Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»झारखंड सरकार की हर डाल पर बैठे हैं ‘कांग्रेसी कालिदास’
    Breaking News

    झारखंड सरकार की हर डाल पर बैठे हैं ‘कांग्रेसी कालिदास’

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 19, 2021No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    खुल कर खेल रहे ‘प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम’ : सरकार के साथ पार्टी की भी हो रही किरकिरी

    देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की झारखंड इकाई एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि उसके कुछ विधायक अब खुल कर ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का खेल खेलने लगे हैं। जामताड़ा के विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाया है और खुद को मंत्री बनाने की मांग तक कर दी है। उधर कांग्रेस के कई विधायक राज्य सरकार के कामकाज के प्रति असंतोष व्यक्त कर चुके हैं। इतना ही नहीं, पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में महंगाई के खिलाफ राज्यव्यापी जनजागरण अभियान चला रही है, तो पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बार-बार कह रहे हैं कि राज्य सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर से वैट कम नहीं करेगी। इससे पहले भी दीपिका पांडेय सिंह सहित कई विधायकों ने शिकायत की थी कि इनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं। झारखंड कांग्रेस के भीतर शुरू हुए इस नये खेल का सीधा असर सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार की इमेज पर पड़ रहा है। अब तो यह कहा जाने लगा है कि कांग्रेसी उसी डाल को काटने लग गये हैं, जिस पर वे बैठे हैं। यह उनकी पार्टी के लिए तो आत्मघाती होगा ही, सरकार पर भी इसका बेहद खराब असर पड़ेगा। झारखंड कांग्रेस के इन ‘कालिदासों’ के असर पर पर आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राहुल सिंह की खास रिपोर्ट।

    संस्कृत के महान विद्वान कालिदास की कहानी सभी को पता होगी। उनके बारे में कहा जाता है कि जीवन के शुरूआती दौर में वह एक बार उसी डाल को काट रहे थे, जिस पर वह बैठे थे। यह देख कर उनके गुरु ने उन्हें फटकार लगायी और वहीं से वह कालिदास बन गये। झारखंड में सत्तारूढ़ महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की भी आजकल यही स्थिति है। कांग्रेस के विधायक उसी डाल को काटने पर आमादा हैं, जिस पर वे बैठे हुए हैं। उनकी अति महत्वाकांक्षा से पार्टी की तो किरकिरी हो ही रही है, सरकार का इमेज भी खराब हो रहा है।

    उदाहरण के लिए जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी को ही लें। उन्होंने पार्टी अनुशासन की सीमाओं को पार करते हुए बयान दिया कि सरकार में शामिल कांग्रेसी मंत्रियों का परफारमेंस ठीक नहीं है। इसलिए उनके कामकाज की समीक्षा की जाये। डॉ इरफान अंसारी ने खुद को मंत्री बनाये जाने की भी बात कह दी। इससे पहले भी वह समय-समय पर बगावती तेवर अपनाते रहे हैं और अपने बयानों से पार्टी की किरकिरी कराते रहे हैं।

    डॉ अंसारी अकेले नहीं हैं। महागामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह के तेवर भी काफी तल्ख हैं। बात-बात में अधिकारियों से उनकी नाराजगी झलकती है। वह तो इस बात से भी नाराज हो गयीं कि दिवाली की मिठाई उनके यहां बीडीओ के ड्राइवर ने क्यों पहुंचाया। उनका कहना है कि सरकारी अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते। दीपिका पांडेय सिंह के अलावा कांग्रेस के आधा दर्जन विधायकों का मन-मिजाज भी ठीक नहीं है। वह सरकारी कामकाज में मीन-मेख निकालने में जुटे हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि कांग्रेसी विधायकों को जो जी में आता है, बोल देते हैं। वे कई बार ऐसी बात कह देते हैं, जिससे राज्य सरकार के सामने भी असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व में चल रहे महंगाई के खिलाफ जनजागरण अभियान को ही लें। पार्टी के नेता जगह-जगह महंगाई के लिए केंद्र सरकार को कोस रहे हैं, कह रहे हैं कि केंद्र ने बेतहाशा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिये हैं, इसलिए महंगाई बढ़ गयी है। वहीं दूसरी तरफ राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव बेमौसम बार-बार पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने से इनकार कर रहे हैं। पार्टी के भीतर यह दोहरा रवैया लोगों के गले नहीं उतर रहा है। आप दाम कम भले ही नहीं करें, लेकिन बार-बार यह कहने की क्या जरूरत है कि हम दाम कम नहीं करेंगे।

    यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। कांग्रेस के पुराने लोगों का कहना है कि सरकार का कामकाज समन्वित ढंग से चल रहा है और पार्टी हर कदम पर अपने सहयोगी झामुमो के साथ है। लेकिन तब यहां सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस विधायकों ने यह रुख क्यों अपनाया हुआ है। यह सही है कि हेमंत सोरेन सरकार वही फैसले कर रही है, जिसमें उसे अपने सहयोगी दलों का पूरा समर्थन हासिल है।

    मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले ही हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और राजद नेताओं से साफ कह दिया था कि वह किसी दबाव में फैसला नहीं करेंगे। यही कारण है कि डॉ इरफान अंसारी सरीखे विधायकों की महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो पा रही है। ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर ठेका-पट्टा तक में कोई पैरवी नहीं सुनी जा रही है। ऐसा नहीं है कि हेमंत सोरेन केवल अपने सहयोगी दलों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। वह अपनी पार्टी के विधायकों की भी कोई अनुचित पैरवी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि डॉ इरफान अंसारी और अन्य विधायक अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए ही सरकार की शिकायत कर रहे हैं।

    लेकिन साथ ही एक और बात साफ हो गयी है कि झारखंड कांग्रेस में अब न तो अनुशासन की कोई जगह बची है और न ही किसी को संगठन की मजबूती से मतलब है। 2019 के दिसंबर में विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने झारखंड में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 16 सीटों पर जीत हासिल की थी, तब कहा जाने लगा था कि पार्टी अपने सुनहरे दिन की ओर लौट रही है। उस जीत ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के दर्द को भुला दिया था। विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर चुनाव लड़ कर 16 सीटें जीत कर कांग्रेस ने न केवल गठबंधन के दूसरे सबसे बड़े सहयोगी का स्थान बरकरार रखा था, बल्कि सरकार में लगभग बराबर की साझीदार भी बनी। पार्टी के चार विधायक मंत्री बने और जोर-शोर से नयी सरकार ने काम शुरू किया। शुरूआत में पार्टी के विधायकों में भी काम के प्रति जबरदस्त उत्साह था, लेकिन समय बीतने के साथ ही यह उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है। अब स्थिति यह है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में अपना सब कुछ झोंक दिया और पार्टी की जीत के लिए दिन-रात एक कर दिया, अब वही असमंजस में हैं। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि विधायकों की इन बातों का वह जनता के सामने क्या जवाब दें।

    जाहिर है, कांग्रेस के भीतर की यह स्थिति झारखंड के राजनीतिक भविष्य के लिए भी खतरनाक है, क्योंकि यह पार्टी सरकार में साझीदार है और इसके भीतर का असंतोष का असर सरकार की सेहत पर भी पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में झारखंड कांग्रेस को एक बड़े ओवरहॉलिंग की जरूरत है।

    कांग्रेस आलाकमान जितनी जल्दी यह बात समझ ले, स्थिति उतनी ही अनुकूल होगी, अन्यथा झारखंड में भी किसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। आलाकमान को हर हाल में विधायकों में अनुशासन बनाये रखने का प्रयास करना होगा। इसके लिए उन्हें बार-बार झारखंड आना होगा। दिल्ली में बैठ कर पार्टी में अनुशासन की घुट्टी नहीं पिलायी जा सकती। अनर्गल बयानबाजी को अगर नहीं रोका गया, दल की जनता के बीच किरकिरी हो जायेगी। आलाकमान को यह भी विश्वास दिलाना होगा कि झारखंड संगठन में गुटबाजी नहीं है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है: प्रधानमंत्री मोदी
    Next Article एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत : संयुक्त किसान मोर्चा
    azad sipahi

      Related Posts

      एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

      June 8, 2025

      राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

      June 7, 2025

      बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

      June 5, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘हाउसफुल-5’ का जलवा, 100 करोड़ के क्लब में शामिल
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘ठग लाइफ’ की रफ्तार थमी, फिल्म को नहीं मिला दर्शकों का प्यार
      • भारत ए बनाम इंग्लैंड लायंस: कोटियन-कंबोज की शानदार साझेदारी, दूसरा अनौपचारिक टेस्ट ड्रॉ
      • एफआईएच प्रो लीग: रोमांचक मुकाबले में नीदरलैंड ने भारत को 3-2 से हराया
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version