इसी आतंक के कारण इस बार भी उनकी राह होगी आसान
दंतेवाड़ा से हरिनारायण सिंह
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, सुकमा और नारायणपुर, यानी लाल आतंक का वह इलाका, जहां के बीहड़ और सन्नाटे में मौत घूमती है। यहां की हवाओं में बारूद और मौत की मिली-जुली गंध मिलती है। इन इलाकों में चार खंभे पर टिकी भारतीय व्यवस्था बंदूक के पहरे में सांसें लेती है। कानून धीरे-धीरे सरकता है और अक्सर मुठभेड़ का शिकार होता है। राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अब दो सप्ताह से भी कम का समय बचा है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर प्रशासनिक तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इन तैयारियों में सबसे अधिक जोर नक्सल प्रभावित इलाकों में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने पर है।
प्रशासनिक अधिकारी राज्य के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और बस्तर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इन इलाकों में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किये गये हैं, हालांकि यह भी हकीकत है कि इनमें से करीब 20 प्रतिशत मतदान केंद्रों तक कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंच सका है। छत्तीसगढ़ के व्यापारी, पढ़ा-लिखा समाज और अमनपसंद लोग मिल कर अंदर-अंदर एक अभियान चला रहे हैं। यह अभियान है लोगों को जागरूक करने का। वे लोगों से सीधा सवाल पूछ रहे हैं कि आपको नक्सली राज चाहिए या लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनी हुई सरकार।
ये खुल कर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन इनके अभियान में यह बात साफ है कि वे एक बार फिर छत्तीसगढ़ में रमण सिंह सरकार की वापसी चाहते हैं। वे लोगों से कह रहे हैं कि अगर आप चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से नक्सलियों का सफाया हो और हम खुली हवा में सांस लें, तो निस्संदेह उस व्यक्ति के साथ आपको खड़ा होना पड़ेगा, जो नक्सलियों का इलाज कर रहा है। जिसने नक्सलियों की कमर तोड़ी है। जो किसी भी हाल में उनसे बातचीत कर उनके लिए जमीन तैयार नहीं करना चाहता। उसके इस कदम का छत्तीसगढ़ में असर भी देखने को मिल रहा है।
यहां सात-आठ क्षेत्रों में ही नक्सलियों का दबदबा रह गया है। शहरी क्षेत्र को उनके प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है। बहुत सारे ग्रामीण इलाकों में भी उनकी कमर टूट चुकी है। बस्तर, सुकमा, नारायणपुर, दंतेवाडा, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर सहित कुछ इलाके ही ऐसे हैं, जहां आज भी नक्सलियों का दमदार प्रभाव है। इन क्षेत्रों के लगभग बीस फीसदी इलाकों में नक्सलियों की ही चलती है। आज भी वहां सरकार सीधे नहीं जा सकती। नेता उधर का रास्ता नहीं करते। कार्यकर्ता अपनी जुबान नहीं खोलते। उन्हीं इलाकों में मोबाइल जैसे जरूरी संसाधन पर भी नक्सलियों ने प्रतिबंध लगा दिया है। इन इलाकों से विकास दूर है। रास्ते ये बनने नहीं देते, उद्योग लगाने नहीं देते। रोजी-रोजगार का भी संकट है। ग्रामीण भी कहने लगे हैं कि कोई मजबूत सरकार ही नक्सलियों की कमर तोड़ सकती है। हालांकि रमण सिंह की सरकार ने नक्सली गतिविधियों पर बहुत हद तक रोक लगायी है। जो आतंक पहले खुलेआम होता था, आज चोरी-छिपे हो रहा है। पुलिस के आमने-सामने आकर नक्सली हमला करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति सुधरने के पीछे सौदान सिंह की रणनीति है। उनकी रणनीति के आगे कांग्रेस पस्त हो गयी है।
रायपुर में एक पुराने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। बड़ा नाम है उनका। लोगों के बीच आदर का भाव भी है। झारखंड भाजपा के नेता, कार्यसमिति और बीस सूत्री के सदस्य राकेश भास्कर के माध्यम से उनसे मिलने का मौका मिला। उनका नाम है शिवनारायण मंूधड़ा। वे सृजन संस्थान रायपुर के अध्यक्ष भी हैं। कई अन्य संस्थाओं के सम्मानित पदों पर हैं। छत्तीसगढ़ के बारे में उन्हें बहुत जानकारी है। उन्हें छोटी-मोटी इनसाइक्लोपीडिया भी कह सकते हैं। राकेश भास्कर की तरह ही शिवनारायण मूंधड़ा भी बेबाकी से बात करते हैं।
