Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, June 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»जीएसटी की मार
    विशेष

    जीएसटी की मार

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीNovember 9, 2017No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    एक बार फिर वित्तमंत्री ने सेवा एवं वस्तु कर के ढांचे में बदलाव का इरादा जताया है। पहले ही जीएसटी लागू होने के बाद से तीन-चार बैठकों में करीब सौ वस्तुओं के कर ढांचे में बदलाव किया जा चुका है। इस बार अट्ठाईस फीसद के दायरे में आने वाली वस्तुओं की समीक्षा की जाएगी। वित्तमंत्री ने खुद माना है कि अट्ठाईस फीसद के दायरे में कई ऐसी वस्तुओं को रखा गया है, जिन्हें पहले ही नहीं रखा जाना चाहिए था। यानी एक बार फिर यही जाहिर हुआ है कि जीएसटी लागू करते समय सरकार को जो सावधानियां बरतनी और जैसी तैयारी करनी चाहिए थी, वह नहीं की गई थी। हालांकि जीएसटी का प्रारूप यूपीए सरकार के समय ही काफी हद तक अंतिम रूप ले चुका था। बस कुछ राज्य सरकारों की आपत्तियों के चलते कुछ बिंदुओं पर चल रहे मतभेद को दूर करना बाकी था। उसी ढांचे को मोदी सरकार ने नए ढंग से तैयार किया और कर ढांचे की जो अधिकतम सीमा अठारह फीसद तक रखी जानी थी, उसे बढ़ा कर कई गुना कर दिया। फिर राज्य और केंद्र द्वारा लिए जाने वाले करों का भेद भी बनाए रखा। उसी का नतीजा है कि बार-बार सरकार को जीएसटी की समीक्षा करनी पड़ रही है।

    जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं की कीमतों में कमी आने और व्यापारियों को सुविधा होने का दावा किया गया था। मगर इसके लागू होते ही व्यापारियों की परेशानियां बढ़ गर्इं। पहले उन्हें हर महीने रिटर्न फाइल करने का प्रावधान किया गया, फिर व्यापारी संगठनों के विरोध के मद्देनजर यह अवधि बढ़ा कर तीन महीने कर दी गई। हालांकि इससे भी व्यापारियों को बहुत सुविधा नहीं हुई। बहुत सारे छोटे कारोबारियों को कंप्यूटरीकृत व्यवस्था रास नहीं आई। इसका नतीजा यह हुआ कि बहुत सारे लोगों ने अपने रोजगार बंद कर दिए। इसके चलते लाखों लोगों की नौकरियां चली गर्इं। सबसे अधिक विरोध गुजरात के सूरत में कपड़ा व्यापारियों ने किया, क्योंकि पहले कपड़े पर कोई कर नहीं लगता था। इसके अलावा हस्तशिल्प पर कर की अतार्किक दर रखी गई, जिसका चौतरफा विरोध हो रहा है। अभी चूंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है, सरकार जीएसटी की दरों में एक बार फिर कटौती कर जाहिर करने का प्रयास करेगी कि वह व्यापारियों की हितैषी है।

    मगर सवाल है कि इस तरह कितने समय तक जीएसटी की दरों की समीक्षा चलती रहेगी! अगर यही काम पहले ही तार्किक ढंग से कर लिया गया होता, तो न आज इस तरह व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता और न लोगों के रोजगार छिनते। महंगाई पर काबू पाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। वह थोक व्यापार के आंकड़ों के जरिए बार-बार यह साबित करने का प्रयास करती रही है कि केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद महंगाई की दर काफी नीचे आई है। मगर हकीकत यह है कि आम उपभोक्ता को पेट्रोलियम पदार्थों सहित खुदरा बाजार में हर चीज की कीमत पहले से ज्यादा चुकानी पड़ रही है। जीएसटी का खुदरा बाजार में कोई असर नजर नहीं आ रहा। मगर विचित्र है कि इस मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं और कोई व्यावहारिक कदम उठाने की पहल नहीं होती। अट्ठाईस फीसद के दायरे में आने वाली वस्तुओं को ही क्यों, पूरे जीएसटी कर ढांचे पर एक बार फिर से व्यावहारिक विश्लेषण कर इसे संतोषजनक स्वरूप देने का प्रयास होना चाहिए।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसमाधान की राह
    Next Article दिल्ली में जहरीली हवा को लेकर केजरीवाल पर भड़के हर्षवर्धन
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

    June 8, 2025

    राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

    June 7, 2025

    बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

    June 5, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • भारत ने पिछले 11 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तन देखा: प्रधानमंत्री मोदी
    • ठाणे में चलती लोकल ट्रेन से गिरकर 6 यात्रियों की मौत, सात घायल
    • प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी
    • हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किए
    • ‘हाउसफुलृ-5’ ने तीसरे दिन भी की जबरदस्त कमाई, तीन दिनों का कलेक्शन 87 करोड़
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version