रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्किल समिट-2018 और ग्लोबल स्किल समिट- 2019 में लोगों को दिये गये आॅफर लेटर और उनके नियोजन की अद्यतन स्थिति को लेकर खड़े किये गये कई गंभीर सवालों पर उठे विवाद की जांच एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने का निर्णय लिया है। बुधवार को सीएम ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह मामला विधानसभा के बजट सत्र में विधायक प्रदीप यादव ने उठाया था। उन्होंने इस बारे में अल्पसूचित प्रश्न के जरिये कई गंभीर सवाल खड़े किये थे और सरकार से इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग रखी थी। सीएम ने इस मुद्दे को अत्यंत गंभीर मानते हुए इसकी जांच कराने का निर्णय लिया है।
1.33 लाख से अधिक व्यक्तियों को आॅफर लेटर दिये गये थे
स्किल समिट- 2018 में 26 हजार 674 लोगों को आॅफर लेटर दिया गया था। इसमें उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा 15 हजार 869, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 2713, शहरी विकास एवं आवास विभाग द्वारा 3317, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 4418, खनन भूतत्व और उद्योग विभाग द्वारा 198, पर्यटन, कला, संस्कृति खेल एवं युवा कार्य विभाग द्वारा 159 व्यक्तियों को आॅफर लेटर दिया गया था।
ग्लोबल स्किल सम्मिट– 2019 में एक लाख छह हजार 619 लोगों को आॅफर लेटर मिला था। इनमें झारखंड स्किल डेवलपमेंट मिशन सोसाइटी द्वारा 44 हजार 693, उच्च शिक्षा द्वारा 12 हजार 101, तकनीकी शिक्षा द्वारा 5963, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 12 हजार 451, शहरी विकास एवं आवास विभाग द्वारा 14 हजार 892, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 10 हजार 965, उद्योग विभाग द्वारा 998 और कल्याण विभाग द्वारा 4556 व्यक्तियों को जॉब आॅफर दिये गये थे। इन दोनों स्किल समिट में दिये गये आॅफर लेटर के आलोक में नियोजन की अद्यतन स्थिति पर विधायक ने सवाल उठाया था।
स्किल समिट में दिये गये आफर लेटर में गड़बड़ी की होगी जांच
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