नई दिल्ली: भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बुधवार को कहा कि लोगों में जीएसटी एवं नोटबंदी को लेकर गुस्सा है और यह बात साफ है कि गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए महज चुनाव नहीं, बल्कि एक चुनौती है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक किताब पर आयोजित पैनल चर्चा में सिन्हा ने तिवारी के साथ मंच साझा करते हुए आर्थिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और कहा कि अगर एक वकील वित्तीय मामलों की बात कर सकता है, अगर एक टीवी अभिनेत्री मानव संसाधन विकास मंत्री बन सकती हैं और एक चायवाला .. बन सकता है. तो मैं अर्थव्यवस्था की बात क्यों नहीं कर सकता?
हालांकि भाजपा नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, उनका इशारा साफ तौर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व में एचआरडी मंत्री रहीं मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ था.
सिन्हा ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी को चुनौती नहीं दे रहे बल्कि भाजपा के और राष्ट्रीय हित में उसे आईना दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा, जीएसटी, नोटबंदी, बेरोजगारी को लेकर लोगों के गुस्से को देखते हुए मैं यह नहीं कहना चाहता कि भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी लेकिन निश्चित तौर पर ये चुनाव एक विशेष चुनौती होने जा रहे हैं.
हालांकि पटना साहिब के सांसद ने कहा कि भाजपा एकजुट रहकर अपनी सीटें बढ़ा सकती है और उसे चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, मैं बस इतना कहूंगा कि मामला गंभीर है और ये चुनाव नहीं बल्कि चुनौती हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं, सिन्हा ने अपने जाने पहचाने संवाद के साथ जवाब दिया, खामोश.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि सरकार को देश चलाने में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे विपक्ष के विशेषज्ञ एवं ज्ञानी लोगों एवं दूसरे लोगों से सुझाव मांगने चाहिए.
सांसद ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा पर 80 साल की उम्र में नौकरी के आवेदक संबंधी तंज कसने को लेकर वित्त मंत्री की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, वह जेटली खुद अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं लेकिन दूसरों के लिए नौकरी सुझा रहे हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा ने दावा किया कि एक दिन उन्हें एक बहुत बड़े नेता ने फोन किया और पूछा कि वह नोटबंदी एवं जीएसटी पर विपक्ष की भाषा क्यों बोल रहे हैं. अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न ने कहा कि उन्होंने जवाब में कहा कि जो भी कहा, वह राष्ट्र हित में था.
इससे पहले सिन्हा ने अपने संबोधन के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी को राजनीतिक क्षेत्र में उम्मीद की एक किरण बताते हुए दुख जताया कि पूर्व उप प्रधानमंत्री को कोई पद नहीं दिया गया और उनकी भूमिका सीमित कर दी गई.
सांसद ने किसी का नाम लिए बिना कहा, उन्हें राष्ट्रपति बनाना तो दूर मंत्री तक नहीं बनाया गया. कइयों का करियर बनाने एवं बचाने के बावजूद आज वह खुद को इस स्थिति में पा रहे हैं.
विपक्ष के आठ नवंबर को काला दिवस और सत्तारूढ़ भाजपा के कालाधन विरोधी दिवस मनाने की घोषणा को देखते हुए सिन्हा ने पूछा कि कालाधन कहां गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इसी दिन नोटबंदी की घोषणा की थी. सिन्हा ने कहा, मैं उस दिन आडवाणी जी का जन्मदिन मनाऊंगा और उनसे आशीर्वाद मांगूंगा एवं मार्गदर्शन करने को कहूंगा.
उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में कई प्रतिभाएं हैं और वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राकांपा प्रमुख शरद पवार एवं कुछ दूसरे विपक्षी नेताओं का सम्मान करते हैं.
गुजरात में चुनाव की तैयारी में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दो नवंबर को राज्य के दौरे पर जा रहे हैं, वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का 4 से 9 नवंबर तक प्रदेश के प्रवास का कार्यक्रम हैं. शाह अपने छह दिवसीय प्रवास के दौरान प्रदेश के विभिन्न इलाकों का दौरा करेंगे साथ ही जिला प्रभारियों एवं अन्य नेताओं के साथ चर्चा करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 1 से 3 नवंबर तक गुजरात दौरे पर हैं. गुजरात प्रदेश भाजपा प्रवक्ता भरत भाई पांड्या ने टेलीफोन पर बताया कि अमित शाह का 4 से 9 नवंबर तक गुजरात प्रवास का कार्यक्रम है. इस दौरान राज्य को चार जोन में बांट कर उनकी यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है.
बोचासनवासी श्री अक्षरपुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी दो नवंबर को गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर के रजत जयंती कार्यक्रम में शामिल होंगे. मोदी ने गत सप्ताह चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले अपने गृह राज्य में कई परियोजनाओं का शुभारंभ किया था. पांड्या ने बताया कि भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की बैठक 21 से 26 अक्टू बर को हो चुकी है.
भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, ऐसे में समझा जाता है कि प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में संभावित उम्मीदवारों एवं वर्तमान विधायकों के बारे में चर्चा हुई.
माना जा रहा है कि अमित शाह की यात्रा के दौरान उम्मीदवारों के विषय पर भी चर्चा हो सकती है और प्रत्येक सीट के हिसाब से उम्मीदवारों की संभावना पर विचार किया जा सकता है.
पिछले 15 वर्षों में पहली बार भाजपा गुजरात विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के बिना लड़ रही है जब मोदी साल 2014 में देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं. भाजपा को कांग्रेस के अलावा पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के अलावा ओबीसी वर्ग के नेता के रूप में उभरे अल्पेश ठाकोर और ऊना में दलितों की पिटाई के मुद्दे पर उभरे नेता जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी का सामना करना पड़ रहा है.
पांड्या का हालांकि कहना है कि ये तीनों अपने मकसद में उतने ही अलग अलग हैं जितने जमीन आसमान. यह गठजोड़ एक चीज पर टिका हुआ है, वह है भाजपा के प्रति नफरत और विरोध. इसलिए यह कामयाब नहीं हो सकता है.
गुजरात में 182 विधानसभा सीटों के लिए 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में चुनाव होंगे. वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साल 2002 में भाजपा की वोट हिस्सेदारी कांग्रेस के मुकाबले 10-11 प्रतिशत ज्यादा थी. ऐसे में महज 6 प्रतिशत वोट के कांग्रेस की तरफ झुकाव से भाजपा के जीत के सपने को झटका लग सकता है.