बातचीत छत्तीसगढ़ के मौजूदा चुनाव से लेकर केंद्र की राजनीति तक होती है। छूटते ही वह कहते हैं: मोदी और राहुल में कोई तुलना ही नहीं है भाई। मोदी धरातल से निकले हैं और राहुल महल से। वे कहते हैं: दरअसल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस लीडरशिप के संकट से जूझ रही है। कांग्रेस में एक ही नेता हैं केपी सिंहदेव। वे विपक्ष के नेता भी हैं। उनकी छवि काफी साफ-सुथरी है। चरणदास महंत भी ठीक-ठाक हैं। कांग्रेस में और कोई नेता? के जवाब में वे साफ-साफ कहते हैं- याद नहीं। और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के बारे में आपका क्या खयाल है-अरे भाई हमसे मत कहलवाये। उनका विवादों से पुराना नाता रहा है। और भाजपा में नेताओं की क्या स्थिति है? ऊपर से नीचे तक भरे पड़े हैं। रमण सिंह के बारे में आपका क्या खयाल है? हमें तो मोदी जी पसंद हैं। एक ही चेहरा बार-बार देखने से मन भर गया है। हम चाहते हैं कि भाजपा की सरकार बने, लेकिन चेहरा बदलना चाहिए। वे मानते हैं कि नक्सलियों के आतंक से मुक्ति के लिए भाजपा सरकार का आना बहुत जरूरी है।
रायपुर के अधिकांश व्यापारी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को नक्सलियों का पोषक मानते हैं। छूटते ही वे कहते हैं: दिग्विजय सिंह ने ही एक तरह से नक्सलियों को यहां बसाया। उन्हें फलने-फूलने का मौका दिया। एक तरह से उनका शासन स्थापित करवा दिया। यहां के व्यवसायी कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी के तीन साल के शासनकाल को भी भूल जाना चाहते हैं। वे कहते हैं: अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ में आतंक का राज स्थापित कर दिया था। दूसरों की तो छोड़िये, कांग्रेस के लोग भी उनसे त्राहि-त्राहि करने लगे थे। कइयों के उन्होंने हाथ-पैर तुड़वाये और कइयों को जेल की कोठरी में भेजा।
व्यापारी कहते हैं: नक्सलियों के आतंक, जोगी की दबंगई और कांग्रेस की नीरो की तरह वंशी बजाने के कारण ही छत्तीसगढ़ में 2003 में रमण सिंह की सरकार आयी और पंद्रह साल से उसका शासन है। ये लोग फिर एक बार यह कहने लगे हैं कि जिस नक्सली आतंक और अजीत जोगी की दबंगई से ऊब कर छत्तीसगढ़ के लोगों ने रमण सिंह सरकार को चुना था, आज फिर उन्हीं दोनों की बदौलत भाजपा के लिए रास्ता तैयार हो रहा है। सच कहा जाये, तो पिछले एक हफ्ते के दरम्यान जैसे-जैसे नक्सलियोें की गतिविधियां बढ़ी हैं। आतंक स्थापित हुआ है।
बीजापुर में पहले चार पुलिसकर्मियों की हत्या और मंगलवार को दंतेवाड़ा में डीडी न्यूज के कैमरामैन और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद एक बार फिर रमण सिंह की स्थिति सुधर रही है। जिन इलाकों में भाजपा को पैर रखने की जगह नहीं थी, उन इलाकों में अब खुलेआम उसकी वापसी की संभावना जतायी जाने लगी है। कहीं न कहीं लोगों के जेहन में एक बात प्रवेश कर रही है कि भाजपा ही नक्सलियों के आतंक से मुक्ति दिला सकती है।
भाजपा ने ही बनाया और वही संवार रही है: राजेंद्र सिंह
कांकेर के एक मुहल्ले में रात को दस बजे झारखंड भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे राजेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। उनके साथ झारखंड भाजपा के वरीय नेता और कार्यसमिति तथा बीस सूत्री के स्टेट सदस्य राकेश भास्कर भी थे। राकेश भास्कर को राजेंद्र सिंह ने कुछ जिम्मेदारी सौंपी है। राजेंद्र सिंह से इस संवाददाता ने यह जानना चाहा कि आप लोग नक्सलियों के आतंक से कैसे निपटेंगे।
उन्होंने कहा: जनता हमारे साथ है। जतना ने ही हमें साहस और शक्ति दी है नक्सलियों से निपटने के लिए। डर कर घर में बैठने से अच्छा है कि देश-समाज के लिए कुछ किया जाये। उन्होंने कहा कि मां दंतेश्वरी की कृपा है हम पर, हमारे कार्यकर्ताओं पर। उनके आशीर्वाद से हम जन सेवा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के चुनाव की कमान संभाल रहे सौदान सिंह ने उन्हें जो काम सौंपा है, उसे पूरा किये बगैर वह शांत नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि देश में नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ में रमण सिंह का काम बोल रहा है। राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह का कुशल नेतृत्व और सौदान सिंह की कारगर रणनीति ने हमें छत्तीसगढ़ में फिर से मजबूत जमीन उपलब्ध करा दी है। हम आ रहे हैं। मजबूत स्थिति में आ रहे हैं। भाजपा ने ही छत्तीसगढ़ को बनाया और वही इस संवारेगी।