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    Home»Breaking News»झारखंड की राजनीति गरम, सत्ता पक्ष के विधायक नरम
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    झारखंड की राजनीति गरम, सत्ता पक्ष के विधायक नरम

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 20, 2018No Comments3 Mins Read
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    रांची। मुख्यमंत्री के कठोर निर्णय के बाद भाजपा के सांसद-विधायकों का पारा शिक्षकों के सुर में सुर मिलाने के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं। पहला-पारा शिक्षकों की एकजुटता, और संख्या इन नेताओं की नींद उड़ा रही है। राज्य में लगभग 67 हजार पारा टीचर हैं, जो झारखंड के हर जिले में किसी भी दल की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें शहर तो शामिल हैं ही, गांवों में भी इनकी पैठ है। इनकी नियुक्ति शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए की गयी थी। डेढ़ दशक पहले ग्राम शिक्षा समिति ने इन्हें नियुक्त किया था। समय के साथ सरकारी शिक्षक रिटायर होते गये और पारा शिक्षकों की संख्या बढ़ती चली गयी। एक तो स्थानीय होने के नाते और दूसरे स्कूल में शिक्षक होने के नाते कहीं न कहीं से अपने इलाके में इनका अच्छा खासा प्रभाव है।

    वहीं इनसे प्रभावित होनेवालों लोगों की जमात भी बड़ी है। चुनाव सिर पर है, ऐसे में नेताओं की सहानुभूति इनके प्रति बढ़ गयी है। इनके प्रति नरमी का दूसरा कारण यह हो सकता है कि नेताओं को यह लगने लगा है कि पारा शिक्षकों पर की गयी कार्रवाई गलत है। इसलिए हठधर्मिता छोड़ कर सरकार को इनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

    पारा शिक्षकों के खिलाफ एक ही बात जा रही है कि आखिर वे स्थापना दिवस जैसे झारखंड की अस्मिता से जुड़े समारोह में इतने उग्र क्यों हो गये। उनका तो सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से विरोध का कार्यक्रम था। आखिर कैसे यह कार्यक्रम अलोकतांत्रिक हो गया। बच्चों को अहिंसा का पाठ पढ़ानेवाला मास्साब इतने हिंसावादी क्यों हो गये। निश्चित तौर पर मांगों को लेकर अपनी बात रखने, विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन लोकतंत्र में अहिंसा की कोई जगह नहीं है। इनकी मांगों को गलत नहीं कहा जा सकता, लेकिन समय और आंदोलन को आक्रामक करना कहीं से जायज भी नहीं ठहराया जा सकता।

    इधर स्थापना दिवस पर लाठीचार्ज के बाद से पारा शिक्षकों का पारा और चढ़ गया है। पूरे राज्य के पारा शिक्षक हड़ताल पर चले गये हैं। ये पारा टीचर जगह-जगह नेताओं का विरोध कर रहे हैं।
    इधर, सरकार भी सख्त हो गयी है। 20 नवंबर तक ड्यूटी में नहीं आनेवाले पारा शिक्षकों को सेवामुक्त करने का अल्टीमेटम दिया गया है। इसे लेकर इन स्कूलों में टेट पास और सरकारी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। इन शिक्षकों की सूची भी तैयार हो गयी है। 20 नवंबर तक पारा शिक्षक काम पर नहीं लौटे, तो उनकी जगह इन्हें प्रतिनियुक्त कर दिया जायेगा। खैर, स्थितियां चाहे जो भी हों, लेकिन इन दिनों झारखंड का पारा चढ़ा हुआ है और सरकार में बैठे नेता भी अब नरम पड़ने लगे हैं।

    सत्ता पक्ष के विधायक नरम
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