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    Home»विशेष»सुरंग बचाव अभियान ने साबित की ‘मोदी है तो मुमकिन है’ की सच्चाई
    विशेष

    सुरंग बचाव अभियान ने साबित की ‘मोदी है तो मुमकिन है’ की सच्चाई

    adminBy adminNovember 30, 2023No Comments6 Mins Read
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    -पीएम मोदी हादसे के बाद लगातार 17 दिन तक करते रहे पूरे अभियान की मॉनिटरिंग
    -अभियान के हर कदम की लेते रहे विस्तृत जानकारी और बढ़ाते रहे कर्मियों का हौसला
    -बचाव अभियान ने मोदी की श्रमिक समर्थक छवि को निखारा, मिल सकता है फायदा

    उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद 17 दिन तक चले राहत और बचाव अभियान की सफलता का श्रेय जहां रैट माइनर्स के साथ इस अभियान में लगी पूरी टीम को दिया जा रहा है, वहीं पूरे अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता की भी जम कर तारीफ हो रही है। पीएम मोदी ने श्रमिकों को बाहर निकालने के अभियान में जिस तरह की सक्रियता दिखायी, उस तरह की सक्रियता इस तरह के मामलों में किसी प्रधानमंत्री के स्तर पर पहले शायद ही कभी देखी गयी थी। हादसे के फौरन बाद पीएम मोदी ने न केवल अपने केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और वीके सिंह को इस अभियान में लगातार मोर्चे पर सक्रिय रखा, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय से दो विशेष अधिकारी नियुक्त कर दिये, जो इस पूरे अभियान पर बहुत करीब से निगाह रख रहे थे। पीएम मोदी ने अभियान के दौरान जिस तरह इसके हरेक पहलू पर करीब से नजर और निगरानी रखी, उससे अभियान में लगे अधिकारी और कर्मी तो प्रभावित हैं ही, पूरे देश में पीएम मोदी की श्रमिक हितैषी छवि को नया रूप हासिल हुआ है। बचाव अभियान में सेना से लेकर केंद्रीय एजेंसियों, निजी कंपनियों और दूसरे संसाधन जुटाने के लिए जरूरी समन्वय के लिए जिस प्रबंध कौशल की जरूरत हुई, पीएम मोदी हर समय तैयार दिखे। वह बचाव अभियान में लगे अधिकारियों और कर्मियों से लगातार बातचीत कर जानकारी लेते रहे और उनका हौसला बढ़ाते रहे। बचाव अभियान के दौरान क्या रहा पीएम मोदी का रवैया और इसका क्या होगा असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
    उत्तरकाशी की सुरंग में दिवाली के दिन से फंसे 41 श्रमिकों को आखिरकार 17 दिनों के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। इससे श्रमिकों के परिवारों में दीपावली के त्योहार जैसा खुशी का माहौल है, तो वहीं केंद्र-राज्य सरकार ने भी राहत की सांस ली है। अगर इस दौरान कुछ हो जाता, तो प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर होते और उन्हें लेकर विपक्ष की ओर से तमाम बयान दिये जाते। श्रमिकों के सकुशल बचाव के बाद भी वह इसे सरकार की लापरवाही और मानवीय गलती के कारण हुई त्रासदी बता कर भाजपा को निशाने पर लेने की कोशिश कर ही रहा है। फिलहाल श्रमिकों के सुरक्षित बचाव अभियान ने विपक्ष को यह अवसर नहीं दिया है। उलटे बचाव अभियान को जिस कुशलता के साथ आगे बढ़ाया गया, उससे केंद्र और राज्य सरकार की प्रशासनिक कुशलता सामने आयी है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरे अभियान में अपनी जो सतर्कता और प्रबंधकीय क्षमता दिखायी, उससे उनकी श्रमिक हितैषी छवि मजबूत हुई है। जाहिर है कि इससे वह गरीबों, विशेषकर श्रमिकों के बीच और अधिक लोकप्रिय होंगे। इसके पहले कोरोना काल में भी वह गरीबों-श्रमिकों के साथ डट कर खड़े रहे और उन्हें सकुशल उनके घर पहुंचाने और पूरे कोरोना काल में राशन उपलब्ध कराने का काम किया था। इस मिशन में उन्होंने एक बार फिर अपनी उसी छवि को मजबूत किया है, जिसमें वह गरीबों-श्रमिकों के लिए हर समय डट कर खड़े रहते हैं। जाहिर है कि इसे प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व और निखरा है।
    पूरी तरह सक्रिय रहे प्रधानमंत्री
