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    Home»Breaking News»सदन में विपक्ष ने कहा: नौवीं अनुसूची में शामिल करना लंबी प्रकिया, सरकार संकल्प जारी कर इसे लागू करे
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    सदन में विपक्ष ने कहा: नौवीं अनुसूची में शामिल करना लंबी प्रकिया, सरकार संकल्प जारी कर इसे लागू करे

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 11, 2022Updated:November 11, 2022No Comments5 Mins Read
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    रांची। हेमंत सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में बहुतप्रतीक्षित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नया आरक्षण विधेयक पास किया। विपक्ष ने इसे आईवॉश करार देते हुए नौवीं अनुसूची में शामिल करने को लंबी प्रक्रिया बताया। विपक्ष ने सरकार से आवश्यक संशोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि सरकार संकल्प जारी करके इसे पहले लागू करे, इसके बाद नौवीं अनुसूची में शामिल करे, क्योंकि यह पूरी तरह से राज्य सरकार का मसला है। विपक्ष का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम पिछले अनुभव को देखते हुए इसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचाना चाहते हैं, साथ ही इसे कानूनी सुरक्षा कवच प्रदान करना चाहते हैं।

    आरक्षित सीट को आरक्षित कोटे से ही भरा जाये: अमित यादव
    निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव ने ओबीसी आरक्षण और स्थानीय नीति में संशोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थिति यह है कि सामान्य जाति के छात्र-छात्राएं भी आरक्षित सीटों में घुस कर नौकरी प्राप्त कर ले रहे हैं। ऐसी व्यवस्था हो कि आरक्षित सीट को आरक्षित कोटे के स्टूडेंटस से ही भरा जाये इसलिए नये आरक्षण प्रस्ताव पर संशोधन की जरूरत है। अमित यादव ने कहा कि कई जिलों के लोगों के पास खतियान नहीं है। उनका क्या होगा। सरकार यह व्यवस्था सुनिश्चित करे कि ग्राम सभा वंशावली को एप्रूव करे, बीडीओ उसे अटेस्टेड करें, नहीं तो लाखों बांग्लादेशी और अन्य लोग उसका लाभ ले लेंगे।

    सीएम का जवाब
    प्रभारी मंत्री सह सीएम ने कहा कि इन्हीं सब समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार इस विधेयक को ला रही है और इसे कानूनी सुरक्षा प्रदान करने जा रही है। 20 साल में पहली बार जेपीएससी ने एकाउंट का रिजल्ट जारी किया, जिसमें 90 प्रतिशत एसटी, एससी और ओबीसी के छात्रों ने पास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई बाहर नहीं होगा, आप चिंता न करें। सरकार बहुत सोच-समझ कर कदम आगे बढ़ा रही है।

    पिछड़ा आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी को मिले 36 प्रतिशत आरक्षण : डॉ लंबोदर

    आजसू विधायक लंबोदर महतो ने संशोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि हम सरकार के दोनों विधेयकों का समर्थन करते ह,मगर ओबीसी के साथ फिर अन्याय होने जा रहा है। सरकार की ही इकाई राज्य पिछड़ा आयोग ने 55 प्रतिशत ओबीसी के लिए 36 से 50 प्रतिशत तक आरक्षण सीमा दायरा बढ़ाने की सिफारिश की है। इसलिए बीसी वन को 15 से बढ़ा कर 20 और बीसी टू को 12 से बढ़ा कर 16 प्रतिशत करते हुए 36 प्रतिशत आरक्षण दें। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की आंख में धूल झोंकने का काम कर रही है। राज्य सरकार को पहले संकल्प जारी करके इसे राज्य में लागू करना चाहिए, ताकि बहालियों में ओबीसी को तुरंत उसका लाभ मिल सके। इसके बाद नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजा जाये। उन्होंने यह भी कहा कि इसे लागू करने के बाद ही नयी बहालियां हों, ताकि स्थानीय इसका लाभ उठा सकें।

    सीएम का जवाब:
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में इसका जवाब देते हुए कहा कि आपने ही तो पहले 27 प्रतिशत दिया था। क्या हुआ कोर्ट में चला गया और फिर आपने कम कर दिया। अब कानूनी सुरक्षा प्रदान करके इसे लागू करना चाहते हैं, ताकि कोर्ट के झमेले में न पड़े.

    नौवीं अनुसूची लंबी प्रक्रिया, सरकार संकल्प जारी करके इसे लागू करें : रामचंद्र चंद्रवंशी
    भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने सरकार द्वारा लाए गये दोनों विधेयक का समर्थन किया, मगर कहा कि इसमें कई त्रुटियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजने से देर होगी। इधर बहालियां शुरू हो जायेंगी। इसलिए सरकार झुनझुना दे रही है। सरकार के पास अधिकार है कि इसे वह एक संकल्प जारी करके लागू कर सकती है। जब बहाली शुरू हो जायेगी, तो इन नीतियों को लेकर जनता क्या झाल बजायेगी। यह महज दिखावा है।

    सीएम का जवाब
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नौंवीं अनुसूची में शामिल करने की जरूरत क्यों पड़ रही है, ये खुद भाजपा के लोग भी जानते हैं। आपने 1985 आधारित स्थानीय और नियोजन नीति बनायी, क्या हुआ। कोर्ट के पचड़े में पड़ कर फंस गयी। आप फिर क्या चाहते हैं कि ये मसले उलझे ही रहें। हम अब वैसा कोई काम करने नहीं जा रहे हैं।

    स्थानीय नीति में नियोजन शब्द जोड़ा जाये, तभी लोगों को फायदा : विनोद सिंह
    माले विधायक विनोद सिंह ने संशोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि 15 नवंबर 2000 के बाद पहली बाहर ये दोनों अहम मसले आज सदन में लाये गये हैं। इसका उनकी पार्टी समर्थन करती है। 1985 खतियान आधारित स्थानीय नीति में कई कमियां थी, जो अब खत्म होंगी। मगर इन विधेयकों में भी कई कमियां हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है। स्थानीय नीति आधारित ही नियोजन नीति बननी चाहिए। अगर नियोजन नीति इसमें नहीं जुड़ी, तो यह नीति अधूरी रह जायेगी। ऐसे परिवार जिनके पास खतियान नहीं हैं, उनका क्या होगा। इसके बारे में भी सरकार को स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।

    सीएम का जवाब
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जो स्थानीय नीति बनायी जा रही है, यही नियोजन का भी आधार बनेगी। आपकी चिंता सही है, मगर यही आधार बनेगी तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों का। न केवल सरकारी, बल्कि निजी क्षेत्रों में भी इसका लाभ मिलेगा।

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