नई दिल्लीः कारोबारी सुगमता सूचकांक में अपनी स्थिति में भारी सुधार के बाद भारत ने एक और मील का पत्थर पार कर लिया है। भारत के शेयर बाजार ने बाजार पूंजीकरण के लिहाज से कनाडा को पीछे छोड़ते हुए आठवां पायदान हासिल कर लिया है। इस साल बाजार पूंजीकरण में 47 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसने भारत को 2 लाख करोड़ डॉलर वाले बाजार पूंजीकरण क्लब में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद की है। इस सूची में साल 2017 में भारत ने दो पायदान की छलांग लगाई है।

भारतीय इक्विटी का वैश्विक स्तर पर सबसे बढ़िया प्रदर्शन
2.26 लाख करोड़ डॉलर पर देसी शेयर बाजार अब कनाडा और स्विटरजलैंड से बड़ा है। यह जर्मनी व फ्रांस से क्रमश: 5.3 फीसदी व 12 फीसदी पीछे है। भारतीय इक्विटी वैश्विक स्तर पर साल 2017 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में शामिल है और डॉलर के लिहाज से बेंचमार्क सूचकांकों में 33 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। अच्छे प्रदर्शन ने भारत को वैश्विक बाजार पूंजीकरण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद की है। वैश्विक बाजार पूंजीकरण में भारत की हिस्सेदारी अब 2.46 फीसदी है, जो साल की शुरुआत में 2.28 फीसदी रही थी।देसी निवेशक लगातार एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हैं और देसी म्युचुअल फंड अभी बाजार में खरीदारी को सहारा देने के लिए सही स्थिति में हैं।

साल 2017 में म्युचुअल फंडों की शुद्ध खरीदारी 97,566 करोड़ रुपए रही है। दूसरी ओर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली थम गई है, जिसकी वजह आर्थिक व आय के मोर्चे पर सुधार है। तीन महीने में पहली बार एफपीआई बाजार में शुद्ध खरीदार बन गए हैं क्योंकि उन्होंने पिछले महीने 30.4 करोड़ डॉलर की खरीदारी की। इस साल अब तक एफपीआई ने देसी बाजार में 5.8 अरब डॉलर का निवेश किया है। भारत से कुछ छोटे बाजारों का उभरते बाजारों व एशिया प्रशांत के सूचकांकों में ज्यादा के भारांक दिया गया है क्योंकि उनका फ्री-फफ्लोट भारांक ज्यादा है। फ्री-फ्लोट मार्केट कैप का मतलब कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों का अनुपात। इसमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी व लॉक इन वाले शेयर शामिल नहीं होते।

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