गुमला में इनदिनों खिलाड़ियों के नये पौध अपने निशाने को पक्का करने में जुटे हुए हैं. ये वे बच्चे हैं जो तीरंदाजी के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की ख्वाइश रखते हैं. लेकिन दर्द इस बात का है कि सरकार की ओर से इन्हें ना तो कोई सहायता मिल रही है और ना ही संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है.
हालांकि इन खिलाड़ियों को प्रवीण तिवारी और उनकी पत्नी साल 2011से नि:शुल्क ट्रेनिंग देते आ रहे हैं. प्रवीण का मानना है कि शिक्षा के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी गुमला के इन बच्चों में काफी प्रतिभा है. जिसे देखकर वो इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हुए. प्रवीण के मुताबिक इनके अंदर जिस तरह की ललक है,वो दिन दूर नहीं कि ये लोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनकर उभरें.
जिला परिषद उपाध्यक्ष केडी सिंह की माने तो ये राज्य का दुर्भाग्य ही है कि इन जैसे प्रतिभावानों को सरकारी मदद नहीं मिल रही है.
वहीं इन बच्चों ने तीरंदाजी में अपनी मंजिल तय करने का संकल्प ले लिया है. हालांकि इन्हें इस बात का दुख है कि इनकी ओर सरकार और प्रशासन का ध्यान नहीं है.