मधुबनी। जिला मुख्यालय सहित सुदूर ग्रामीण परिवेश में देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी व्रत पर्व की निष्ठापूर्वक निर्वहन गुरुवार को आयोजित हुई।
व्रत पालन कर आमजन संध्याकाल भगवान का वृहत पूजा अनुष्ठान अर्चना किया जाता।व्रती लोग देवोत्थान एकादशी तिथि को फल मूल कण्ड खाकर पारणा करते हैं।परम्परानुसार देवोत्थान एकादशी तिथि को शकरकंद ईख जलफल सिंघार केला मखाना विहित फलाहार होता है।
मुख्यालय स्थित हनुमान प्रेम मंदिर ,राम जानकी मंदिर, काली मंदिर गोकुलवली आश्रम में ” ब्रह्मेन रूद्रेन ,,,,, उतिष्ठ उतिष्ठ हे गोविन्द ” साविधि मंत्रोच्चार के साथ भगवान को धूप-दीप नैवेद्य भोग- राग के साथ पूजा- अर्चना हो रहा।उत्साहपूर्ण वातावरण में एकाग्र भक्तों की चहुंओर भीड़ भजन-कीर्तन में तल्लीन दिखा।इधर मिथिलांचल परिक्षेत्र में देवोत्थान एकादशी तिथि को वृहत शास्त्रीय पौराणिक अरिपन की परम्परागत सांस्कृतिक धरोहर सबतरि दृष्टव्य है।
देवोत्थान एकादशी व्रत की महत्वपूर्ण परम्परानुसार व्यवहार के सन्दर्भ में पंडित विद्वानो ने मंतव्य दिया।पं फूल कान्त ने बताया कि देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी की महत्व शास्त्रीय पौराणिक धार्मिक आख्यान में उल्लेखित है।