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रमिकों को बाहर निकालने के अभियान में जिस तरह की सक्रियता दिखायी, उस तरह की सक्रियता इस तरह के मामलों में किसी प्रधानमंत्री के स्तर पर पहले कभी नहीं देखी गयी थी। उन्होंने न केवल अपने केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और वीके सिंह को इस अभियान में लगातार मोर्चे पर सक्रिय रखा, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय से दो विशेष अधिकारी नियुक्त कर दिये, जो इस पूरे अभियान पर बहुत करीब से निगाह रख रहे थे। उन्होंने हर पल सतर्कता से अभियान का जायजा लिया और केंद्र से हरसंभव सहायता तुरंत उपलब्ध करायी। विदेश से विशेषज्ञों को बुलाने का मामला रहा हो या श्रमिकों को बाहर निकालने के बाद उनका बचाव करने का काम, पीएमओ इस मिशन में पूरी तरह डटा रहा। स्वयं प्रधानमंत्री लगातार इस मामले में सतर्क रहे। वह प्रधानमंत्री कार्यालय के अपने अधिकारियों के साथ-साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लगातार मामले की जानकारी लेते रहे। श्रमिकों के सुरक्षित बाहर निकलने के बाद भी पीएम मोदी ने तुरंत खुशी में ट्वीट किया और उनसे बातचीत की। किसी प्रधानमंत्री की ओर से इस तरह की सक्रियता लोगों के बीच भरोसा पैदा करती है। इस अभियान से एक बार फिर मोदी की जनहितैषी छवि को मजबूती मिली है।
    यह कोई पहली बार नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने श्रमिकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की हो। इसके पहले भी कुंभ के सफल आयोजन के बाद प्रयागराज में उन्होंने श्रमिकों के पैर धोकर उनका सम्मान किया था। इसी प्रकार अपने चुनाव क्षेत्र काशी में उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद श्रमिकों के साथ बैठ कर भोजन किया था। वह समय-समय पर श्रमिकों के साथ इसी तरह जुड़ कर उनका सम्मान करते रहते हैं और उनका मान बढ़ाते रहते हैं। रूस-यूके्रन युद्ध के समय भी प्रधानमंत्री ने इसी तरह की पहल कर छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करायी थी। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया ठप पड़ गयी थी, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से करोड़ों श्रमिकों को अपने घर वापस लौटना पड़ा था। उस दौरान प्रधानमंत्री ने न केवल श्रमिकों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाने का काम किया, बल्कि पूरे कोरोना काल में उन्हें खाने-पीने की कोई कमी न हो, इसका ध्यान रखा। उस दौरान शुरू की गयी मुफ्त राशन योजना अब तक जारी है। प्रधानमंत्री की ये पहल उन्हें लोगों के बीच लोकप्रियता दिलाती है।
    राजनीतिक बयानबाजी
    बचाव अभियान के बाद राजनीतिक बयानबाजी न हो, ऐसा संभव नहीं है। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार के कामों की आलोचना भी की है। विपक्षी दलों ने कहा है कि सरकारों की लापरवाही के कारण ही 41 श्रमिकों की जान सांसत में फंसी। श्रमिकों को इस स्थिति में लाने की जिम्मेदार भाजपा सरकार है। दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूरे राजनीतिक जीवन में इस तरह की कई घटनाएं घटी हैं, जब जनता किसी संकट में घिरी है। लेकिन हर बार प्रधानमंत्री ने यह दिखाया है कि वह जनता के दुख-दर्द में हमेशा डट कर साथ खड़े रहते हैं और समस्या को सुलझाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। वह कभी हिम्मत नहीं हारते और समस्या के समाप्त होने तक उसे सुलझाने का प्रयास करते रहते हैं। इस बार भी जब तक श्रमिकों को सकुशल बचाने का अभियान चला, प्रधानमंत्री लगातार इसकी जानकारी लेते रहे। अपने चुस्त-दुरुस्त अधिकारियों को मोर्चे पर समस्या का हल होने तक लगाये रखा और मंत्रियों को भी पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया। उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हर मामले का अपडेट लिया। यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री लोगों के साथ किस तरह स्वयं को जोड़ कर देखते हैं और उनकी यही कोशिश उन्हें दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बना देती है। बेहद सफाई के साथ चले पूरे आॅपरेशन और श्रमिकों की सकुशल रिहाई के बाद भी जिस तरह विपक्ष हमला कर रहा है, उससे यही समझ आता है कि उसके पास रचनात्मक विरोध की कोई सोच नहीं है। विपक्ष की इस तरह की सोच दुर्भाग्यपूर्ण है।

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