रांची। किसान, मजदूर, युवा किसी के भी सपने को देश में पूरा नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि लोग छला हुआ महसूस कर रहे हैं। एक ओर जहां किसानों और मजदूरों के खिलाफ सरकार कानून लाती है, वहीं युवाओं को रोजगार दिलाने में केंद्र सरकार पूरी तरह विफल है। इन मुद्दों के साथ ट्रेड यूनियनों की ओर से महापड़ाव का आयोजन किया जायेगा। आयोजन 26 से 28 नवंबर तक किया जायेगा। ये जानकारी संयुक्त ट्रेड यूनियनों की प्रेस वार्ता में शुभेंदू सेन ने दी। उन्होंने कहा कि आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा और स्वतंत्र फेडरेशनों के आह्वान पर किया जा रहा है। इसके पहले नुक्कड़ नाटक, प्रचार अभियान, पर्चा वितरण, पदयात्रा समेत अन्य कार्यक्रमों का आयोजन राज्य भर में किया गया। अब महापड़ाव कार्यक्रम का आखिरी हिस्सा है। सेन ने बताया कि महापड़ाव 21 सूत्री मांगों के लिए किया जायेगा। राजभवन के समक्ष होने वाले इस आयोजन की तैयारी कर ली गयी है, जिसमें सीटू, इंटक, एटक, एआइसीसीटीयू, एचएमएस, झारखंड राज्य किसान सभा, एआइकेएम समेत अन्य ट्रेड यूनियनों की सहभागिता है।

21 सूत्री मांग
4 लेबर कोड को समाप्त करना, किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी सुनिश्चित करना, विनिवेश और एनएमपी के प्रयासों को समाप्त करना, बिजली संशोधन विधेयक एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापस करना, अनौपचारिक क्षेत्र के कामगार ठेकेदार कामगार एवं स्कीम वर्करों के लिए कानूनी तथा सामाजिक सुरक्षा, समान काम के लिए समान वेतन, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी समेत अन्य मांगें हैं। सेन के मुताबिक महापड़ाव के तीनों दिन इन संगठनों के करीब पांच-पांच हजार कार्यकर्ता भाग लेंगे। प्रतिदिन संगठनों के राष्ट्रीय नेता इन्हें संबोधित करेंगे।

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