय पहुंची, जहां सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा गया।

इस दौरान समिति के केंद्रीय अध्यक्ष बुधराम लागुरी और झामुमो की केंद्रीय सदस्य मोनिका बोयपाई ने कहा कि सारंडा जंगल केवल प्राकृतिक संपदा नहीं, बल्कि हजारों आदिवासी परिवारों की जीविका, संस्कृति और परंपरा का केंद्र है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय स्थानीय लोगों के अस्तित्व के लिए खतरा है, क्योंकि इससे विस्थापन और आजीविका संकट उत्पन्न होगा।

बुधराम लागुरी ने कहा कि सारंडा हमारे पूर्वजों की धरोहर है। इस पर किसी तरह का सरकारी दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा। वहीं मोनिका बोयपाई ने कहा कि अगर सरकार ने प्रस्ताव वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन पूरे राज्य में व्यापक रूप धारण करेगा।

रैली में जिले के सभी प्रखंडों से लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। जगह-जगह पारंपरिक नृत्य, ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ माहौल जनांदोलन में बदल गया। रैली में कोला रक्षा संघ, आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति, और कई सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के लोग शामिल हुए।

सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की थी। एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो, एसडीपीओ बहामन टूटी, बीडीओ अमिताभ भगत, अंचल अधिकारी उपेंद्र कुमार, सदर थाना प्रभारी तरुण कुमार और मुफस्सिल थाना प्रभारी चंद्रशेखर अपने दलबल के साथ पूरे रूट पर मौजूद रहे।

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