रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन पर शोध होगा। उनके जीवन संघर्ष, महाजनों के खिलाफ आंदोलन, टुंडी आश्रम में उनका लंबा प्रवास और झारखंड मुक्ति मोर्चा के इतिहास पर भी शोध किया जायेगा। डॉ रामदयाल मुंडा आदिवासी शोध संस्थान ने विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से रिसर्च के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया है। बता दें कि शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके पुत्र हेमंत सोरेन अभी वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। अभी हाल ही में शिबू सोरेन को कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया था। तबीयत ज्यादा खराब हो जाने पर उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया था। वहां से वे स्वस्थ होकर लौटे हैं।
1973 में झामुमो का गठन और 1977 में पहली बार लड़ा चुनाव
शिबू सोरेन को झारखंड के लोग गुरुजी भी कहते हैं। संथालों ने उन्हें दिशोम गुरु यानी दसों दिशाओं का गुरु नाम दिया है। तभी से शिबू सोरेन गुरुजी के नाम से पहचाने जाने लगे। शिबू सोरेन की शादी रूपी सोरेन से हुई। उन्होंने अपनी पार्टी झामुमो का गठन 4 फरवरी 1973 को किया था। शिबू सोरेन ने 1977 में पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा। लेकिन वे यह चुनाव हार गये। इसके बाद वे 1980 में दुमका सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद बने। वे पहली बार 2005 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 2008 और 2009 में पुन: मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए। 2009 में तमाड़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें राजा पीटर से हार का सामना करना पड़ा। शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की 21 मई 2009 को मृत्यु हो गयी थी। दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अभी जामा क्षेत्र से विधायक हैं।
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