रांची: राज्यपाल डॉ द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बच्चों की बदहाली के लिए नीतियां ही जिम्मेदार हैं। हमारे देश में आज भी बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। आजादी के बाद से अब तक बच्चों का शिक्षा में पिछड़ना जारी है। इसका कारण संबंधित विभागों द्वारा व्यवस्थित होकर काम नहीं करना है। वह बुधवार को एक्सआइएसएस में यूनिसेफ की ओर से मनायी जा रही 70वीं वर्षगांठ में बतौर मुख्य अथिति बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि बच्चों में शिक्षा का स्तर और बेहतर हो, इसका प्रचार-प्रसार हो, इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। बच्चों को बाल मजदूरी से शिक्षा की मुख्यधारा में लायें। राज्यपाल ने इसके लिए अभिभावकों को भी शिक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बाल एवं युवा अवस्था में बच्चों की निगरानी होनी चाहिए, ताकि वे भटके नहीं। कहा कि राज्य में हेल्थ, फूड भी एक ज्वलंत मुद्दा है, समाज एकमत होकर सरकार का साथ दे।
विश्व को इस पीढ़ी से काफी उम्मीद है: मधुलिका
वहीं यूनिसेफ झारखंड इकाई की चीफ मधुलिका जोनॉथन ने कहा कि विश्व को मौजूदा पीढ़ी से काफी उम्मीद है। झारखंड में संस्था का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में वैसे बच्चे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य में काफी पिछड़े हुए हैं, उन पर काम किया जाये। सरकार, प्रशासन के सहयोग से गांव स्तर पर काम करेंगे। मधुलिका ने होने वाले बाल विवाह और उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की बात कही। कहा कि बच्चों को उनका अधिकार न मिलना और मानव तस्करी बड़ी समस्या हैं। इसके लिए यूिनसेफ ने रोड मैप तैयार किया है। कार्यक्रम में उपस्थित यूएन प्रतिनिधि डॉ दीपक गुप्ता ने छात्रों द्वारा रेप केस, महिला उत्पीड़न, सेक्स और मोरल शिक्षा आदि पर पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया। राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सतपथी, डॉ मृदुला सिन्हा, एक्सआइएसएस के निदेशक फादर एलेक्स एक्का, यूनिसेफ कम्यूनिकेशन आॅफिसर मोइरा ने भी इन विषयों पर अपने विचार रखे। काफी संख्या में छात्रों की उपस्थिति रही।

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