झारखंड में बिजली चोरी चरम पर है. हालात ऐसे हैं कि बिजली चोरी करने वाला चोरी के साथ-साथ सीनाजोरी भी करता है. वहीं बिजली बोर्ड के अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. बिजली बोर्ड के घाटे में चलने का एक बड़ा कारण धड़ल्ले से जारी बिजली चोरी भी है.

कहीं हूक लगाकर, तो कहीं ईंट-पत्थर टांगकर, गांव-कस्बे की बात छोड़िए, राजधानी रांची में पूरा का पूरा मोहल्ला बिजली चोरी में लिप्त है. ये स्थिति कोई एक-दो मोहल्लों की नहीं, बल्कि ज्यादातर की है. झोपड़ी तो झोपड़ी, कोठी वाले भी इस बिजली चोरी में पीछे नहीं हैं.

रांची के कुसई कॉलोनी में बिजली चोरी के नजारे आम हैं. इस कॉलोनी में रांची एरिया बोर्ड का दफ्तर है. लिहाजा बिजली बोर्ड के छोटे-बड़े अधिकारी रोज इधर से गुजरते हैं और सबकुछ देखते हैं. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा. ऊधर ईमानदार उपभोक्ता इस स्थिति से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

ऊर्जा विकास निगम बिजली बोर्ड का नया नाम है. हाल ये है कि कंपनी पांच हजार करोड़ के घाटे में चल रही है. यदि राज्य सरकार राशि देने से इनकार कर दे, तो अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक को वेतन के लाले पड़ जायेंगे.देश में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्युशन लॉस का औसत 26 प्रतिशत है. जबकि झारखंड में ये 38 फीसदी है. ऊपर से खुले आम बिजली चोरी निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं

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