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    Home»Top Story»आपदाः झारखंड के 18 जिलों के 129 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित होंगे
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    आपदाः झारखंड के 18 जिलों के 129 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित होंगे

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 17, 2018No Comments5 Mins Read
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    रांची। 18 जिलों के 129 प्रखंड सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित होंगे। जिला उपायुक्तों की रिपोर्ट के आधार पर कृषि विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को यह अनुशंसा भेजी है। उपायुक्तों की रिपोर्ट में पलामू, जामताड़ा, पाकुड़, धनबाद, गोड्‌डा, बोकारो, कोडरमा, खूंटी, रामगढ़, गढ़वा, लातेहार, देवघर, गिरिडीह, रांची, लोहरदगा, साहेबगंज, चतरा और दुमका के 129 प्रखंडों में अल्पवर्षा होने की रिपोर्ट आई है। वर्षा के अभाव में वहां की खरीफ फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इस वर्ष राज्य के 15.27 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी, जिसमें वर्षा के अभाव में 40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई थी। ऐसी संभावना है कि सोमवार तक आपदा प्रबंधन विभाग यह अधिसूचना जारी करेगा।

    किसानों पर इस बार दोहरी मार
    राज्य के किसानों को इस बार दोहरी मार पड़ी। न तो रोपनी के समय अच्छी वर्षा हुई और न ही धान फूटने के समय ही बरसात हुई। जुलाई में धान की खेती का उपयुक्त समय है, पर इस महीने में पूरे राज्य में औसत 263.3 मिमी. वर्षा ही रिकार्ड की गई, जबकि आवश्यकता कम से कम 319.4 मिमी. की थी। ऐसे में किसानों को अंतिम अगस्त तक धान की रोपनी करनी पड़ी। सितंबर में भी 235.5 मिमी. की जगह मात्र 133 मिमी. वर्षा ही रिकार्ड की गयी।

    जिलों में ड्रॉट मॉनिटरिंग सेंटर की भी हो रही है स्थापना
    कृषि विभाग को जिलों से मिले इनपुट के आधार पर राज्य के18 जिलों के 129 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए आपदा प्रबंधन प्रभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। फिलहाल रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। संबंधित सूची को जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा ताकि सभी संबंधित प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सके। इधर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिला स्तर पर ग्रोथ मॉनिटरिंग सेंटर का गठन किया गया है। राज्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराने के लिए जिलों में कुल सवा 49 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए।

    इन जिलों में सुखाड़ की स्थिति रही
    पलामू, जामताड़ा, पाकुड़, धनबाद, गोड्‌डा, बोकारो, कोडरमा, खूंटी, रामगढ़, गढ़वा, लातेहार, देवघर, गिरिडीह, रांची, लोहरदगा, साहेबगंज, चतरा और दुमका।

    इन जिलों का एक भी प्रखंड नहीं शामिल
    हजारीबाग, सिमडेगा, गुमला, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम। दिसंबर अंत तक धान कटनी की रिपोर्ट आने के बाद इन जिलों की स्थिति स्पष्ट होगी।

    मुख्य सचिव ने प्रखंडवार आकलन का दिया था निर्देश
    सीएस सुधीर त्रिपाठी ने धान की फसल के नुकसान का प्रखंडवार आकलन करने का निर्देश 24 अक्टूबर को दिया था। बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों ने सीएस को बताया कि राज्य में मात्र 72% वर्षा हुई है। सबसे खराब स्थिति पाकुड़ और कोडरमा की है। यहां 50% से भी कम बारिश हुई है। वहीं रांची, खूंटी, पलामू, गढ़वा, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, देवघर में औसत से 50% से अधिक, लेकिन 75% से कम बारिश हुई है। धनरोपनी भी लक्ष्य से लगभग 16% कम हुई थी।

    6 जिलों का कोई भी प्रखंड सुखाड़ की सूची में नहीं
    राज्य के 24 में से छह जिलों के किसी भी प्रखंड को सुखाड़ घोषित नहीं किया जा रहा है। इनमें हजारीबाग, सिमडेगा, गुमला, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम शामिल है।
    हजारीबाग जिले में शुरुआती दौर में 60 प्रतिशत धान के फसल को नुकसान होने का अनुमान था। हालांकि जिला कृषि पदाधिकारी एस कुमार ने बताया कि जिले के तीन प्रखंड कटकमसांडी, पदमा और चौपारण को ट्रिगर टू में शामिल करने की अनुशंसा की गयी है।

    गुमला में 24 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. रमेश चंद्र सिंह का कहना है कि सूखा क्षेत्र घोषित होने के लिए निर्धारित मापदंड में वर्षा के अभाव में 50 प्रतिशत धनरोपनी होने तथा बाद में वर्षा नहीं होना शामिल है। जिले में 85.90 % धनरोपनी हुई है। सिमडेगा में 30 फीसदी फसल के नुकसान का अनुमान था। जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार का कहना है कि प्रतिदिन बारिश की जो रिपोर्ट राज्य मुख्यालय भेजी गई थी, उसी के आधार पर प्रभावित जिलों की पहचान की गई है। पंचायतों से रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कितना नुकसान हुआ है।

    सरायकेला में 14 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। यहां 15 फीसदी नुकसान का अनुमान था। जिला कृषि पदाधिकारी विजय कुजूर ने बताया कि इ धान कटनी की रिपोर्ट 31 दिसंबर तक सौंपेंगे। पश्चिमी सिंहभूम में 18 प्रतिशत नुकसान का अनुमान था। जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर का कहना है कि जिले में केवल 12 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। चक्रवात के कारण जिले में धान के फसल को फायदा हुआ था।

    पूर्वी सिंहभूम में 7 प्रतिशत फसल के नुकसान का अनुमान लगाया गया था। जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी कालीपद महतो का कहना है कि सुखाड़ घोषित करने का पैमाना, लंबे अंतराल तक बारिश न होना और दूसरा धान की बाली आने के समय बारिश न होना। यहां औसत से ज्यादा बारिश हुई है। इस वजह से जिले का एक भी प्रखंड सूची में नहीं है।

    49% प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित होंगे
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